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Dhanteras 2022: उज्जैन के संदीपनी आश्रम में है धन कुबेर का मंदिर, भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है कुबेर की कथा - Shri Kundeshwar Mahadev Temple

देश के तीन धन कुबेर मंदिरों में से एक कुबेर की प्रतिमा उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में विराजित है. मान्यता है की कुबेर की प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही धन वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है. धनतेरस पर धन कुबेर की प्रतिमा का विशेष पूजन होता, जिनके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं. कुबेर की प्रतिमा कब स्थापित की गई कोई नहीं जानता है लेकिन सांदीपनि आश्रम में विराजित इस प्रतिमा की कहानी भगवान श्री कृष्ण से जुडी हुई जरूर बताई गई है. (Dhanteras 2022) (kubers Temple in Sandipani Ashram) (Sandipani Ashram Bhagwan krishna News)

kubers Temple in Sandipani Ashram
संदीपनी आश्रम में है धन कुबेर का मंदिर
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Published : Oct 23, 2022, 9:56 AM IST

उज्जैन। सांदीपनि आश्रम में प्रतिमा 84 महादेव में से 40 वें क्रम पर श्री कुण्डेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में विराजित है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण जब महर्षि सांदीपनि के आश्रम से शिक्षा पूरी कर जाने लगे तो गुरू दक्षिणा देने के लिए कुबेर धन लेकर आए थे, लेकिन गुरू-माता ने कृष्ण से कहा कि मेरे पुत्र का शंखासुर नामक राक्षस ने हरण कर लिए है, उसे मुक्त करा कर ला दो, यही गुरू दक्षिणा होगी. कृष्ण ने गुरू पुत्र को राक्षस से मुक्त करा कर गुरू-माता को सौंप दिया. इसी पर प्रसन्न होकर गुरू-माता ने कृष्ण को 'श्री सौंपी, तभी से कृष्ण के नाम के साथ श्री जुड़ गया, वे श्रीकृष्ण कहलाए.

संदीपनी आश्रम में है धन कुबेर का मंदिर

कुबेर की नाभी में इत्र लगाने से मिलती है समृद्धि: इसके बाद श्रीकृष्ण तो द्वारका चले गए, लेकिन कुबेर आश्रम में ही बैठे रह गए. यहाँ कुबेर की प्रतिमा बैठी मुद्रा में है, कुण्डेश्वर महादेव के जिस मंदिर में कुबेर विराजे हैं, उसके गुम्बद में श्री यंत्र बना हुआ है जो कृष्ण को श्री मिलने की पुष्टि करता है. मान्यता है कि यहाँ कुबेर की नाभी में इत्र लगाने से समृद्धि प्राप्त होती है. इसलिए यहां दीपावली पर्व के पहले कुबेर देव की प्रतिमा के दर्शन और नाभी में इत्र लगाने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. धन तेरस पर धन के रक्षक कुबेर का पूजन किया गया. तीखी नाक, उभरा पेट, शरीर पर अलंकार आदि से कुबेर का स्वरूप आकर्षक करता है. पुरावेत्ताओं के अनुसार यह प्रतिमा मध्य कालीन 800 से 1100 वर्ष पुरानी है. जिसे शंगु काल के उच्च कोटि के शिल्पकारों ने बनाया था. कुबेर के पूजन के लिए धन तेरस पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

Kuber Temple in Mandsaur: धनतेरस पर कुबेर दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, इस गुप्तकालीन मंदिर में दर्शन मात्र से सभी मुरादें हो जाती हैं पूरी

दो बार की गई विशेष आरती: मंदिर के पुजारी शैलेन्द्र व्यास ने बताया कि उज्जैन में विराजित बेसाल्ट से बनी कुबेर की प्रतिमा शुंग काल की है,करीब 3.5 फीट की इस प्रतिमा के चार हाथ हैं, जिसमें दो हाथों में धन, एक हाथ में सोम पात्र और एक आशीर्वाद की मुद्रा में है. कुबेर भगवान की प्रतिमा देश भर में सिर्फ तीन जगह विराजित है. उत्तर और दक्षिण के साथ मध्य में उज्जैन में विराजित है. यह प्रतिमा श्री कुण्डेश्वर महादेव मंदिर के साथ भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा के साथ स्थापित की गई थी. खास बात मंदिर के द्वार पर खड़े नंदी की अद्भुत प्रतिमा भी है. अनादि काल पहले प्रतिमा को स्थापित किया गया. मान्यता है की इनके दर्शन मात्र से धन की प्राप्ति होती है. धन के अधिपति कुबेर के दर्शन के लिए श्रद्धालु दर्शन कर सुख समृद्धि की प्राथना करते हैं. इस दिन दो बार विशेष आरती की गई, साथ ही सूखे मेवे, इत्र, मिष्ठान और फलों का भोग लगाया गया.
(Dhanteras 2022) (kubers Temple in Sandipani Ashram) (Sandipani Ashram Bhagwan krishna News)

