उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड पर एक बार फिर बवाल मच गया है. मंदिर के पुजारी ने साध्वियों की ड्रेस कोड पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि भस्म आरती में जो ड्रेस कोड लागू है, कुछ साध्वी और साधु उसके वितरीत जाकर मंदिर के नियमों का उल्लंघन कर देते हैं, जो गलत है.
मंदिर के पुजारी महेश ने कहा कि भगवान शिव से बड़ा कोई नहीं है, इसिलए मंदिर के नियम सभी के लिए समान हैं. इनका पालन सभी को करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि साध्वी और साधु मंदिर की परंपरा नहीं तोड़ सकते, क्योंकि जब साधु ऐसा करेंगे, तो आम लोग भी ऐसे कदम उठाएंगे, जिन्हें रोकना मुश्किल होगा.
भस्म आरती के लिये ये ड्रेस कोड है लागू
मंदिर के पुजारी ने ये विरोध उन साध्वियों के लिए उठाया है, जो शुरू से ही अचला धोती पहनती हैं या उन साध्वियों के लिए जो जैकेट पहनकर गर्भ गृह में प्रवेश चाहती हैं. बारह ज्योतिर्लिंगों में महाकाल मंदिर ही एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां तड़के भस्म आरती की जाती है. उसके लिए बाकायदा ड्रेस कोड है, जिसमें महिलाएं गर्भ गृह में सिर्फ साड़ी में ही प्रवेश कर सकती हैं, जबकि पुरुष सोला और धोती में प्रवेश कर सकते हैं.
शंकराचार्य और महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को लिखा पत्र
मंदिर में कुछ साध्वी अचला धोती और सन्यासी ड्रेस के ऊपर जैकेट पहन कर प्रवेश कर जाती हैं. इस बात पर महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं अभा पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने शंकराचार्य व महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि मंदिर समिति का महिलाओं के लिए ड्रेस कोड साड़ी-ब्लाउज है. इसे साध्वियों पर भी लागू करना चाहिए.
पुजारी के सवाल उठाने पर महिला महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी ने किया विरोध
पत्र लिखे जाने के बाद अब इस मामले में नया पेंच उस समय आ गया जब महिला महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी ने विरोध करते हुए इसे गलत बताया. साथ ही कहा कि विजया हवन कर नागा दीक्षा लेकर जो महिला संन्यासी बनती हैं. उन्हें शिव की आराधना से कोई ताकत नहीं रोक सकती. साध्वियां जो वस्त्र धारण करती हैं वे संन्यास परंपरा के अनुरूप ही हैं. साध्वियों की वेशभूषा को लेकर सवाल खड़ा करना गलत है. बता दें की महा मंडलेश्वर मंदाकनी दीदी खुद तो साडी पहन कर ही मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करती हैं, लेकिन ये विरोध उन्होंने अपने उन साथी साध्वियों के लिए उठाया है जो साड़ी नहीं पहनती हैं.