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सादगी के लिए मशहूर मोदी के मंत्री का विजय रथ रोक पाएंगी कांग्रेस की किरण?

सातवीं बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं, वे अब तक 6 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. इस बार टीकमगढ़ लोकसभा सीट से उनका मुकाबला कांग्रेस की महिला प्रत्याशी किरण अहिरवार से है.

टीकमगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी डॉ. वीरेंद्र खटीक
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Published : May 5, 2019, 12:32 AM IST

Updated : May 5, 2019, 11:51 AM IST

टीकमगढ़। देश भर में अपनी सादगी के लिए मशहूर, बदन पर सफेद कुर्ता पाजामा और गले में भगवा तौलिया डाले ये हैं मोदी के मंत्री वीरेंद्र खटीक. अपनी सादगी की वजह से सुर्खियों में रहने वाले वीरेंद्र खटीक बुंदेलखंड अंचल में बीजेपी के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं. वो पिछले दो चुनावों में टीकमगढ़ से और 6 बार से लगातार सांसद रह चुके वीरेंद्र खटीक सातवीं बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक का सियासी सफर

डॉ. हरिसिंह गौर की नगरी के नाम से मशहूर सागर में जन्में वीरेंद्र खटीक का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा है. शायद यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचने के बाद भी वे दूसरे नेताओं की तरह तामझाम से दूर नजर आते हैं. केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी वीरेंद्र खटीक अक्सर अपने पुराने स्कूटर पर से सागर में घूमते नजर आ जाते हैं. 6 बार से लगातार चुनाव जीत रहे केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का रहन-सहन आज भी आम लोगों जैसा है. वीरेंद्र खटीक की सियासी करियर पर नजर डालें

वीरेंद्र खटीक ने सागर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की
वीरेंद्र खटीक 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े
आपातकाल के दौरान वीरेंद्र खटीक 16 महीने तक जेल में रहे
1996 में पहली बार सागर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए
वीरेंद्र खटीक सागर से लगातार चार बार जीतकर संसद पहुंचे
2009 और 2014 में टीकगमढ़ सीट से भी सांसद चुने गए
सितंबर 2017 में एनडीए सरकार में केंद्रीय बनाए गए
वीरेंद्र खटीक बीजेपी के टिकट से 7वीं बार चुनाव लड़ रहे हैं

वीरेंद्र खटीक सांसद बनने के बाद पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनने के लिए जन चौपाल लगाना शुरु की थी. उन्हें चौपाल वाले सांसद के नाम से भी जाना जाता हैं. मोदी के इस मंत्री की सादगी के कई नेता कायल है क्योंकि उन्हें पूरे क्षेत्र में अपनी सादगी के लिए ही जाना जाता है. इस बार डॉ. वीरेंद्र खटीक का मुकाबला कांग्रेस की महिला प्रत्याशी किरण अहिरवार से है. दोनों ही टीकमगढ़ के लिए बाहरी प्रत्याशी हैं. जहां एक ओर वीरेंद्र खटीक टीकमगढ़ से दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं और उनके सामने एंटी इनकमबेंसी का खतरा है तो वहीं किरण अहिरवार पहली बार टीकमगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर किस्मत आजमा रही हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि सातवीं बार भी देश की सबसे बड़ी पंचायत में खटीक फिर से दस्तक देते हैं या कांग्रेस की किरण उन्हें मात देती हैं.

