उज्जैन। कोरोना लॉकडाउन के समय यहां देशभर में मानवता के नाम पर लोग सामने आए और लोगों की मदद करते नजर आए थे. वहीं कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस महामारी के समय में भी लोगों से धोखाधड़ी की करने से नहीं चूके. पूरा मामला जुलाई 2020 का है, जहां जिला अस्पतालों में कोरोना वायरस के इंफेक्शन से निपटने के लिए जिस कंपनी से सोडियम हाइपोक्लोराइट की खरीदी की गई. वहां गुणवत्ता नहीं पाई गई या खरीदी जुलाई 2020 में उस समय की गई थी. जब कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा था. यह खुलासा ड्रग विभाग द्वारा की गई जांच में हुआ है. सिडियम हाइपोक्लोराइट में पानी की मात्रा 2% तक पाई गई है, जबकि एक्टिव सोडियम हाइपोक्लोराइट 95% तक पानी रह सकता है. चार से छह % तक सिडियम हाइपोक्लोराइट की मात्रा जरूरी है, तभी वहां कोरोना वायरस पर इफेक्टिव हो सकता था.
कोरोना मरीजों के लिए मंगवाया गया था
उज्जैन स्वास्थ विभाग द्वारा जुलाई 2020 में सनऐजे फार्म सांवेर रोड इंदौर से उक्त सिडियम हाइपोक्लोराइट की खरीदी गया था. लाखों रुपए का सोडियम हाइपोक्लोराइट की खरीदी 16,800 दर पर की गई थी. जिसकी सप्लाई विदिशा, भोपाल, उज्जैन और जबलपुर आदि जिलों के अस्पतालों में कोरोना वायरस को नष्ट करने के लिए की गई थी. उक्त फर्म की 11 बैच के सभी सैंपल राज्य प्रयोगशाला की जांच में फेल हो गए हैं.
कार्रवाई की तैयारी में ड्रग विभाग
ड्रग इंस्पेक्टर धर्म सिंह कुशवाह ने बताया कि जिला अस्पताल के साथ जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग किया जाने के बावजूद यहां पर वायरस पर असर नहीं हुआ. यही वजह है कि जिला अस्पताल के डॉक्टर व आरएमओ डॉ. जीएस धवन, सिविल सर्जन डॉ. आरपी परमार, स्टाफ नर्स और कंपाउंडर संक्रमित पाए गए थे. जिसमें जिला अस्पताल के कंपाउंडर वाहिद कुरैशी की मौत हो गई थी. अब भोपाल से लेबोरेटरी जांच के बाद विभाग कार्रवाई करने की बात कह रहा है.
4 से 6% का क्लेम किया निकला 2% बाकी पानी
उज्जैन में सप्लाई के समय फर्म कंपनी ने 4 से 6% तक सोडियम हाइपोक्लोराइट की मात्रा होने का क्लेम किया था, जबकि जांच में केवल 2% ही सोडियम हाइपोक्लोराइट ही पाया गया है और 98% पानी पाया गया है. जो कोरोना वायरस का नष्ट करने के लिए प्रभावी नहीं माना जाता है. विदिशा, कटनी ,उज्जैन, जबलपुर, धार, शाजापुर, गुना, मंडला, मंदसौर में सनऐजे फर्म कंपनी का सोडियम हाइपोक्लोराइट सप्लाई किया गया था.