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उज्जैनः जिंदगी की जंग हारी एसिड अटैक पीड़िता, प्रेमी ने दिया था वारदात को अंजाम

उज्जैन के नीलगंगा थाना क्षेत्र में अपने प्रेमी के साथ लिव इन में रह रही एक तलाकशुदा महिला पर उसके प्रेमी ने ही एसिड अटैक कर दिया था. तीन दिनों तक इलाज चलने के बाद आज उसकी मौत हो गई है.

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Published : Nov 7, 2020, 3:17 PM IST

उज्जैन। एसिड अटैक की शिकार हुई महिला की शनिवार को इलाज के दौरान मौत हो गई है. मामले में पुलिस अब आरोपित के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करेगी. फिलहाल आरोपित और एसिड बेचने वाला दुकानदार दोनों जेल में हैं. महिला पर चार नवंबर को उसी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले शख्स ने एसिड डाल दिया था. तीन दिनों से निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था. देवास रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाली 35 वर्षीय महिला एक निजी अस्पताल में नर्स थी. नर्स ने करीब 13 साल पहले अपने पति से तलाक ले लिया था. उसके दोनों बच्चे पति के पास ही रहते हैं. वह 13 सालों से गांव रत्नाखेड़ी के निवासी मुकेश शर्मा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में ही रह रही थी.

शादीशुदा है आरोपी

आरोपी मुकेश भी शादीशुदा है और उसकी पत्नी व दो बच्चे रत्नाखेड़ी में रहते हैं. मुकेश दूध का कारोबार करता था. वो मृतका के साथ लिव इन में रहता था और उसके चरित्र को लेकर शंका करता था. बुधवार सुबह करीब पांच बजे वह दूध बांटने जाने का कहकर निकला था. इसके बाद नर्स सो गई तो मुकेश वापस आया और एसिड से भरा मग नर्स पर डाल दिया. इससे नर्स का चेहरा, पेट व शरीर के अन्य अंग झुलस गए थे. गंभीर हालत में उसे निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जिसके बाद आज उसने दम तोड़ दिया.

एसिड अटैक के मामले और क्या है कानून

एसिड अटैक से जुड़ा एक नया केस लगभग हर दिन सामने आता रहता है. कभी किसी के ऊपर शादी का प्रस्ताव न मानने पर एसिड फेंक दिया जाता है तो कभी किसी आपसी रंजिश के चलते शिकार बनाया जाता है. ऐसे हमले के बाद पीड़ित (चाहे वह महिला हो या पुरुष) का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है. पीड़िता के निजी सामाजिक और आर्थिक जीवन पर इसका बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है. देश में एसिड की बिक्री को लेकर नए कानून आने के बावजूद जमीनी स्तर पर हालातों में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. एसिड अटैक अपने आप में एक अपराध है और कुछ सालों पहले ही बड़ी तादाद में इससे जुड़े मामले सामने आना शुरू हुए हैं, जिसके चलते सरकार ने अपराध कानून संशोधन एक्ट 2013 के जरिए भारतीय दंड संहिता में कुछ प्रावधानों को जोड़ा है.

IPC (Indian Penal Code) की धारा 326A

IPC की धारा 326A के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर पर नुकसान पहुंचाने के इरादे से एसिड फेंका गया है और पीड़िता पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से जख्मी हुई है तो ये कृत गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा. इसके तहत दोषी को कम से कम 10 साल की सजा और अधिकतम उम्र कैद के साथ ही जुर्माना से दंडित किया जाने का प्रावधान है. 326 A में यह भी प्रावधान है कि दोषी पर उचित जुर्माना भी होगा और जुर्माने की रकम पीड़िता को दिया जाएगा.

IPC की धारा 326 B

इस धारा का संबंध एसिड अटैक के प्रयास से है. इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति ने अगर किसी दूसरे व्यक्ति पर एसिड फेंकने की कोशिश की है तो ये एक संगीन अपराध है. यह अपराध गैर जमानती है. इसके लिए दोषी को कम से कम पांच साल तक की सजा हो सकती है और दोषी को जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

SC ने दिया है एसिड की बिक्री को रेगुलेट करने का आदेश

ऐसिड अटैक को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वह ऐसिड की बिक्री को रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाएं. अटैक की शिकार महिला को इलाज और पुनर्वास के लिए तीन लाख रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान भी है.

