टीकमगढ़ । कमलनाथ सरकार आज जिस मुश्किल दौर से गुजर रही है उसमें अपनों की भूमिका सबसे अहम रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक बयान ने मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया. जब सिंधिया ने अतिथि टीचरों के समर्थन में सड़क पर उतरने की बता कही तो इसके जवाब में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि 'उतरना है तो उतर जाओ'. बस यहीं से शुरू हुआ मध्यप्रदेश की सियासत के अध्याय में नया मोड़. कमलनाथ सरकार को अल्पमत में लाकर खड़े करनी की पटकथा टीकमगढ़ जिले के कुड़ीला गांव से लिखी गई थी. सरकार गिराने की इस स्क्रिप्ट को ज्योतिरादित्य संधिया और उनके पांच मंत्रियों ने साथ मिलकर लिखा था.
अतिथि टीचर्स तो सरकार गिराने का बहाना था
सिंधिया के साथ मंच पर उनके समर्थित पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, प्रभुराम चोधरी, प्रद्युम्न सिंह थे और मध्यप्रदेश सरकार के वाणिज्यकर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर भी इस आयोजन में शामिल हुए थे. 13 फरवरी को आयोजित संत रविदास कार्यक्रम में ही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के खिलाफ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जंग छेड़ दी थी और खुले मंच से सिंधिया ने अतिथि टीचरों को नियमित नहीं करने पर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की बात कही. उसी दिन से सिंधिया ने कमलनाथ सरकार को गिराने का मन बना लिया था और यह प्रदेश सरकार के खिलाफ बागी होते गए.
हॉर्स टेड्रिंग के बीजेपी पर लगे आरोप
मध्यप्रदेश की राजनीति में इतनी तेजी से घटनाक्रम बदला की जानकार भी समझ नहीं पाए. बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग करने का आरोप लगा. होली के दिन सीएम कमलनाथ की होली में ज्योतिरादित्य सिंधिना ने इस्तीफा देकर भंग डाल दिया. बस फिर क्या, सिंधिया के इस्तीफे के दौर के बाद सिंधिया समर्थकों का भी इस्तीफों का दौर शुरू हो गया. 22 विधायक इस्तीफे की कॉपी के साथ ग्रुप फोटो में सबके सामने आ गए.
इस्तीफों का शुरू हुआ दौर
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे. ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के हो गए. जिसके बाद बीजेपी फ्लोर टेस्ट के जरिए सत्ता पर काबिज होने के सपने बुन्ने लगी.
शह-मात का शुरू हुआ खेल
सरकार को लेकर चल रहे संघर्ष में भी जबरदस्त नाटकीय मोड़ आने लगे. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने विधायकों को मध्य प्रदेश से बाहर भेजकर तोड़फोड़ से बचाने में जुट गए. कांग्रेस ने अपने विधायकों को जयपुर भेजा तो बीजेपी ने अपने विधायकों को हरियाणा भेज दिया.
कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है. ये राजनीति में ही मुमकिन है कि कुर्सी खिसक रही हो और भविष्य भंवर में फंसा हो, लेकिन हसरतें हारने को तैयार नहीं हैं. कोई 110 विधायक के समर्थन का दावा कर रहा है, तो कोई 120 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है, तो किसी की निगाह सीधे गृहमंत्री की कुर्सी पर टिकी है. ये सियासत का वो दौर है, जहां खरीद-फरोख्त में कोई हिचक और कोई संकोच नहीं है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच तोड़-मोल का मुकाबला चल रहा है. अब देखना ये है कि क्या फ्लोर टेस्ट में कमलनाथ सरकार शक्ति प्रदर्शन कर सरकार बचा पाएगी या फिर सत्ता की कुर्सी पर कमल खिलेगा.