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गांव की कोरोना रिपोर्ट : कोरोना से ऐसे लड़ेगा उज्जैन, 35 गांव पर एक बदहाल अस्पताल है सहारा - village corona report

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ग्रामीण क्षेत्रों में हालात बदतर हैं. यहां कोरोना ने अपने पैर जमा रखे हैं. गांव-गांव कोरोना की रिपोर्ट में उज्जैन की महिदपुर तहसील के गांवों के हालात का ईटीवी भारत ने जायाज लिया तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए. पता चला कि गांवों में लोग बीमार हैं और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के आभाव में झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करा रहे हैं. यहां लगभग 35 गांव के बीच एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. वो भी खस्ताहाल.

corona report of village
गांव की कोरोना रिपोर्ट
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Published : May 18, 2021, 6:40 PM IST

उज्जैन। देश में कोरोना महामारी को आए 1 साल से अधिक का समय बीत चुका है. कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भी गहरा असर दिखाया है. गांव-गांव में लोगों कोरोना से संक्रमित हो रहे है. वहीं लाखों लोग पूरे देश में अब तक दम भी तोड़ चुके हैं. गांव-गांव कोरोना रिपोर्ट में उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील के मड़ावदा जनपद का जायजा लिया तो पता चला कि यहां 35 छोटे-छोटे गांव पर महज एक अस्पताल है.

गांव की कोरोना रिपोर्ट, उज्जैन के गांवों में हालात खराब

प्रशासन के दावे के बीच गांव में बीमार लोग

उज्जैन जिले का गांव मड़ावदा में काेराेना से निपटने के लिए 35 गांव के बीच एक अस्पताल है. लेकिन सुविधा के नाम पर यहां टेंट हाउस की छह गादियां जमीन पर बिछा दी गई हैं. बाॅटल चढ़ाने के लिए स्टैंड रखे हैं लेकिन ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं है. यहां पदस्थ डॉक्टरों को इंजेक्शन लगाने की अनुमति भी नहीं है. ऐसे में ऑक्सीजन सपोर्ट तो दूर की बात है, क्षेत्र में लोगों की ठीक से जांच भी नहीं की जा सकती है. इधर अधिकारी कह रहे है कि घर-घर सर्वे करा रहे हैं और ग्रामीण इलाकों में कोरोना की किट भी दी गई है. कई गांवों में संदिग्ध मरीज हैं लेकिन ग्रामीण उसे सामान्य सर्दी जुकाम ही समझ रहे हैं.

वहीं उज्जैन के माधव नगर अस्पताल के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी की माने तो ग्रामीण इलाकों में कोरोना के बढ़ने और संदिग्ध मरीजों की मौत का सबसे बड़ा कारण है ग्रामीणों का डर. गांव में रहने वाले लोगों की धारणा बन चुकी है कि अगर कोरोना का टेस्ट कराया और संक्रमित मिले तो अस्पताल ले जाएंगे और बंद कर देंगे. जिले में ऐसे कई गांव हैं जहां सरकारी अमला नहीं पंहुचा और लगातार कोरोना के संदिग्ध मरीजों की मौत हो रही है.

60 हजार पर एक 'डॉक्टर', वो भी मुख्यालय अटैच (गांव की कोरोना रिपोर्ट - पार्ट 1)

लोग बरत रहे लापरवाही

महिदपुर तहसील के बनबना गांव में 2500 की आबादी है. यहां अभी 600 में से 40 परिवार में पॉजिटिव मरीज हैं. अब तक 6 की मौत हो चुकी हैं फिर भी लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं. गांव में कहीं भी कोरोना कर्फ्यू दिखाई नहीं देता और दुकानें भी खुली थीं. वहीं घटि्टया क्षेत्र के कुंडला गांव में 650 लोगों की आबादी है गांव में 300 लोगों को सर्दी-खांसी है लेकिन किसी ने खुद की कोरोना जांच नहीं कराई है और बंगाली डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं. इनमें से 5 की मौत भी हो चुकी है.

