टीकमगढ़। महज 11 साल की उम्र में बुंदेली कविताएं सुनाकर लोगों का मन मोह रहे इस बच्चे का नाम वेद पस्तोर है, बेबाक अंदाज में जिनकी कविताएं सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है, क्योंकि जिस उम्र में बच्चे खेल-कूद में मगन रहते हैं, उस उम्र में टीकमगढ़ के वेद पस्तोर बड़े-बड़े मंचों पर देशभर में अपनी कविताओं से लोगों का मन मोह रहे हैं.
बुंदेली भाषा के सबसे छोटे कवि वेद पस्तोर अपनी कविताओं के दम पर पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं. क्योंकि इस नन्हे बुंदेली कवि की हास्य रचनाएं होती ही इतनी मजेदार हैं कि, वह जब हास्य रचनाएं सुनाना शुरु करता है, तो ठहाकों का जो दौर एक बार शुरु होता है वो थमने का नाम नहीं लेता.
वेद पस्तोर को कविताओं से प्रेम विरासत में मिला, क्योंकि वेद के दादाजी साहित्य प्रेमी थे, तो पापा साकेत पस्तोर भी कविताएं लिखते है. लेकिन वेद जब 8 साल के थे, तब उनके पिता का एक्सीटेंड हुआ, उस वक्त पिता अधिकतर समय घर पर रहते और कविताएं सुनते, वेद भी कविताओं को बड़े ध्यान से सुनता. और यही से उसके कवि बनने की शुरुआत हुई. वेद के पिता ने उसे कविताएं सिखाना शुरु कर दी और देखते ही देखते वेद की कविताएं धूम मचाने लगी.
वेद के पिता साकेत पस्तोर कहते है, उनको आज अपने बेटे की इस काबिलयत पर गर्व होता है. कि वह अपनी विरासत को आगे बढ़ा रहा है. बुंदेली भाषा का यह नन्हा कवि 40 से 50 हास्य कविताओं और चुटकुलों का निर्माण कर देशभर के छोटे-बड़े 300 से ज्यादा मंचों पर अपनी आवाज का जादू बिखेर चुका है, वेद लिटिल चेम्प, सारेगामापा जैसे बड़े टीवी शो में भी पार्टिसिपेट कर चुका है. तो मुबंई, भुवनेश्वर, दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ, नागपुर जैसे बड़े शहरों में भी उसके शो होते रहते हैं.वेद आज पूरे बुंदेलखंड की शान बन चुका. बुंदेली भाषा का यह जादूगर बड़ा होकर देश सेवा के लिए आर्मी ज्वाइन करना चाहता है. यही वजह है कि, वो अपनी कविताओं के साथ-साथ पढ़ाई में भी पूरा ध्यान लगा रहा है.