टीकमगढ़। देश भर में अपनी सादगी के लिए मशहूर, बदन पर सफेद कुर्ता पाजामा और गले में भगवा तौलिया डाले ये हैं मोदी के मंत्री वीरेंद्र खटीक. अपनी सादगी की वजह से सुर्खियों में रहने वाले वीरेंद्र खटीक बुंदेलखंड अंचल में बीजेपी के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं. वो पिछले दो चुनावों में टीकमगढ़ से और 6 बार से लगातार सांसद रह चुके वीरेंद्र खटीक सातवीं बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक का सियासी सफर

डॉ. हरिसिंह गौर की नगरी के नाम से मशहूर सागर में जन्में वीरेंद्र खटीक का बचपन बेहद तंगहाली में गुजरा है. शायद यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचने के बाद भी वे दूसरे नेताओं की तरह तामझाम से दूर नजर आते हैं. केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी वीरेंद्र खटीक अक्सर अपने पुराने स्कूटर पर से सागर में घूमते नजर आ जाते हैं. 6 बार से लगातार चुनाव जीत रहे केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का रहन-सहन आज भी आम लोगों जैसा है. वीरेंद्र खटीक की सियासी करियर पर नजर डालें

वीरेंद्र खटीक ने सागर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की
वीरेंद्र खटीक 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े
आपातकाल के दौरान वीरेंद्र खटीक 16 महीने तक जेल में रहे
1996 में पहली बार सागर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए
वीरेंद्र खटीक सागर से लगातार चार बार जीतकर संसद पहुंचे
2009 और 2014 में टीकगमढ़ सीट से भी सांसद चुने गए
सितंबर 2017 में एनडीए सरकार में केंद्रीय बनाए गए
वीरेंद्र खटीक बीजेपी के टिकट से 7वीं बार चुनाव लड़ रहे हैं

वीरेंद्र खटीक सांसद बनने के बाद पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनने के लिए जन चौपाल लगाना शुरु की थी. उन्हें चौपाल वाले सांसद के नाम से भी जाना जाता हैं. मोदी के इस मंत्री की सादगी के कई नेता कायल है क्योंकि उन्हें पूरे क्षेत्र में अपनी सादगी के लिए ही जाना जाता है. इस बार डॉ. वीरेंद्र खटीक का मुकाबला कांग्रेस की महिला प्रत्याशी किरण अहिरवार से है. दोनों ही टीकमगढ़ के लिए बाहरी प्रत्याशी हैं. जहां एक ओर वीरेंद्र खटीक टीकमगढ़ से दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं और उनके सामने एंटी इनकमबेंसी का खतरा है तो वहीं किरण अहिरवार पहली बार टीकमगढ़ से कांग्रेस की टिकट पर किस्मत आजमा रही हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि सातवीं बार भी देश की सबसे बड़ी पंचायत में खटीक फिर से दस्तक देते हैं या कांग्रेस की किरण उन्हें मात देती हैं.

Intro:एंकर इंट्रो / टीकमगढ़ सांसद डॉक्टर वीरेंद्र खटीक जी का 5 साल का प्रोफ़ाइल की यह 5 साल में जनता के भरोशे पर कितने खरे उतरे और लोगो को क्या सिकायत है और आज के हालत क्या है


Body:वाईट /01 डॉक्टर वीरेंद्र खटीक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा प्रत्याशी टीकमगढ़

वाईट /02 अंकित जेन मतदाता टीकमगढ़

वाईट /02 राजेश बिदुआ मतदाता सुनवहा

वाईट /03 मनमोहन तिवारी मतदाता टीकमगढ़

वाइस ओवर / टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार सियासत घमासान है क्योकि इस सीट से मोदी सरकार के मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र खटीक को तीसरी बार फिर से इस सीट पर उतारा गया है पिछले 2 बार से यह यहां से लगातार चुने जाते रहे है इन पर बाहरी होने का ठप्पा तो लगा लेकिन फिर भी लोगो ने इनको चुना गया टीकमगढ़ लोकसभा सीट जो कि एक आरक्षित सीट है जो पहिले खजुराहो संसदीय सीट में आती थी लेकिन फिर जब 2009 में परिसीमन हुया तो यह खजुराहो से टूटकर टीकमगढ़ लोकसभा सीट के नाम से बनाई गई जिसमें 3 जिले सामिल है टीकमगढ़ निवाडी ओर छतरपुर जिसमे इस सीट में 8 विधानसभाओ को सामिल किया गया है जिसमे टीकमगढ़ जतारा खरगापुर निवाडी पृथ्वीपुर ओर छतरपुर जिले के छतरपुर विजावर ओर महाराजपुर विधानसभा सामिल कर इस सीट को बनाया गया था इस लोकसभा सीट में 16 लाख 48 हजार 7800 मतदाता सामिल किये गए है ! इस सीट से लगातार 2 बार डॉक्टर वीरेंद्र खटीक इस सीट से जीतते आये है और यह अभी बर्तमान में भी इस सीट से सांसद है और मोदी सरकार में महिलावाल विकास राज्य मंत्री है


Conclusion:टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर यदि हम नजर डाले की 2009 में किसको कितने मत मिले तो वी जे पी के डॉक्टर वीरेंद्र खटीक को 2 लाख 9 हजार मत मिले तो वही कोंग्रेस प्रत्याशी वृंदावन अहिरवार को 1 लाख 58 हजार मिले थे और वीरेंद्र खटीक यह चुनाव 51000 मतों से जीते तो ओर यदि हम 2014 लोकसभा चुनाव पर नजर डाले तो उस समय कोंग्रेस से कमलेश वर्मा और डॉक्टर वीरेंद्र खटीक मैदान में रहे और वीरेंद्र खटिक को 4,29,79 मत मिले थे तो वही कोंग्रेस के कमलेश वर्मा को 2, 42 , 48 मत मिले थे ओर यह चुनाव भी वीरेंद्र खटीक 1 लाख 87 हजार मतों से विजयी हुए थे लेकिन लगातार चुनाव जीतने के बाद इन्होंने जनता से किये वादे पूरे नही किये और फिर यह विवादित होते गए और जनता ने इनके खिलाफ आंदोलन और प्रदर्सन करना सुरु किया खटीक जी का जमकर विरोध तब हुया जब इन्होंने टीकमगढ़ में खुलनेवाला मेडिकल कॉलेज यह छतरपुर लेगये थे तब उनका खूब विरोध हुआ था और जनता सड़को पर आगई थी टीकमगढ़ की प्रमुख समस्याये है पीने के पानी की समस्या टीकमगढ़ जिले के सेकड़ो गावो में लोगो को 4 किलोमोटर की दूरी से पानी लाना पड़ता है तो वही रोजगार के आभाव में हजारो मजदूर महानगरो को पलायन कर जाते है रोजगार के आभाव में मंत्री जी ने 10 साल में एकभी ऐसा उद्योंग धंदे नही खुलवाए ओर ओर उनका संसद आदर्श गांव में भी लोग बून्द बून्द पानी को मोहताज है और तीसरी विकराल समस्या है जिला अस्पताल में 52 डॉक्टरों के पद स्वीकृत है लेकिन सिर्फ 25 डॉक्टर है जिससे लोगो को भारी परेसानी होती है ओर लोगो को उपचार के लिए बाहर जाना पड़ता है और कई लोगो की तो उपचार न मिलने के कारण मोत होजाती है जिससे लोग बेहद परेसान है वही युबायो को भी रोजगार के साधन नही होने वह भी काफी परेसान है तो वही शहर में बाईपास न होने सेआए दिनों दुर्घटनाए हो रही है इस तरह से वीरेंद्र खटीक जी से जनता असन्तुष्ट है जबकि खटीक जी कहना रहा कि उन्होंने 25 करोड़ के विकास कार्य करवाकर कर विकाश करवाया और रेल सेवा का विस्तार पासपोर्ट कार्यालय का खुलवाना ओर फोरलेन सड़को का विस्तार और गरीव बेटियों के लिए बिदाई बटिकाओ का निर्माण करवाकर विकास करवाया गया है
Last Updated : May 5, 2019, 11:51 AM IST
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