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नुमाइश बनकर रह गया मौत को मात देने वाला सरकारी अस्पताल, ICU में स्वास्थ्य विभाग

मध्यप्रदेश सरकार हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लाख दावे कर ले, पर इन दावों की हकीकत किसी से छिपी नहीं है. प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं और सिस्टम की लापरवाही बार बार आईना दिखा रहा है, फिर भी सरकार है कि जागती ही नहीं. मध्यप्रदेश के छोटे-बड़े ज्यादातर अस्पतालों की यही हकीकत है. कहीं बिल्डिंग नहीं तो जर्जर भवन, जबकि कहीं स्टाफ तो कही मशीन की मारामारी में मरीजों की जान निकल रही है.

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Published : Jul 8, 2019, 8:12 PM IST

बिन स्टाफ के अस्पताल

टीकमगढ़। ये इमारत कोई साधारण भवन नहीं है, बल्कि इसके गेट पर लगा ये बोर्ड इस बात की तस्दीक करता है कि यहां इंसान को मौत के मुंह में जाने से बचाने का पूरा इंतजाम है, लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने इस भवन के मायने ही बदलकर रख दिया है, जिसके चलते यहां ठीक होने की उम्मीद लेकर पहुंचने वालों को निराशा हाथ लगती है. यहां बेड तो हैं पर मरीज नहीं दिखते क्योंकि कुर्सी तो हैं पर डॉक्टर यहां नहीं बैठते.

नुमाइश बनकर रह गया मौत को मात देने वाला सरकारी अस्पताल, ICU में स्वास्थ्य विभाग

प्रदेश सरकार भले ही हर नागरिक को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रही है, उसके लिए अस्पताल भी मौजूद हैं, लेकिन लापरवाही के चलते ये अस्पताल महज एक टूटी-फूटी इमारत बनकर रह गये हैं. सागर संभाग के सबसे बड़े ग्राम पंचायत चंदेरा का ये सरकारी अस्पताल 10 बिस्तरों वाला है, जिसमें 10 मरीजों को भी उपचार नहीं मिलता. न ही यहां प्रसव वार्ड है. न कोई अन्य सुविधा. जिसके चलते 20 किमी दूर तक महिलाओं को जाना पड़ता है. ऐसे में उनके जान पर आफत बनी रहती है.

इस अस्पताल में सिर्फ एक ही डॉक्टर छविल गुप्ता पदस्थ हैं, जो हफ्ते में 3 दिन चन्देरा और 3 दिन जतारा में बैठते हैं और बारिश के मौसम में तमाम संक्रामक बीमारियां फैलती हैं, ऐसे में 24 गांव के हजारों मरीजों को रोजाना परेशानी से दो चार होना पड़ता है.

इस अस्पताल में डॉक्टर के अलावा 3 महिला नर्स हैं और एक कम्पाउंडर, जबकि यहां मरीजों को न तो उपचार मिलता है और न ही जीवन रक्षक दवाएं. यही वजह है कि 10 बेड वाला अस्पताल नुमाइश बनकर रह गया है और आवाम उपचार के लिए मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों पर अपनी पसीने की कमाई लुटा रही है.

टीकमगढ़। ये इमारत कोई साधारण भवन नहीं है, बल्कि इसके गेट पर लगा ये बोर्ड इस बात की तस्दीक करता है कि यहां इंसान को मौत के मुंह में जाने से बचाने का पूरा इंतजाम है, लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने इस भवन के मायने ही बदलकर रख दिया है, जिसके चलते यहां ठीक होने की उम्मीद लेकर पहुंचने वालों को निराशा हाथ लगती है. यहां बेड तो हैं पर मरीज नहीं दिखते क्योंकि कुर्सी तो हैं पर डॉक्टर यहां नहीं बैठते.

नुमाइश बनकर रह गया मौत को मात देने वाला सरकारी अस्पताल, ICU में स्वास्थ्य विभाग

प्रदेश सरकार भले ही हर नागरिक को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रही है, उसके लिए अस्पताल भी मौजूद हैं, लेकिन लापरवाही के चलते ये अस्पताल महज एक टूटी-फूटी इमारत बनकर रह गये हैं. सागर संभाग के सबसे बड़े ग्राम पंचायत चंदेरा का ये सरकारी अस्पताल 10 बिस्तरों वाला है, जिसमें 10 मरीजों को भी उपचार नहीं मिलता. न ही यहां प्रसव वार्ड है. न कोई अन्य सुविधा. जिसके चलते 20 किमी दूर तक महिलाओं को जाना पड़ता है. ऐसे में उनके जान पर आफत बनी रहती है.

इस अस्पताल में सिर्फ एक ही डॉक्टर छविल गुप्ता पदस्थ हैं, जो हफ्ते में 3 दिन चन्देरा और 3 दिन जतारा में बैठते हैं और बारिश के मौसम में तमाम संक्रामक बीमारियां फैलती हैं, ऐसे में 24 गांव के हजारों मरीजों को रोजाना परेशानी से दो चार होना पड़ता है.

