जबलपुर। भले ही केंद्र सरकार ने वित्त विभाग के शूटकेस के खर्च में कटौती कर उसे बही खाते में बदल दिया है, पर ये कटौती भी जनता की जेब गरम करने में नाकाम साबित हुई है. सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुंह से निकलते एक-एक शब्द और उस पर मेज थपथपाते सैकड़ों सांसद भले ही सरकार को शाबासी दे रहे थे, लेकिन हर शब्द पर आवाम के सपने चूर हो रहे थे और एक-एक शब्द आम आदमी के जख्मों पर नमक की तरह दर्द बढ़ा रहे थे.
वित्त मंत्री ने डीजल-पेट्रोल पर एक रुपये सेस चार्ज लगाकर जैसे महंगाई वाली डायन को संजीवनी ही पिला दिया है. जिसके तांडव से कोई बचने वाला नहीं है क्योंकि सेस चार्ज का अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ने वाला है.
सीए अनिल अग्रवाल का कहना है कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए पैसा ही इकट्ठा करना था तो दूसरे मद से टैक्स जुटा सकती थी, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी सीधा आम आदमी की जेब काटने वाली है. जिसके चलते पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहा आम आदमी अब महंगाई की दोहरी मार कैसे झेलेगा.
सरकार के जिस पिटारे पर जनता की नजरें टिकी थी, उस पिटारे ने तो एन वक्त पर ही धोखा दे दिया, चुनाव से पहले भी पेट्रो उत्पादों की कीमतें आसमान छू रहीं थी, जिसके कम होने की उम्मीद थी, लेकिन पहले ही बजट में सरकार ने आवाम को जोर झटका धीरे से दिया है. जिस दर्द को आवाम पल-पल महसूस करेगी.