  • प्रशासन के दावों की हकीकत

वहीं उज्जैन के एडीएम जितेंद्र चौहान ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में सर्वे के लिए टीम भेजी जा रही है. आशा कार्यकर्ता और एएनएम की ड्यूटी लगाई गई है जो घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं. लेकिन हकीकत यह है कि उज्जैन के पास महिदपुर, नागदा, खाचरोद, बड़नगर तहसील से जुड़े ग्रामीण इलाकों में हालत खराब हैं ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द टीम बढ़ाकर टेस्ट करवाएं.

उज्जैन। देश में कोरोना महामारी को आए 1 साल से अधिक का समय बीत चुका है. कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भी गहरा असर दिखाया है. गांव-गांव में लोगों कोरोना से संक्रमित हो रहे है. वहीं लाखों लोग पूरे देश में अब तक दम भी तोड़ चुके हैं. गांव-गांव कोरोना रिपोर्ट में उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील के मड़ावदा जनपद का जायजा लिया तो पता चला कि यहां 35 छोटे-छोटे गांव पर महज एक अस्पताल है.

गांव की कोरोना रिपोर्ट, उज्जैन के गांवों में हालात खराब

प्रशासन के दावे के बीच गांव में बीमार लोग

उज्जैन जिले का गांव मड़ावदा में काेराेना से निपटने के लिए 35 गांव के बीच एक अस्पताल है. लेकिन सुविधा के नाम पर यहां टेंट हाउस की छह गादियां जमीन पर बिछा दी गई हैं. बाॅटल चढ़ाने के लिए स्टैंड रखे हैं लेकिन ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं है. यहां पदस्थ डॉक्टरों को इंजेक्शन लगाने की अनुमति भी नहीं है. ऐसे में ऑक्सीजन सपोर्ट तो दूर की बात है, क्षेत्र में लोगों की ठीक से जांच भी नहीं की जा सकती है. इधर अधिकारी कह रहे है कि घर-घर सर्वे करा रहे हैं और ग्रामीण इलाकों में कोरोना की किट भी दी गई है. कई गांवों में संदिग्ध मरीज हैं लेकिन ग्रामीण उसे सामान्य सर्दी जुकाम ही समझ रहे हैं.

वहीं उज्जैन के माधव नगर अस्पताल के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी की माने तो ग्रामीण इलाकों में कोरोना के बढ़ने और संदिग्ध मरीजों की मौत का सबसे बड़ा कारण है ग्रामीणों का डर. गांव में रहने वाले लोगों की धारणा बन चुकी है कि अगर कोरोना का टेस्ट कराया और संक्रमित मिले तो अस्पताल ले जाएंगे और बंद कर देंगे. जिले में ऐसे कई गांव हैं जहां सरकारी अमला नहीं पंहुचा और लगातार कोरोना के संदिग्ध मरीजों की मौत हो रही है.

60 हजार पर एक 'डॉक्टर', वो भी मुख्यालय अटैच (गांव की कोरोना रिपोर्ट - पार्ट 1)

लोग बरत रहे लापरवाही

महिदपुर तहसील के बनबना गांव में 2500 की आबादी है. यहां अभी 600 में से 40 परिवार में पॉजिटिव मरीज हैं. अब तक 6 की मौत हो चुकी हैं फिर भी लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं. गांव में कहीं भी कोरोना कर्फ्यू दिखाई नहीं देता और दुकानें भी खुली थीं. वहीं घटि्टया क्षेत्र के कुंडला गांव में 650 लोगों की आबादी है गांव में 300 लोगों को सर्दी-खांसी है लेकिन किसी ने खुद की कोरोना जांच नहीं कराई है और बंगाली डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं. इनमें से 5 की मौत भी हो चुकी है.

  • प्रशासन के दावों की हकीकत

वहीं उज्जैन के एडीएम जितेंद्र चौहान ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में सर्वे के लिए टीम भेजी जा रही है. आशा कार्यकर्ता और एएनएम की ड्यूटी लगाई गई है जो घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं. लेकिन हकीकत यह है कि उज्जैन के पास महिदपुर, नागदा, खाचरोद, बड़नगर तहसील से जुड़े ग्रामीण इलाकों में हालत खराब हैं ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द टीम बढ़ाकर टेस्ट करवाएं.

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