उज्जैन। धार्मिक नगरी होने के नाते शहर में हर त्यौहार को भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है. ऐसे ही प्रत्येक वर्ष इस्कॉन की निकलने वाली रथ यात्रा इस वर्ष 12 जुलाई को निकलने वाली है. तैयारियों से पहले इस्कॉन मंदिर की रथ यात्रा के लिए मंदिर समिति भगवान की ड्रेस डिजाइन से लेकर उनके खानपान का विशेष ध्यान रख रही है. फिलहाल, कोरोना के कारण भगवान का इम्युनिटी सिस्टम वीक है. उसके लिए भगवान को प्रोटीन युक्त खाना सुबह शाम काढा दिया जा रहा है.
बता दें कि बीमारी से ठीक होने के बाद भगवान की रथ यात्रा विधि विधान के साथ निकाली जाएगी. जिसमें भगवान रथयात्रा के रूप में भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसी के घर गुंदेचा जाएंगे. वहां, वह 7 दिन रहेंगे. यहां भगवान के आने पर उत्सव होगा. इस उत्सव के लिए 4.5 लाख की ड्रेस तैयार की जा रही है. इस्कॉन मंदिर द्वारा शहर में रथ यात्रा निकालने की तैयारी की जा रही है. फिलहाल, कोरोना गाइड लाइन के चलते प्रशासन अनुमति देता है या नहीं ये देखने वाली बात होगी.
लाखों में तैयार हो रहे वस्त्र
इस्कॉन मंदिर के पीआरओ राघव दास ने बताया कि, पश्चिम बंगाल से आए 10 कलाकार भगवान की ड्रेस तैयार कर रहे हैं. साथ ही यह सभी हाथों से नक्काशी और कारीगरी कर खूबसूरत वस्त्र भगवान के लिए बना रहे हैं, जिसमें जगन्नाथ भगवान, सुमित्रा महारानी, और बलदेव जी के वस्त्र जापानी मोती, जापानी कढ़ाई और हेवी सिलाई के कपड़े से डेढ़ लाख की ड्रेस तैयार की गई है. बाकी बचे ललिता देवी, विशाखा देवी, कृष्ण बलराम जी, राधा मदन मोहन, नरसिंह भगवान की ड्रेस सहित कुल 4.5 के वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं.
ड्रेस में लगा 4 गुना महंगा सिल्क
भगवान के लिए बनाई जाने वाली ड्रेस में लगने वाला आमतौर पर बिकने वाले सिल्क से 4 गुना महंगा सिल्क होता है. वहीं, पंडित राघव दास के अनुसार, भगवान की ड्रेस के लिए दिल्ली से ओरिजनल सिल्क का कपड़ा लाया गया है. इस पर जापानी मोतियों की कारीगरी की जा रही है. बंगाल के कलाकार मंदिर परिसर में ही ड्रेस तैयार कर रहे हैं. वस्त्रों की सिलाई भी जापानी धागे से की जा रही है.
कोरोना काल में भगवान कृष्ण और राधा सहित बलराम की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए प्रोटीन और काढे का इंतजाम किया गया जा रहा है. रोजाना भगवान को लगने वाले भोग में प्रोटीन और काढा जरूर दिया जा रहा है. बता दें कि बीमार होने के बाद से इस्कॉन मंदिर के सभी भगवान फिलहाल क्वारंटाइन हैं. भगवान स्वस्थ होते ही रथ यात्रा पर सवार होकर शहर में भ्रमण पर निकलेंगे.
फिलहाल यात्रा को अनुमति नहीं मिली
बता दें कि इस्कॉन मंदिर ने प्रशासन से रथयात्रा निकालने की अनुमति मांगी है. रथ यात्रा बुधवारिया से शुरू होकर पुराने और नए शहर के बीच से भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर पहुंचती है. रथयात्रा निकालने के लिए प्रशासन से अनुमति के लिए पत्र दिया है. अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन कोरोना गाइडलाइन के हिसाब से इस्कॉन मंदिर को रथयात्रा निकालने के लिए परमिशन देता है या नहीं.