एसिड पीड़िता को कितना मिलता है मुआवजा

एसिड अटैक के मामलों में मुआवजा राशि सात लाख रुपए है. इस राशि को नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NLSA) ने तय किया है.

ये भी पढ़ेंःउज्जैन में महिला पर एसिड अटैक, अस्पताल में लड़ रही जिंदगी की जंग

उज्जैन। एसिड अटैक की शिकार हुई महिला की शनिवार को इलाज के दौरान मौत हो गई है. मामले में पुलिस अब आरोपित के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करेगी. फिलहाल आरोपित और एसिड बेचने वाला दुकानदार दोनों जेल में हैं. महिला पर चार नवंबर को उसी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले शख्स ने एसिड डाल दिया था. तीन दिनों से निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था. देवास रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाली 35 वर्षीय महिला एक निजी अस्पताल में नर्स थी. नर्स ने करीब 13 साल पहले अपने पति से तलाक ले लिया था. उसके दोनों बच्चे पति के पास ही रहते हैं. वह 13 सालों से गांव रत्नाखेड़ी के निवासी मुकेश शर्मा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में ही रह रही थी.

शादीशुदा है आरोपी

आरोपी मुकेश भी शादीशुदा है और उसकी पत्नी व दो बच्चे रत्नाखेड़ी में रहते हैं. मुकेश दूध का कारोबार करता था. वो मृतका के साथ लिव इन में रहता था और उसके चरित्र को लेकर शंका करता था. बुधवार सुबह करीब पांच बजे वह दूध बांटने जाने का कहकर निकला था. इसके बाद नर्स सो गई तो मुकेश वापस आया और एसिड से भरा मग नर्स पर डाल दिया. इससे नर्स का चेहरा, पेट व शरीर के अन्य अंग झुलस गए थे. गंभीर हालत में उसे निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जिसके बाद आज उसने दम तोड़ दिया.

एसिड अटैक के मामले और क्या है कानून

एसिड अटैक से जुड़ा एक नया केस लगभग हर दिन सामने आता रहता है. कभी किसी के ऊपर शादी का प्रस्ताव न मानने पर एसिड फेंक दिया जाता है तो कभी किसी आपसी रंजिश के चलते शिकार बनाया जाता है. ऐसे हमले के बाद पीड़ित (चाहे वह महिला हो या पुरुष) का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है. पीड़िता के निजी सामाजिक और आर्थिक जीवन पर इसका बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है. देश में एसिड की बिक्री को लेकर नए कानून आने के बावजूद जमीनी स्तर पर हालातों में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. एसिड अटैक अपने आप में एक अपराध है और कुछ सालों पहले ही बड़ी तादाद में इससे जुड़े मामले सामने आना शुरू हुए हैं, जिसके चलते सरकार ने अपराध कानून संशोधन एक्ट 2013 के जरिए भारतीय दंड संहिता में कुछ प्रावधानों को जोड़ा है.

IPC (Indian Penal Code) की धारा 326A

IPC की धारा 326A के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर पर नुकसान पहुंचाने के इरादे से एसिड फेंका गया है और पीड़िता पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से जख्मी हुई है तो ये कृत गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा. इसके तहत दोषी को कम से कम 10 साल की सजा और अधिकतम उम्र कैद के साथ ही जुर्माना से दंडित किया जाने का प्रावधान है. 326 A में यह भी प्रावधान है कि दोषी पर उचित जुर्माना भी होगा और जुर्माने की रकम पीड़िता को दिया जाएगा.

IPC की धारा 326 B

इस धारा का संबंध एसिड अटैक के प्रयास से है. इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति ने अगर किसी दूसरे व्यक्ति पर एसिड फेंकने की कोशिश की है तो ये एक संगीन अपराध है. यह अपराध गैर जमानती है. इसके लिए दोषी को कम से कम पांच साल तक की सजा हो सकती है और दोषी को जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

SC ने दिया है एसिड की बिक्री को रेगुलेट करने का आदेश

ऐसिड अटैक को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वह ऐसिड की बिक्री को रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाएं. अटैक की शिकार महिला को इलाज और पुनर्वास के लिए तीन लाख रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान भी है.

एसिड पीड़िता को कितना मिलता है मुआवजा

एसिड अटैक के मामलों में मुआवजा राशि सात लाख रुपए है. इस राशि को नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NLSA) ने तय किया है.

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