उज्जैन। आपने कई जन्मदिन की पार्टियां देखी होगीं. लेकिन क्या कभी किसी रेल के इंजन के जन्मदिन को मनाते हुए देखा है. अगर नहीं देखा, तो देख लीजिए. यह नजारा उज्जैन रेलवे स्टेशन का है. उज्जैन-आगर के बीच 70 के दशक के पहले से नैरोगेज ट्रेन का संचालन किया जाता था. 87 साल पहले भाप का इंजन से उज्जैन और आगर के बीच ट्रेन चलती थी. नैरोगेज ट्रेन बंद होने के बाद से ही इंजन बेकार पड़ा था. 14 साल से इंजन रेलवे डिपो मे खड़ा है, जिसे 2006 में याद के लिए उज्जैन स्टेशन परिसर के बाहर खड़ा कर दिया गया. तब से ही रेलवे स्टाफ और कुली इंजन का जन्मदिन मनाते आ रहे हैं.
फूल-मालाओं से सजाया गया इंजन
हर साल की तरह इस साल भी इंजन को फूलों और मालाओं से सजाया गया. इस दौरान कुलियों के संग केक काट कर रेलवे स्टाफ ने उस पल को यादगार बनाया. कुली सफी बाबा ने बताया कि उन्होंने वे इस ट्रेन में चाय बैचा करते थे. इस इंजन के साथ सालों की यादें उनकी और उनके कुली भाइयों की जुड़ी हुई हैं. इस कारण वह लगातार इस इंजन का जन्मदिन अपने खर्चे पर मनाते आ रहे हैं. इस अनोखे नजारे को देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं. लेकिन कोरोना काल के चलते इस बार किसी को भी आमंत्रित नहीं किया गया है.
जवहार लाल नेहरू-इंदिरा गांधी कर चुकी हैं सफर
जीवाजीराव सिंधिया की धरोहर रहा भाप का इंजन अब रेलवे स्टेशन की शोभा बढ़ा रहा है. कुली सफी बाबा ने बताया कि नैरोगेज ट्रेन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी ने भी सफर किया था. कभी स्वयं जीवाजीराव सिंधिया ने सफर आगर तक किया था. स्टेशन के प्रांगण में सहेजकर रखा गए इस इंजन की हर साल जनवरी में वर्षगांठ मनाई जाती है.
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इंजन की खूबियां
उज्जैन से आगर और आगर से उज्जैन के बीच करीब 70 से 80 किलोमीटर चलने वाले इस इंजन की 22 खूबियां हैं.
- जेड बी टाइप का इंजन का नंबर 77 है.
- इंजन की कुल 20 साल की सर्विस रही है.
- वॉटर कैपेसिटी 1300 गैलन.
- कोयला क्षमता 225 टन.
- कुल वजन 275 टन.
- डब्लू जी बैगनालि टटू ने बनाया था.
- 1 लाख 61 हजार 276 रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ था इंजन.
- 25 जून 2006 को उज्जैन स्टेशन पर लाया गया इंजन.
- 13 अप्रैल 1988 को इस ने आखिरी सफर तय किया था.