इस अस्पताल में डॉक्टर के अलावा 3 महिला नर्स हैं और एक कम्पाउंडर, जबकि यहां मरीजों को न तो उपचार मिलता है और न ही जीवन रक्षक दवाएं. यही वजह है कि 10 बेड वाला अस्पताल नुमाइश बनकर रह गया है और आवाम उपचार के लिए मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों पर अपनी पसीने की कमाई लुटा रही है.

Intro:एंकर इंट्रो / टीकमगढ़ जिले में हजारो लोग मौत और जीवन से करते है संघर्ष कहने को तो अस्पताल है लेकिन डॉक्टर बैठते नही ओर मरोजो को दवाएं मिलती नही जिससे हजारो लोगो के जीवन के साथ किया जा रहा मजाक

स्पेसल रिपोर्ट etv भारत की खोजी रिपोर्ट


Body:वाईट /01 संतोष चौरसिया ग्रामीण चन्देरा

वाईट /02 मनोज ग्रामीन चन्देरा

वाईट /03 पी के माहौर जिला स्वास्थ्य अधिकारी टीकमगढ़

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में एक ऐसा अस्पताल है सरकारी जो कहने को तो अस्पताल है लेकिन उसमें मरीजो को कोई सुविधायें नही होने से हजारो मरीज अपनी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे है इस अस्पताल में न नियमित डॉक्टर रहते ओर न ही जीवन रक्षक दवाओं का वितरण होता जिससे दर्ज़नो गांव के लोग अपने आप को सरकारी अस्पताल के नाम पर ठगा सा महसूस करते है !दरअसल यह मामला टीकमगढ़ जिले के चन्देरा गांव का है जो सागर सम्भाग की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है और यहाँ पर सरकारी 10 पलँगो बाला नवीन अस्पताल है यह कहने को तो अस्पताल है मगर इसमे कोई सुविधाए नही है सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि यहां पर डिलेवरी पोवाईट नही होने से महिलाओ को प्रसव करवाने समुदायक स्वास्थ्य केंद्र जतारा जाना पड़ता है जो चन्देरा से 20 किलोमीटर की दूरी पर है जिससे गर्भबति महिलाओ को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है और कई महिलाओ के तो जननी एक्सप्रेस में ही डिलेवरी होजाती है और कई महिलाओ के स्वयं के बाहनों में जिससे जच्चा ओर बच्चा दोनों को जान का खतरा बना रहता है !सबसे बड़ी बात तो यह है !कि यह कैसा अस्पताल जहा पर महिलाओ के प्रसव नही करवाये जाते जबकि पूरे देश मे ऐसा कोई सरकारी अस्पताल नही है कि वहा पर महिलाओ के प्रसव न करवाये जाते हो लेक़िन फिर टीकमगढ़ जिले का यह कैसा अनोखा अस्पताल है जिसमे महिलाओ के प्रसव क्यो नही करवाये जाते हो जो एक गम्भीर समस्या है !वही इस अस्पताल में सिर्फ एक ही डॉक्टर है छविल गुप्ता जो 7 दिन में 3 दिन चन्देरा ओर 3 दिन जतारा बैठते है !जिससे लोगो को परेसानी का सामना करना पड़ता है और बारिश के मौषम में तमाम प्रकार की संक्रामक बीमारियां फैलती है जिससे लोगो को अस्पताल जाने पर न डॉक्टर मिलते ओर न ही खुला अस्पताल जिससे लोगो के जीवन के साथ सरेआम खिलवाड़ किया जाता है इस अस्पताल से 24 गांव के हजारो मरीज जुड़े है फिर भी इतनी बड़ी लापरवाही


Conclusion:टीकमगढ़ जिले के इस अनोखे अस्पताल में 3 महिला नर्स स्टाफ है और एक कम्पाउंडर ओर एक डॉक्टर फिर भी यहां पर मरीजो को न जीवन रक्षक दवाएं मिलती ओर न ही उपचार यह 10 पलंग बाला अस्पताल सिर्फ एक नुमाईश बनकर रह गया है और अस्पताल के नाम पर हजारो लोगो के साथ मजाक किया जा रहा है !यह अस्पताल 3 बजते ही बन्द कर दिया जाता ओर मरीज फिर झोला छाप डॉक्टरों से लूटते हे!मजबूरी में रात में तो यह अस्पताल आजतक नही खुला कई लोगो की तो उपचार के अभाव में जान तक चली गई यह अस्पताल बन्द होने पर लोगो को जतारा भी जाना पड़ता मजबूरी में उपचार करवाने इस तरह से चन्देरा में अस्पताल के नाम पर हजारो लोगो के जीवन से किया जाता खिलवाड़ शिकायत करने भी नही सुनता कोई वही इस मामले में जिला स्वास्थ्य अधिकारी कहना रहा कि यदि ऐसा है तो में जल्द ही यहां पर प्रसव पोबाइन्ट चालू करवाता हु ओर अस्पताल में मरीजो को स्वास्थ्य सुबिधायें भी मिलेगी और डॉक्टर का नियमित बैठने की भी व्यबस्था करवाई जावेगी !इस तरह से है ग्रामीण इलाकों के अस्पताल इस अस्पताल में आजतक एक भी मरीज को एडमिट नही किया गया और सारे के सारे पलंग खाली पड़े हुए है!
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