उज्जैन। सांदीपनि आश्रम में प्रतिमा 84 महादेव में से 40 वें क्रम पर श्री कुण्डेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में विराजित है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण जब महर्षि सांदीपनि के आश्रम से शिक्षा पूरी कर जाने लगे तो गुरू दक्षिणा देने के लिए कुबेर धन लेकर आए थे, लेकिन गुरू-माता ने कृष्ण से कहा कि मेरे पुत्र का शंखासुर नामक राक्षस ने हरण कर लिए है, उसे मुक्त करा कर ला दो, यही गुरू दक्षिणा होगी. कृष्ण ने गुरू पुत्र को राक्षस से मुक्त करा कर गुरू-माता को सौंप दिया. इसी पर प्रसन्न होकर गुरू-माता ने कृष्ण को 'श्री सौंपी, तभी से कृष्ण के नाम के साथ श्री जुड़ गया, वे श्रीकृष्ण कहलाए.

संदीपनी आश्रम में है धन कुबेर का मंदिर

कुबेर की नाभी में इत्र लगाने से मिलती है समृद्धि: इसके बाद श्रीकृष्ण तो द्वारका चले गए, लेकिन कुबेर आश्रम में ही बैठे रह गए. यहाँ कुबेर की प्रतिमा बैठी मुद्रा में है, कुण्डेश्वर महादेव के जिस मंदिर में कुबेर विराजे हैं, उसके गुम्बद में श्री यंत्र बना हुआ है जो कृष्ण को श्री मिलने की पुष्टि करता है. मान्यता है कि यहाँ कुबेर की नाभी में इत्र लगाने से समृद्धि प्राप्त होती है. इसलिए यहां दीपावली पर्व के पहले कुबेर देव की प्रतिमा के दर्शन और नाभी में इत्र लगाने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. धन तेरस पर धन के रक्षक कुबेर का पूजन किया गया. तीखी नाक, उभरा पेट, शरीर पर अलंकार आदि से कुबेर का स्वरूप आकर्षक करता है. पुरावेत्ताओं के अनुसार यह प्रतिमा मध्य कालीन 800 से 1100 वर्ष पुरानी है. जिसे शंगु काल के उच्च कोटि के शिल्पकारों ने बनाया था. कुबेर के पूजन के लिए धन तेरस पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

Kuber Temple in Mandsaur: धनतेरस पर कुबेर दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, इस गुप्तकालीन मंदिर में दर्शन मात्र से सभी मुरादें हो जाती हैं पूरी

दो बार की गई विशेष आरती: मंदिर के पुजारी शैलेन्द्र व्यास ने बताया कि उज्जैन में विराजित बेसाल्ट से बनी कुबेर की प्रतिमा शुंग काल की है,करीब 3.5 फीट की इस प्रतिमा के चार हाथ हैं, जिसमें दो हाथों में धन, एक हाथ में सोम पात्र और एक आशीर्वाद की मुद्रा में है. कुबेर भगवान की प्रतिमा देश भर में सिर्फ तीन जगह विराजित है. उत्तर और दक्षिण के साथ मध्य में उज्जैन में विराजित है. यह प्रतिमा श्री कुण्डेश्वर महादेव मंदिर के साथ भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा के साथ स्थापित की गई थी. खास बात मंदिर के द्वार पर खड़े नंदी की अद्भुत प्रतिमा भी है. अनादि काल पहले प्रतिमा को स्थापित किया गया. मान्यता है की इनके दर्शन मात्र से धन की प्राप्ति होती है. धन के अधिपति कुबेर के दर्शन के लिए श्रद्धालु दर्शन कर सुख समृद्धि की प्राथना करते हैं. इस दिन दो बार विशेष आरती की गई, साथ ही सूखे मेवे, इत्र, मिष्ठान और फलों का भोग लगाया गया.
(Dhanteras 2022) (kubers Temple in Sandipani Ashram) (Sandipani Ashram Bhagwan krishna News)

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