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विस्फोट के बाद श्रद्धालु नहीं लगा सकेंगे आस्था की डुबकी, पर प्रशासन ने की ये व्यवस्था - अमावस्या

शनिचरी अमावस्या पर शिप्रा नदी में श्रद्धालु डुबकी नहीं लगा सकेंगे, क्योंकि त्रिवेणी संगम घाट पर विस्फोट होने की वजह से प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से इस पर प्रतिबंद लगा दिया है.

administration made arrangement regarding bath of devotees
प्रशासन ने की व्यवस्था
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Published : Mar 13, 2021, 11:10 AM IST

उज्जैन। विगत कई दिनों से शिप्रा नदी का त्रिवेणी संगम घाट विस्फोट होने की वजह से चर्चा में बना हुआ है. विस्फोट की खबर आने के बावजूद भी श्रद्धालु यहां पहुंच रहे है. हालांकि प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से डुबकी लगाने पर प्रतिबंध लगाते हुए फव्वरों की व्यवस्था की है.

मान्यता अनुसार दूर-दूर से आए श्रद्धालु आज के दिन अपने कपड़े और जूते दान के रूप में घाट पर ही छोड़ जाते हैं, जिसे मंदिर समिति नीलाम करती है. राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित किए गए इस नवग्रह मंदिर से श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था जुड़ी हुई है.

शनिचरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं का लगा तांता
दरअसल, शनिवार को आई अमावस्या को शनिचरी अमावस्या कहते हैं. उज्जैन का प्रसिद्ध त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर पर प्रति शनिचरी अमावस्या को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शनि को तेल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं.

प्रशासन ने की व्यवस्था

ऐंती पर्वत पर लगा शनि मेला, देशभर से आने लगे श्रद्धालु

स्नान को लेकर प्रशासन ने की व्यवस्था
इस वर्ष प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए घाट पर फव्वारों से स्नान करने की व्यवस्था की है. हालांकि, मुख्य कारण नदी में विस्फोट होना बताया जा रहा है, जो सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है. वहीं कोविड-19 भी एक कारण है, जिसके चलते प्रशासन ने इस तरह की व्यवस्था की है.

विशेष मुहूर्त और शनि की पूजा से लाभ
अमावस्या तिथि की शुरुआत 12 मार्च दोपहर 3:05 से हुई. वहीं समापन 13 मार्च दोपहर 3:51 पर होगा. अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है. इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ने के कारण इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष शांति होती है. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चल रही है, वह इस दिन शनि देव की पूजा कर लाभ पा सकते है.

उज्जैन। विगत कई दिनों से शिप्रा नदी का त्रिवेणी संगम घाट विस्फोट होने की वजह से चर्चा में बना हुआ है. विस्फोट की खबर आने के बावजूद भी श्रद्धालु यहां पहुंच रहे है. हालांकि प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से डुबकी लगाने पर प्रतिबंध लगाते हुए फव्वरों की व्यवस्था की है.

मान्यता अनुसार दूर-दूर से आए श्रद्धालु आज के दिन अपने कपड़े और जूते दान के रूप में घाट पर ही छोड़ जाते हैं, जिसे मंदिर समिति नीलाम करती है. राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित किए गए इस नवग्रह मंदिर से श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था जुड़ी हुई है.

शनिचरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं का लगा तांता
दरअसल, शनिवार को आई अमावस्या को शनिचरी अमावस्या कहते हैं. उज्जैन का प्रसिद्ध त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर पर प्रति शनिचरी अमावस्या को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शनि को तेल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं.

प्रशासन ने की व्यवस्था

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स्नान को लेकर प्रशासन ने की व्यवस्था
इस वर्ष प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए घाट पर फव्वारों से स्नान करने की व्यवस्था की है. हालांकि, मुख्य कारण नदी में विस्फोट होना बताया जा रहा है, जो सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है. वहीं कोविड-19 भी एक कारण है, जिसके चलते प्रशासन ने इस तरह की व्यवस्था की है.

विशेष मुहूर्त और शनि की पूजा से लाभ
अमावस्या तिथि की शुरुआत 12 मार्च दोपहर 3:05 से हुई. वहीं समापन 13 मार्च दोपहर 3:51 पर होगा. अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है. इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि पड़ने के कारण इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष शांति होती है. जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चल रही है, वह इस दिन शनि देव की पूजा कर लाभ पा सकते है.

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