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दशहरा पर्व पर मंदिर से दशहरा मैदान की ओर निकले बाबा महाकाल, हजारों भक्त हुए शामिल - Baba Mahakal royal ride

दशहरा पर्व पर भगवान महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर शमी वृक्ष का पूजन करने दशहरा मैदान शाही ठाठ बाट के साथ आते हैं. इस बार भी परंपरा को निभाते हुए बाबा की पालकी निकाली गई.

Baba Mahakal leaves from Mahakal temple towards Dussehra ground
महाकाल मंदिर से दशहरा मैदान की ओर निकले बाबा महाकाल
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Published : Oct 25, 2020, 11:47 PM IST

उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के बाबा महाकाल नगर भ्रमण के लिए साल में केवल दो ही बार निकलते हैं. एक श्रावण भादो माह में दूसरा दशहरा पर्व के मौके पर. दरअसल परंपरा के अनुसार दशहरा पर्व पर भगवान महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर शमी वृक्ष का पूजन करने दशहरा मैदान शाही ठाठ बाट के साथ आते हैं.

महाकाल मंदिर से दशहरा मैदान की ओर निकले बाबा महाकाल

महाकाल मंदिर सभा गृह में पूजन के बाद ठीक शाम 4 बजे शाही ठाठ-बाठ के साथ राजाधिराज की सवारी दशहरा मैदान के लिए रवाना होती है. सर्वप्रथम बाबा महाकाल को पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. उसके बाद मंदिर से मालीपुरा, देवास गेट, टॉवरचौक, फ्रीगंज आदि स्थानों पर भक्त पुष्प वर्षा कर अवंतिकानाथ का स्वागत करते हैं.

पढ़ेंः गोरखी देवघर पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया, कुल देवी की पूजा कर विजयदशमी की दी शुभकामनाएं

राजा के नए शहर में आगमन की खुशी में जमकर आतिशबाजी भी की जाती है. हालांकि इस बार सवारी में प्रशासन ने केवल भगवान के प्रोटोकॉल को ही शामिल किया है. हर साल बाबा महाकाल के पुराने शहर से नए शहर में प्रवेश के दौरान काफी पुलिस बल व तैयारियां करनी होती थी, लेकिन इस बार कोरोना काल में आम जनता के सवारी में आने पर प्रतिबंध है. आम जनता मंदिर की सोशल मीडिया एकाउंट के माध्यम से बाबा के दर्शन कर सकती है. इस दौरान शाम में क्षिप्रा तट पर होने वाले कार्यक्रम व रावण दहन के कार्यक्रम को भी मंदिर के सोशल मीडिया एकाउंट व मंदिर समिति के महाकाल भक्ति चैनल के माध्यम से घर बैठे देखा गया.

शमी का है पौराणिक महत्व

पौराणि‍क मान्यताओं के मुताबिक शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है. लंका पर विजयी पाने के बाद भगवान श्रीराम ने शमी का पूजन किया था. नवरात्रि में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है. गणेश जी और शनिदेव दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है.

उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के बाबा महाकाल नगर भ्रमण के लिए साल में केवल दो ही बार निकलते हैं. एक श्रावण भादो माह में दूसरा दशहरा पर्व के मौके पर. दरअसल परंपरा के अनुसार दशहरा पर्व पर भगवान महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर शमी वृक्ष का पूजन करने दशहरा मैदान शाही ठाठ बाट के साथ आते हैं.

महाकाल मंदिर से दशहरा मैदान की ओर निकले बाबा महाकाल

महाकाल मंदिर सभा गृह में पूजन के बाद ठीक शाम 4 बजे शाही ठाठ-बाठ के साथ राजाधिराज की सवारी दशहरा मैदान के लिए रवाना होती है. सर्वप्रथम बाबा महाकाल को पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. उसके बाद मंदिर से मालीपुरा, देवास गेट, टॉवरचौक, फ्रीगंज आदि स्थानों पर भक्त पुष्प वर्षा कर अवंतिकानाथ का स्वागत करते हैं.

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राजा के नए शहर में आगमन की खुशी में जमकर आतिशबाजी भी की जाती है. हालांकि इस बार सवारी में प्रशासन ने केवल भगवान के प्रोटोकॉल को ही शामिल किया है. हर साल बाबा महाकाल के पुराने शहर से नए शहर में प्रवेश के दौरान काफी पुलिस बल व तैयारियां करनी होती थी, लेकिन इस बार कोरोना काल में आम जनता के सवारी में आने पर प्रतिबंध है. आम जनता मंदिर की सोशल मीडिया एकाउंट के माध्यम से बाबा के दर्शन कर सकती है. इस दौरान शाम में क्षिप्रा तट पर होने वाले कार्यक्रम व रावण दहन के कार्यक्रम को भी मंदिर के सोशल मीडिया एकाउंट व मंदिर समिति के महाकाल भक्ति चैनल के माध्यम से घर बैठे देखा गया.

शमी का है पौराणिक महत्व

पौराणि‍क मान्यताओं के मुताबिक शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है. लंका पर विजयी पाने के बाद भगवान श्रीराम ने शमी का पूजन किया था. नवरात्रि में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है. गणेश जी और शनिदेव दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है.

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