टीकमगढ़। जिले में अब बुंदेलखंड की संस्कृति और परंपरा वापस पटरी पर लौटने लगी है. आधुनिकता और ऑनलाइन खरीददारी के इस दौर में जहां गांव में लगने वाले हाट बस तस्वीरों और इतिहास के पन्नों पर ही नजर आते थे, ऐसे में अब इन हाटों का नजारा एक बार फिर लोगों को उत्साहित कर रहा है.
भागदौड़ भरी जिंदगी में अब लोग ऑनलाइन शॉपिंग मॉल में खरीददारी करने लगे हैं, जिसके चलते गांव-गांव में लगने वाले हाट बाजार महज इतिहास की तस्वीर बनने लगे थे. इन हाट बाजार में किसी शॉपिंग मॉल की तरह ही सुई से लेकर रोजमर्रा का हर सामान मिल जाता है. सप्ताह में एक बार लगने वाले ये बाजार किसी मेले से कम नहीं होते, यहां आकर खरीददारी करने का उत्साह ग्रामीणों में साफ देखा जाता है.
टीकमगढ़ जिले में अब लोग पीछे छूटी बुंदेली परंपरा की तरफ वापस लौट रहे हैं और इस बात का प्रमाण दे रहे हैं. बुंदेलखंड में लगने वाले ये हाट बाजार जो ग्रामीण इलाकों में लगने लगे हैं, लोगों का इन बाजारों के प्रति रुझान भी बढ़ने लगा है.
आधुनिकता के दौर ने अपनी रफ्तार पकड़ी तो गांव-गांव में लगने वाले हाट-बाजार पीछे छूट गए. बुंदेली संस्कृति भी प्रभावित होती चली गई. नए दौर की तेज चाल में कदम मिलाने के चक्कर में यहां के लोग बुंदेलखंडी रीति रिवाज, मेले और हाट बाजार को भुला चुके थे, लेकिन अब ये दौर लोगों की जिंदगी में दोबारा दस्तक देने लगा है.