उज्जैन। इलाज की अलग-अलग पद्धतियों में से एक है यूनानी चिकित्सक पद्धति, जिसको लेकर जिले में विरोध चल रहा है. विरोध करने वालों में एलोपैथिक टीम भी शामिल है. जिनका कहना है कि प्रदेश सरकार जल्दी ही यूनानी चिकित्सक सेवा देने वाले स्टाफ को अब एलोपैथिक चिकित्सक सेवा देने की अनुमति देने वाली है. वे हमारे बीच बिना किसी अध्ययन के आएंगे. जो कि एक गरीब व्यक्ति के लिए गलत है. बिना ज्ञान के व्यक्ति कैसे एलोपैथिक मरीज का उपचार करेगा. सरकार सिर्फ पैसा बचाना चाहती है.
सरकार और चिकित्सा से संबंधित विभागों में एलोपैथिक अस्पताल में यूनानी अस्पताल के डॉक्टरों की पोस्टिंग कर एलोपैथिक ट्रीटमेंट करवाने की सहमति बनी है. एलोपैथिक के डॉक्टर अनिल भार्गव और टीम ने आरोप लगाते हुए मीडिया से कहा कि जो एलोपैथिक डॉक्टर 50 हजार रुपए में काम कर रहे हैं. वहीं अब एक यूनानी डॉक्टर 20 हजार में काम करने लगेंगे. लेकिन हमारा विरोध है कि गरीबों के साथ यह गलत किया जा रहा है. जिन्हें एलोपैथिक का ज्ञान नहीं, जिन्होंने उस विद्या का अध्ययन किया ही नहीं, तो ट्रीटमेंट कैसे संभव है.
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डॉक्टरों का कहना है कि या तो उन्हें सरकार अलग स्थान दें या फिर वे सभी सीख सकें इसकी तैयारी करे. यहां कोई वीआईपी नहीं आता है. इलाज के लिए यहां गरीब और आम जनता आती है. ऐसे में सरकार को सोच समझकर विचार करना चाहिए. सरकार पहले एलोपैथिक की शिक्षा दें, उसके बाद पोस्टिंग करें. यूनानी डॉक्टरों को बिना एलोपैथिक के ज्ञान के यूनानी डॉक्टर को ट्रीटमेंट के लिए भेजना बिल्कुल उचित नहीं है. इसका हम पुरजोर विरोध करते हैं.