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त्रिवेणी घाट पर आस्था का सैलाब, डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने दान किए जूते-चप्पल

सर्वपितृ और शनिश्चरी अमावस्या का एक ही वक्त संयुक्त संयोग बनने के चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे.

अनोखे सहयोग पर लाखो श्रद्धालु स्नान कर पुण्य कमाने पहुंचे शिप्रा नदी
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Published : Sep 28, 2019, 3:09 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 3:29 PM IST

उज्जैन। 20 सालों के बाद संयोग बना है, जब सर्वपितृ और शनिश्चरी अमावस्या एक ही दिन पड़ा है, जिसके चलते आस्था की डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पहुंचे, एक अनोखी परंपरा के अनुसार श्रद्धालु जूते-चप्पल घाट पर ही छोड़ जाते हैं, जिसकी नीलामी प्रशासन करता है.

अनोखे सहयोग पर लाखो श्रद्धालु स्नान कर पुण्य कमाने पहुंचे शिप्रा नदी


क्षिप्रा के त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं का सैलाब दिखा, शनिश्चरी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या एक साथ होने के चलते दूर-दराज से आए श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं. सुबह से लंबी कतारों में लगकर स्नान कर शनि मंदिर में दर्शन कर भक्त निहाल हो गए, इस मौके पर श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में दान भी किया. इस मंदिर की परंपरा के अनुसार श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल दान स्वरूप घाट पर ही छोड़ जाते हैं. हालांकि, परंपरा है कि बाद में छोड़े गए जूते-चप्पलों को प्रशासन नीलाम कर देता है.


इस मंदिर की स्थापना उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कराई थी, ये इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां शिव के रूप में शनि की पूजा की जाती है और श्रद्धालु शनि की कृपा पाने के लिए तेल चढ़ाते हैं. प्रशासन ने भीड़ को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी थी और सीसीटीवी कैमरे की मदद से निगरानी की जा रही है.

उज्जैन। 20 सालों के बाद संयोग बना है, जब सर्वपितृ और शनिश्चरी अमावस्या एक ही दिन पड़ा है, जिसके चलते आस्था की डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी घाट पहुंचे, एक अनोखी परंपरा के अनुसार श्रद्धालु जूते-चप्पल घाट पर ही छोड़ जाते हैं, जिसकी नीलामी प्रशासन करता है.

अनोखे सहयोग पर लाखो श्रद्धालु स्नान कर पुण्य कमाने पहुंचे शिप्रा नदी


क्षिप्रा के त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं का सैलाब दिखा, शनिश्चरी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या एक साथ होने के चलते दूर-दराज से आए श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं. सुबह से लंबी कतारों में लगकर स्नान कर शनि मंदिर में दर्शन कर भक्त निहाल हो गए, इस मौके पर श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में दान भी किया. इस मंदिर की परंपरा के अनुसार श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल दान स्वरूप घाट पर ही छोड़ जाते हैं. हालांकि, परंपरा है कि बाद में छोड़े गए जूते-चप्पलों को प्रशासन नीलाम कर देता है.


इस मंदिर की स्थापना उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कराई थी, ये इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां शिव के रूप में शनि की पूजा की जाती है और श्रद्धालु शनि की कृपा पाने के लिए तेल चढ़ाते हैं. प्रशासन ने भीड़ को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी थी और सीसीटीवी कैमरे की मदद से निगरानी की जा रही है.

Intro:उज्जैन 20 सालों के बाद सहयोग सर्वपितृ और शनिचरी अमावस एक ही दिन नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे त्रिवेणी घाट से प्रार्थी का जलस्तर अधिक होने की वजह से पवार ओं में महान अनोखी परंपरा जूते चप्पल छोड़ जाते हैं श्रद्धालु जिसकी नीलामी करता है प्रशासन


Body:उज्जैन शिप्रा जी के त्रिवेणी घाट पर आज श्रद्धालुओं का सैलाब दिखाई दे रहा है दरअसल आज शनिश्चरी अमावस और सर्वपितृ अमावस एक साथ होने पर देर रात से ही दूर दूर से आए श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान कर पुण्य कमाते नजर आए सुबह से ही लंबी-लंबी लाइनों में लगकर स्नान कर शनि मंदिर के दर्शन कर भक्त निहाल हो गए इसी मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दान पूर्ण किया बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आज नाहन के लिए आए थे साथी अपने अपने जूते चप्पल दान के रुप में छोड़ जाते है हालांकि की परंपरा है कि बाद में यह सब दान में छोड़े गए जूते चप्पलों को प्रशासन नीलाम कर देता है


Conclusion:20 सालों बाद सर्वपितृ अमावस्य और शनिचरी अमावस्या पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु उज्जैन इस प्राचीन शनि मंदिर के दर्शन के लिए आतुर दिखाई दिए उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने मंदिर की स्थापना की थी या देश का पहला ऐसा मंदिर भी है यहां शिव के रूप में शनि की पूजा की जाती है और श्रद्धालु का मानना है कि शनि की कृपा पाने के लिए तेल चढ़ाते हैं लोग रात 12:00 बजे से ही फव्वारों में नहान भी शुरू कर दिया लेकिन मुख्य नाम सुबह सूर्य उदय के बाद अमावस्य पर्व काल में ही किया जाता है प्रशासन ने रात से ही उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी थी सीसीटीवी कैमरे की मदद से निगरानी की जा रही है नदी में जल भराव होने के कारण श्रद्धालुओं को नदी में नहीं जाने दिया जा रहा है इसलिए बेरिकेडस से होकर पहले फव्वारों में नहान करवाएगा फिर शनि के दर्शन मान्यता है कि आज के दिन दर्शन मात्र से ही शरीर के कष्ट और परिवार की विपदा तल जाती है शनि मंदिर में श्रद्धालु अपने जूते चप्पल कपड़े मंदिर के बाहर पनौती के रूप में छोड़ जाते हैं और दान पूर्ण करते हैं ऐसा करने से शनि की बुरी दशा से मुक्ति मिलती है इस कारण हजारों की तादाद में यहां श्रद्धालु आते हैं पनौती के रूप में छोड़े गए जूते और कपड़े की नीलामी प्रशासन करता है



बाइट--- जितेंद्र बैरागी पंडित शनि मंदिर उज्जैन

बाइट--- श्रद्धालु
Last Updated : Sep 28, 2019, 3:29 PM IST
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