टीकमगढ़। जिले में सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को कितना मिल रहा है, इसकी हकीकत केशवगढ़ गांव में देखने को मिली, सरकार पीएम आवास योजना का लाभ गरीबों को देने की बात कहती है, दावे करती है, कि एक भी गरीब वंचित नहीं होगा, जिसे पीएम आवास का लाभ न मिले, दावे और हकीकत बिल्कुल अलग दिखाई देते हैं, केशवगढ़ में रहने वाला अहिरवार परिवार पिछले पांच सालों से शौचालय में अपना जीवन गुजार रहा है.
सरकारी शौचालय मिला, आवास नहीं
चौकाने वाली बात ये है कि इस गरीब को प्रधानमंत्री आवास तो मिला नहीं, लेकिन इस परिवार के दो सदस्यों के नाम शौचालय जरूर मिल गया, वह भी शासन की योजना के तहत, इतना ही नहीं शासन के एक और विभाग का कमाल देखिए, जिसने शौचालय में बिजली का बाकायदा कनेक्शन देकर मीटर भी लगा दिया है, जिसका प्रति माह बिल भी आ रहा है.
आवास पाने के लिये गरीब दलित मगनलाल ने गांव के सरपंच सहित शासन प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन उसका फायदा नहीं मिला, पूरे मामले पर तहसीलदार का कहना है कि मौके पर जांच कर पात्र पाये जाने पर आवश्यक कार्रवाई कर आवास बनएंगे.
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि चार बाई चार के दो शौचालयों के बीच की दीवार हटाकर 8 बाई 4 की जगह में 5 लोगों का परिवार कैसे रह रहा होगा, एक बम्बईया खोली भी इससे बड़ी होती है. जिसमें एक परिवार आसानी से रह तो सकता है, लेकिन यह परिवार इस शौचालय में बने निवास में पिछले करीब 5 वर्षों से अपनी तीन बेटियों के साथ किन हालातों में कैसे रह रहा होगा.
आवास देने के नाम पर 10 हजार की मांगी जा रही रिश्वत
मगनलाल का कहना है कि उसके पास पैसे नही हैं, इसलिये उसे प्रधानमंत्री आवास नही मिल पाया, क्योंकि गांव का सरपंच और सचिव आवास बनवाने के नाम पर 10 हजार रूपये की मांग कर रहा है, जबकि उसके पास बच्चों का भरण पोषण करने तक के लिये पैसे नही हैं, वहीं मगनलाल का कहना है कि पिछले 5 साल से आवास के अभाव में वह अपने परिवार सहित शौचालय में रहने पर मजबूर हैं, आवास पाने के लिये उसने ग्राम पंचायत सरपंच,सचिव सहित कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन कही से कोई मदद नहीं मिली.
मगनलाल का कहना है कि आवास की मांग को लेकर वह 7 अगस्त को सरपंच की चौखट पर पहुंचा तो, गुस्साये सरपंच और सचिव ने उसकी मदद करने की बजाय जमकर मारपीट की, वहीं मगनलाल की पत्नी और बेटी का कहना है कि अच्छा घर न होने के कारण उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वह पढ़ना तो चाहती है, लेकिन आर्थिक अभाव और आवास की सुविधा न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई भी नहीं कर पा रही है.
इस मामले में दलित मगनलाल की पत्नी का कहना है कि उसे उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन और रोशनी के नाम पर बिजली का एक कनेक्शन मिला है, लेकिन पैसों के अभाव में गैस सिलेंडर नही भरवा पाते है, और चूल्हे पर खाना बनाकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं, इसके साथ ही बरसात के मौसम से बचने के लिये रहवासी शौचालय के नजदीक अस्थाई टपरा जरूर बना रखा है. जिसमें मौसम अनुसार समय काट लेते है.
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इस पूरे मामले में जहां तहसीलदार का कहना है कि मौके पर जांच कर पात्र पाये जाने पर आवश्यक कार्रवाई कर आवास बनाएंगे, वहीं पुलिस का कहना है कि सरपंच ने दलित की कोई मारपीट नहीं की है, बल्कि बाइक के गिरने से उसे चोटें आयीं है.