उज्जैन। भैरव अष्ठमी पर बाबा काल भैरव (baba kaal bhairav) का जन्म उत्सव मनाया गया. जन्म के बाद रात को बाबा काल भैरव के पुजारियों ने उनका विशेष पूजन-अभिषेक किया. इस दौरान पुजारियों ने उन्हें 111 प्रकार के मिष्ठान व 101 प्रकार की शराब का भोग लगाया. बाबा काल भैरव को अलग-अलग ब्रांड की मदिरा (brand of wines in ujjain) का सेवन कराया गया. इसमें देशी शराब से लेकर तमाम तरह की विदेशी शराब भी शामिल रहीं.
परंपरा अनुसार किया गया बाबा काल भैरव का पूजन
देर रात बाबा के जन्म के बाद परंपरा अनुसार शासकीय पूजन किया गया, जिसमें जिले के आलाधिकारी शामिल हुए. पूजन के दौरान प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव (higher education minister mohan yadav) भी मौजूद रहे. बाबा काल भैरव पुजारी ने मंत्र उच्चारण कर बाबा को शराब का सेवन करवाया गया. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. हालांकि कोविड-19 के चलते दो वर्ष भक्त इस परंपरा का हिस्सा नहीं बन सके थे. हालांकि अब प्रतिबंध हटने के बाद प्रक्रिया पहले की तरह हो गई है. शराब सेवन के दौरान मंदिर में हर-हर महादेव व जय भैरव नाथ के जयकारे चारों ओर गूंजे.
महाकाल के सेनापति के रूप में विराजमान है काल भैरव
बाबा काल भैरव मंदिर के पुजारी राजेश चतुर्वेदी ने बताया कि उज्जैन में बाबा काल भैरव महाकाल के सेनापति के रूप में विराजमान हैं. ये तंत्र पीठ है. तंत्र पीठ होने से यहां तीन प्रकार की पूजा का महत्व है-सात्विक, राजसिक व तामसिक. आज बाबा काल भैरव की जयंती है. कोविड के बाद रात एक बजे तक भक्तों की अपार भीड़ लगी रही.
101 प्रकार की मदिरा का लगाया गया भोग
पुजारी ने बताया कि बाबा काल भैरव को 111 प्रकार के नमकीन व मिष्ठान का भोग लगाया गया. इसके अलावा बाबा काल भैरव को 101 प्रकार की मदिरा का सेवन करवाया गया. उन्होंने बताया कि यह जागृत स्थान है. जब बाबा मदिरा का पान करते हैं, तो जागृत अवस्था में करते हैं. मदिरा का सेवन तांत्रिक मंत्रों के उच्चारण के बाद होता है. खास बात यह है कि मदिरा की स्मेल तक यहां नही आती है.
दर्शन को अलग-अलग राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
बाबा काल भैरव के दर्शन के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, अलग-अलग राज्यों से यहां आते हैं. भोग लगवाने के लोग अपने साथ मदिरा भी लाते हैं.
दो साल बाद पहली बार निकली बाबा महाकाल की सवारी, भक्तों की उमड़ी भीड़
ये स्थान राजनीतिक दृष्टि से काफी उत्तम माना गया है. पानीपत के युद्ध में महाराज सिंधिया हारने के बाद यहां आये. यहां दर्शन करने के बाद उन्हें राज-पाट वापस मिला. आज भी सिंधिया परिवार की ओर से यहां छत्र चढ़ाया जाता है.
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव