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कोरोना के चलते नागचंद्रेश्वर मंदिर में भी पसरा है सन्नाटा, ऑनलाइन कर सकते हैं दर्शन

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Published : Jul 25, 2020, 7:44 AM IST

साल में एक बार सिर्फ नाग पंचमी के दिन विश्व प्रसिद्व महाकालेश्वर मंदिर के शिखर के मध्य स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात के 12 बजे खोले जाते हैं, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस साल कोरोना के चलते मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. इसलिए ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की गई है.

nagachandreshwar
नागचंद्रेश्वर मंदिर

उज्जैन। विश्व प्रसिद्व महाकालेश्वर मंदिर के शिखर के मध्य स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार रात के 12 बजे खुलते हैं, जहां नागपंचमी के दिन हजारों भक्तों की भीड़ देखी जाती है. नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए हर साल भक्तों को नागपंचमी का इंतजार रहता है, लेकिन इस साल कोरोना महामारी के चलते मंदिर समिति ने महाकाल एप और वेब साइट के जरिए ही नागचंद्रेश्वर के लाइव दर्शन करने की व्यवस्था की है.

नागचंद्रेश्वर मंदिर

कोरोना के चलते लाइव प्रसारण की व्यवस्था

नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर भक्त अपने आपको धन्य मानते हैं, जहां हर साल नाग पंचमी के दिन शाम से ही श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग जाती थी, वहीं इस साल कोरोना महामारी के चलते पूरा मंदिर परिसर वीरान पड़ा है. हालांकि, मंदिर प्रशासन ने भगवान के दर्शन के लिए लाइव प्रसारण की व्यवस्था की है.

नागपंचमी पर पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

नागचंद्रेश्वर मंदिर महाकाल मंदिर के शिखर के तल पर मौजूद है, मंदिर के महंत विनीत गिरी महाराज रात 12 बजे मंदिर के पट खोलने के लिए पहुंचे. करीब एक घंटे के त्रिकाल पूजन के बाद नाग चंद्रेश्वर की आरती की गई. नाग पंचमी को नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रुप में मनाया जाने वाला पर्व माना जाता है. नाग पंचमी को हर साल लाखों श्रद्धालु आनंद-उमंग के साथ पूरी आस्था से त्योहार के रुप में इसे मनाते हैं.

मंदिर की मान्यता

11वीं शताब्दी के परमार कालीन इस मंदिर के शिखर के मध्य में बने नागचंद्रेश्वर मंदिर में शेष नाग पर विराजित भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमा की स्थापना की गई थी. साथ ही साल में केवल एक बार ही खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल करीब दो से तीन लाख श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के इस दुर्लभ दर्शन से कालसर्प दोष का निवारण होता है. वहीं सुख, शांति, समृद्धि और उन्नति के लिए लाखों श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर में मत्था टेकते हैं.

उज्जैन। विश्व प्रसिद्व महाकालेश्वर मंदिर के शिखर के मध्य स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट साल में सिर्फ एक बार रात के 12 बजे खुलते हैं, जहां नागपंचमी के दिन हजारों भक्तों की भीड़ देखी जाती है. नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए हर साल भक्तों को नागपंचमी का इंतजार रहता है, लेकिन इस साल कोरोना महामारी के चलते मंदिर समिति ने महाकाल एप और वेब साइट के जरिए ही नागचंद्रेश्वर के लाइव दर्शन करने की व्यवस्था की है.

नागचंद्रेश्वर मंदिर

कोरोना के चलते लाइव प्रसारण की व्यवस्था

नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर भक्त अपने आपको धन्य मानते हैं, जहां हर साल नाग पंचमी के दिन शाम से ही श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग जाती थी, वहीं इस साल कोरोना महामारी के चलते पूरा मंदिर परिसर वीरान पड़ा है. हालांकि, मंदिर प्रशासन ने भगवान के दर्शन के लिए लाइव प्रसारण की व्यवस्था की है.

नागपंचमी पर पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

नागचंद्रेश्वर मंदिर महाकाल मंदिर के शिखर के तल पर मौजूद है, मंदिर के महंत विनीत गिरी महाराज रात 12 बजे मंदिर के पट खोलने के लिए पहुंचे. करीब एक घंटे के त्रिकाल पूजन के बाद नाग चंद्रेश्वर की आरती की गई. नाग पंचमी को नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रुप में मनाया जाने वाला पर्व माना जाता है. नाग पंचमी को हर साल लाखों श्रद्धालु आनंद-उमंग के साथ पूरी आस्था से त्योहार के रुप में इसे मनाते हैं.

मंदिर की मान्यता

11वीं शताब्दी के परमार कालीन इस मंदिर के शिखर के मध्य में बने नागचंद्रेश्वर मंदिर में शेष नाग पर विराजित भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमा की स्थापना की गई थी. साथ ही साल में केवल एक बार ही खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल करीब दो से तीन लाख श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के इस दुर्लभ दर्शन से कालसर्प दोष का निवारण होता है. वहीं सुख, शांति, समृद्धि और उन्नति के लिए लाखों श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर में मत्था टेकते हैं.

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