ETV Bharat / state

ओरछा: धर्म, वैभव, और वीरता का संगम है ये शहर, यहां सदियों से अदृश्य राजा का है शासन! - टीकमगढ़

टीकमगढ़ जिले में स्थित ओरछा, जिसे भगवान राम का दूसरा घर भी कहा जाता है. यहां बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, ये मंदिर बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है

रामराजा मंदिर ओरछा
author img

By

Published : Mar 21, 2019, 3:26 AM IST

टीकमगढ़। अपने गौरवशाली इतिहास के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड में वीरता, धर्म और वैभव सभी का संगम देखने को मिलता है. बुंदेलखंड के इसी रूप को सामने लाती है यहां मौजूद राजा राम की नगरी ओरछा, जिसे भगवान राम का दूसरा घर भी कहा जाता है.

ओरछा में बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, जो बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां पहुंचकर लोगों को लोकतंत्र में भी राजतंत्र की याद आ जाती है, क्योंकि यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है. माना जाता है कि भगवान राम यहां राजा बनकर शासन करते हैं. यही वजह है कि उनकी पहरेदारी में हर समय तैनात मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सुबह-शाम आरती के वक्त राम राजा सरकार को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देते हैं.

भगवान राम को सलामी दिये जाने की ये परंपरा सदियों पुरानी है. ओरछा में विराजे भगवान राम को राजा का दर्जा दिये जाने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है. कहा जाता है कि ओरछा रियासत के बुंदेला शासक महाराजा मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंवर गणेश, राम की भक्त थीं. राजा मुधकर शाह ने एक बार महारानी को ताना मारते हुये कहा कि वे अगर भगवान राम की इतनी बड़ी भक्त हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं. इसके बाद रानी ने कठोर तपस्या कर भगवान राम को ओरछा आने के लिए राजी कर लिया.

वीडियो

भगवान राम ने रानी की बात तो मानी, लेकिन शर्त रखी कि वे ओरछा तभी जाएंगे जब वहां उन्हीं को राजा माना जाए. रानी और उनके पति ने भगवान की ये शर्त मान ली और भगवान राम को ओरछा का राजा मान लिया गया. तब से अब तक ओरछा में राम के अलावा किसी को राजा नहीं माना जाता. कहा जाता है कि आज भी शासन से जुड़ा कोई भी शख्स यहां रात में नहीं रुकता क्योंकि यहां के राजा केवल राम हैं. भगवान राम को ओरछा इतना प्यारा है कि अयोध्या में रात्रि विश्राम के बाद वे दिन भर यहीं रहते हैं.

टीकमगढ़। अपने गौरवशाली इतिहास के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड में वीरता, धर्म और वैभव सभी का संगम देखने को मिलता है. बुंदेलखंड के इसी रूप को सामने लाती है यहां मौजूद राजा राम की नगरी ओरछा, जिसे भगवान राम का दूसरा घर भी कहा जाता है.

ओरछा में बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, जो बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां पहुंचकर लोगों को लोकतंत्र में भी राजतंत्र की याद आ जाती है, क्योंकि यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है. माना जाता है कि भगवान राम यहां राजा बनकर शासन करते हैं. यही वजह है कि उनकी पहरेदारी में हर समय तैनात मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सुबह-शाम आरती के वक्त राम राजा सरकार को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देते हैं.

भगवान राम को सलामी दिये जाने की ये परंपरा सदियों पुरानी है. ओरछा में विराजे भगवान राम को राजा का दर्जा दिये जाने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है. कहा जाता है कि ओरछा रियासत के बुंदेला शासक महाराजा मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंवर गणेश, राम की भक्त थीं. राजा मुधकर शाह ने एक बार महारानी को ताना मारते हुये कहा कि वे अगर भगवान राम की इतनी बड़ी भक्त हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं. इसके बाद रानी ने कठोर तपस्या कर भगवान राम को ओरछा आने के लिए राजी कर लिया.

वीडियो

भगवान राम ने रानी की बात तो मानी, लेकिन शर्त रखी कि वे ओरछा तभी जाएंगे जब वहां उन्हीं को राजा माना जाए. रानी और उनके पति ने भगवान की ये शर्त मान ली और भगवान राम को ओरछा का राजा मान लिया गया. तब से अब तक ओरछा में राम के अलावा किसी को राजा नहीं माना जाता. कहा जाता है कि आज भी शासन से जुड़ा कोई भी शख्स यहां रात में नहीं रुकता क्योंकि यहां के राजा केवल राम हैं. भगवान राम को ओरछा इतना प्यारा है कि अयोध्या में रात्रि विश्राम के बाद वे दिन भर यहीं रहते हैं.

Intro:Body:

ओरछा: धर्म, वैभव, और वीरता का संगम है ये शहर, यहां सदियों से अदृश्य राजा का है शासन!





टीकमगढ़। अपने गौरवशाली इतिहास के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड में वीरता, धर्म और वैभव सभी का संगम देखने को मिलता है. बुंदेलखंड के इसी रूप को सामने लाती है यहां मौजूद राजा राम की नगरी ओरछा, जिसे भगवान राम का दूसरा घर भी कहा जाता है.



ओरछा में बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, जो बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां पहुंचकर लोगों को लोकतंत्र में भी राजतंत्र की याद आ जाती है, क्योंकि यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है. माना जाता है कि भगवान राम यहां राजा बनकर शासन करते हैं. यही वजह है कि उनकी पहरेदारी में हर समय तैनात मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सुबह-शाम आरती के वक्त राम राजा सरकार को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देते हैं.

(बाइट- मंदिर के पुजारी)

भगवान राम को सलामी दिये जाने की ये परंपरा सदियों पुरानी है. ओरछा में विराजे भगवान राम को राजा का दर्जा दिये जाने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है. कहा जाता है कि ओरछा रियासत के बुंदेला शासक महाराजा मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंवर गणेश, राम की भक्त थीं. राजा मुधकर शाह ने एक बार महारानी को ताना मारते हुये कहा कि वे अगर भगवान राम की इतनी बड़ी भक्त हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं. इसके बाद रानी ने कठोर तपस्या कर भगवान राम को ओरछा आने के लिए राजी कर लिया.

(बाइट- स्थानीय)



भगवान राम ने रानी की बात तो मानी, लेकिन शर्त रखी कि वे ओरछा तभी जाएंगे जब वहां उन्हीं को राजा माना जाए. रानी और उनके पति ने भगवान की ये शर्त मान ली और भगवान राम को ओरछा का राजा मान लिया गया. तब से अब तक ओरछा में राम के अलावा किसी को राजा नहीं माना जाता. कहा जाता है कि आज भी शासन से जुड़ा कोई भी शख्स यहां रात में नहीं रुकता क्योंकि यहां के राजा केवल राम हैं.

बाइट- स्थानीय

भगवान राम को ओरछा इतना प्यारा है कि अयोध्या में रात्रि विश्राम के बाद वे दिन भर यहीं रहते हैं. पीटीसी- सूर्य प्रकाश गोस्वामी ईटीवी भारत टीकमगढ़ मध्यप्रदेश





--



टीकमगढ़ जिले में स्थित ओरछा, जिसे भगवान राम का दूसरा घर भी कहा जाता है. यहां बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, ये मंदिर बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है



------------------------------




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.