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भादो सोमवार में निकली बाबा महाकाल की सवारी, भक्तों ने किए ऑनलाइन दर्शन

आज भादो मास के पहले सोमवार को बाबा महाकाल की पहली सवारी नगर भ्रमण पर निकली. अब अगले सोमवार 17 अगस्त को भगवान महाकाल की शाही और अंतिम सवारी परंपरागत मार्ग से निकाली जाएगी.

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Published : Aug 10, 2020, 5:20 PM IST

Ride of baba mahakal
बाबा महाकाल की सवारी

उज्जैन। भादो मास के पहले सोमवार को उज्जैन स्थित भगवान महाकाल की पहली सवारी निकली. सावन भादो मास के क्रम में भगवान महाकाल की छठी सवारी है. इसके बाद 17 अगस्त को शाही सवारी निकाली जाएगी. ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के सभा मंडप में परंपरागत अनुसार कलेक्टर आशीष सिंह ने भगवान महाकाल के मन महेश के रूप में पूजन अर्चन कर पालकी को नगर भवन के लिए रवाना किया.

बाबा महाकाल की सवारी

आज शाम 4:00 बजे ठाठबाट के साथ अवंतिका नाथ का नगर भ्रमण शुरू हुआ. भगवान महाकाल चांदी की पालकी में मन महेश हाथी पर चंद्रमौलेश्वर के रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले. बड़े गणेश सिद्धि चौराहा स्थित आश्रम के सामने से होते हुए सवारी मोक्षदायिनी क्षिप्रा के घाट पहुंची. जहां महाकाल पैड़ी पर पुजारी ने भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से अभिषेक कर पूजन अर्चन किया.

पूजन के बाद सवारी हरसिद्धि की पाल होते हुए शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर के सामने से दोबारा महाकाल मंदिर पहुंची. हालांकि सवारी में किसी भी श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं थी और महाकाल मंदिर समिति ने लाइव दर्शन के माध्यम से सवारी देखने की व्यवस्था शुरू की थी. अब अगले सोमवार 17 अगस्त को भगवान महाकाल की शाही और अंतिम सवारी परंपरागत मार्ग से निकाली जाएगी.

12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से सावन माह के हर सोमवार को और भादो माह के दो सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाती है. मान्यता है कि भगवान खुद पालकी में बैठकर अपने भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलते हैं.

उज्जैन। भादो मास के पहले सोमवार को उज्जैन स्थित भगवान महाकाल की पहली सवारी निकली. सावन भादो मास के क्रम में भगवान महाकाल की छठी सवारी है. इसके बाद 17 अगस्त को शाही सवारी निकाली जाएगी. ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के सभा मंडप में परंपरागत अनुसार कलेक्टर आशीष सिंह ने भगवान महाकाल के मन महेश के रूप में पूजन अर्चन कर पालकी को नगर भवन के लिए रवाना किया.

बाबा महाकाल की सवारी

आज शाम 4:00 बजे ठाठबाट के साथ अवंतिका नाथ का नगर भ्रमण शुरू हुआ. भगवान महाकाल चांदी की पालकी में मन महेश हाथी पर चंद्रमौलेश्वर के रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले. बड़े गणेश सिद्धि चौराहा स्थित आश्रम के सामने से होते हुए सवारी मोक्षदायिनी क्षिप्रा के घाट पहुंची. जहां महाकाल पैड़ी पर पुजारी ने भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से अभिषेक कर पूजन अर्चन किया.

पूजन के बाद सवारी हरसिद्धि की पाल होते हुए शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर के सामने से दोबारा महाकाल मंदिर पहुंची. हालांकि सवारी में किसी भी श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं थी और महाकाल मंदिर समिति ने लाइव दर्शन के माध्यम से सवारी देखने की व्यवस्था शुरू की थी. अब अगले सोमवार 17 अगस्त को भगवान महाकाल की शाही और अंतिम सवारी परंपरागत मार्ग से निकाली जाएगी.

12 ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से सावन माह के हर सोमवार को और भादो माह के दो सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाती है. मान्यता है कि भगवान खुद पालकी में बैठकर अपने भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलते हैं.

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