टीकमगढ़। अपने गौरवशाली इतिहास के लिए पहचाने जाने वाले बुंदेलखंड में वीरता, धर्म और वैभव सभी का संगम देखने को मिलता है. बुंदेलखंड के इसी रूप को सामने लाती है यहां मौजूद राजा राम की नगरी ओरछा, जिसे भगवान राम का दूसरा घर भी कहा जाता है.
ओरछा में बना भगवान राम का मंदिर पहली नजर में किसी भव्य राज-महल जैसा दिखता है, जो बुंदेला शासन की वास्तुकला और सुंदर कारीगरी का अद्भुत नमूना है. यहां पहुंचकर लोगों को लोकतंत्र में भी राजतंत्र की याद आ जाती है, क्योंकि यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में होती है. माना जाता है कि भगवान राम यहां राजा बनकर शासन करते हैं. यही वजह है कि उनकी पहरेदारी में हर समय तैनात मध्यप्रदेश पुलिस के जवान सुबह-शाम आरती के वक्त राम राजा सरकार को 'गार्ड ऑफ ऑनर' देते हैं.
भगवान राम को सलामी दिये जाने की ये परंपरा सदियों पुरानी है. ओरछा में विराजे भगवान राम को राजा का दर्जा दिये जाने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है. कहा जाता है कि ओरछा रियासत के बुंदेला शासक महाराजा मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंवर गणेश, राम की भक्त थीं. राजा मुधकर शाह ने एक बार महारानी को ताना मारते हुये कहा कि वे अगर भगवान राम की इतनी बड़ी भक्त हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा क्यों नहीं ले आतीं. इसके बाद रानी ने कठोर तपस्या कर भगवान राम को ओरछा आने के लिए राजी कर लिया.
भगवान राम ने रानी की बात तो मानी, लेकिन शर्त रखी कि वे ओरछा तभी जाएंगे जब वहां उन्हीं को राजा माना जाए. रानी और उनके पति ने भगवान की ये शर्त मान ली और भगवान राम को ओरछा का राजा मान लिया गया. तब से अब तक ओरछा में राम के अलावा किसी को राजा नहीं माना जाता. कहा जाता है कि आज भी शासन से जुड़ा कोई भी शख्स यहां रात में नहीं रुकता क्योंकि यहां के राजा केवल राम हैं. भगवान राम को ओरछा इतना प्यारा है कि अयोध्या में रात्रि विश्राम के बाद वे दिन भर यहीं रहते हैं.