उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन में एक डॉक्टर अनुग्रह दुबे कोरोना संक्रमितों के इलाज के दौरान खुद कोरोना की चपेट में आ गए. डॉक्टर की हालत इतनी गंभीर हो गई कि उनका बच पाना मुश्किल था. आनन-फानन में उन्हें इंदौर के अरबिंदो अस्पताल भेजा गया. यहां एक महीने तक संक्रमित डॉक्टर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे. आखिरकार उन्होंने एक महीने की लंबी लड़ाई के बाद मौत को हारते हुए जिंदगी की जंग जीत ली.
उज्जैन के अनुग्रह दुबे पेशे से डॉक्टर हैं. उनके परिवार में छह माह का बेटा, उनकी पत्नी और माता-पिता के साथ भाई हैं. कोरोना काल में ये डॉक्टर विपरीत हालातों में अपनी ड्यूटी पर डटे रहे. उज्जैन के आरडी गार्डी अस्पताल में कोरोना मरीजों का कई दिनों तक इलाज करते रहे. इलाज करते-करते वे खुद संक्रमित हो गए. उन्हें उसी अस्पताल में भर्ती किया गया. डॉ. अनुग्रह दुबे ने बताया कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी, जब बाद में उनके सैंपल की जांच कराई गई तो वे कोरोना पॉजिटिव निकले. उन्हें गंभीर अवस्था में इलाज के लिए इंदौर के अरबिंदो अस्पताल भेजा गया. अस्पताल आते ही उनकी हालत और भी बिगड़ गई संक्रमण की वजह से फेफड़े, हार्ट और शुगर जैसी बीमारियां शरीर में दस्तक दे चुकी थीं.
डॉक्टर भगवान होते हैं
डॉक्टर्स अनुग्रह मूल रुप से ग्वालियर के रहने वाले हैं और उज्जैन के आरडी-गार्डी मेडिकल कॉलेज से एमडी कर रहे हैं. उनका कहना है कि डॉक्टर वाकई भगवान होते हैं, यह उनके लिए नई जिंदगी है और वो अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करेंगे. डॉक्टर परीक्षा खत्म करने के बाद अपनी सेवाएं दोबारा शुरू करेंगे. आपको बता दें इंदौर का अरबिंदो अस्पताल महामारी के इस कठिन दौर में अब तक तीन हजार लोगों को कोरोना से मुक्त कर उन्हें सकुशल घर पंहुचा चुका है.