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टीकमगढ़: करोड़ों की लागत से बनाए गए हाट बाजार हुए अनुपयोगी, आज तक नहीं लगा मार्केट

करोड़ों रूपए खर्च कर बनाए गए इन हाट बाजारों में कभी भी बाजार नहीं लगाए गए. वहीं सरपंचों और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इसे बनाने में खर्च किए जा रहे करोड़ों रूपए का भ्रष्टाचार किया गया.

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Published : Jul 17, 2019, 5:31 PM IST

करोड़ों की लागत से बने हाट बाजार

टीकमगढ़। पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के तहत हजारों हाट बाजारों के निर्माण करवाए गए थे, जो अब अनुपयोगी हो गए हैं. करोड़ों रूपए खर्च कर बनाए गए इन हाट बाजारों में कभी भी बाजार नहीं लगाए गए. वहीं सरपंचों और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इसे बनाने में खर्च किए जा रहे करोड़ों रूपए का भ्रष्टाचार किया गया. यह हाट बाजार जिस उद्देश्य के लिए बनवाये गए थे, वह पूरी ही नहीं हुई.

पुराने जमाने मे प्रत्येक गांव में बाजार लगाया जाता था. उन्हीं बाजारों को बढ़ावा देने के लिए शिवराज सरकार ने मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के तहत बड़ी- बड़ी पंचायतों में हाट बाजार बनवाये थे. इनका मुख्य उद्देश्य था कि गांव के उत्पाद भी इन बाजारों में बेचे जा सके और गांव में पैदा होने बाली सब्जियां भी इन हाट बाजारों में बेची जाए. लेकिन इन हाट बाजार के निर्माण में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ.

करोड़ों की लागत से बने हाट बाजार

टीकमगढ़ जिले में साल 2013-14 में तकरीबन 132 हाट बाजार बनवाए गए थे. प्रत्येक हाट बाजार की कीमत 15 लाख रुपया थी. जिले में करीब 2 करोड़ की लागत से हाट बाजार बनवाये गए थे, जिसमें आजतक कोई बाजार नहीं लगा. वहीं यह बाजार घटिया किस्म के बनवाये थे. इसके साथ ही ये हाट बाजार गांव से काफी दूरी पर बनवाये गए थे, जिसके चलते लोगों ने आजतक कोई हाट बाजार नहीं लगाया.

टीकमगढ़ जिले के सभी ब्लाकों में बने हाट बाजार एक मजाक बनकर रह गए है. लोगों को हाट बाजार के इस योजना का लाभ नहीं मिला सका. सरपंच, जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत से अपनी जेब गर्म कर शासन के करोड़ों रूपये का घोटाला कर दिया.

टीकमगढ़। पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के तहत हजारों हाट बाजारों के निर्माण करवाए गए थे, जो अब अनुपयोगी हो गए हैं. करोड़ों रूपए खर्च कर बनाए गए इन हाट बाजारों में कभी भी बाजार नहीं लगाए गए. वहीं सरपंचों और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इसे बनाने में खर्च किए जा रहे करोड़ों रूपए का भ्रष्टाचार किया गया. यह हाट बाजार जिस उद्देश्य के लिए बनवाये गए थे, वह पूरी ही नहीं हुई.

पुराने जमाने मे प्रत्येक गांव में बाजार लगाया जाता था. उन्हीं बाजारों को बढ़ावा देने के लिए शिवराज सरकार ने मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के तहत बड़ी- बड़ी पंचायतों में हाट बाजार बनवाये थे. इनका मुख्य उद्देश्य था कि गांव के उत्पाद भी इन बाजारों में बेचे जा सके और गांव में पैदा होने बाली सब्जियां भी इन हाट बाजारों में बेची जाए. लेकिन इन हाट बाजार के निर्माण में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ.

करोड़ों की लागत से बने हाट बाजार

टीकमगढ़ जिले में साल 2013-14 में तकरीबन 132 हाट बाजार बनवाए गए थे. प्रत्येक हाट बाजार की कीमत 15 लाख रुपया थी. जिले में करीब 2 करोड़ की लागत से हाट बाजार बनवाये गए थे, जिसमें आजतक कोई बाजार नहीं लगा. वहीं यह बाजार घटिया किस्म के बनवाये थे. इसके साथ ही ये हाट बाजार गांव से काफी दूरी पर बनवाये गए थे, जिसके चलते लोगों ने आजतक कोई हाट बाजार नहीं लगाया.

टीकमगढ़ जिले के सभी ब्लाकों में बने हाट बाजार एक मजाक बनकर रह गए है. लोगों को हाट बाजार के इस योजना का लाभ नहीं मिला सका. सरपंच, जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत से अपनी जेब गर्म कर शासन के करोड़ों रूपये का घोटाला कर दिया.

Intro:एंकर इन्ट्रो / टीकमगढ़ जिले में करोड़ो के हाट बाजार हुए अनुपयोगी जिस उद्देश्य से इनको बनाया गया था जिसमे कभी भी नही लगाए गए बाजार पानी मे बहाया करोड़ो रूपया सरपंचों ओर अधिकारियों की जेवे हुई गर्म


Body:वाइस ओबर / सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के तहत हजारो लाखो हाट बाजारों के निर्माण करवाया गया था कि ग्रामीण इलाकों में मजरों ओर टोलो में बाजार लगाने को लेकर की इन हाट बाजारों में लोग स्थानीय उत्पाद का बाजार लगाएंगे लेकिन यह सारे के सारे हाट बाजार आज एक नुमाइश बनकर रह गए है!टीकमगढ़ जिले में भी 2013_14 में तकरिवन 132 हाट बाजार बन बनवाये गए थे जिनमें प्रत्येक हाट बाजार की कीमत 15 लाख रुपया थी और यह इसलिए बनाये गए थे कि पुराने जमाने मे जैसे प्रत्येक गांव में बाजार लगते थे उनको बढ़ावा देने के लिए शिवराज सरकार ने मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना के तहत बड़ी बड़ी पंचायतों में यह हाट बाजार बनवाये थे और इनका मुख्य उद्देश्य था कि गांव के उत्पाद भी इन बाजारों में बेचे जा सके और गांव में पैदा होने बाली सब्जियां भी इन हाट बाजारों में बेची जावे लेकिन इन हाट बाजार के निर्माण में व्यापक पैमाने पर भरस्टाचार हुआ और यह कभी घटिया बनवाये गए और वह भी गांव से काफी दूरी पर जिससे लोगो ने उनमे आजतक कोई हाट बाजार नही लगाया गया यदि यही हाट बाजार गांव के नजदीक बनते तो सायद आज उनका मिशन पूरा होता और गांव के सब्जियों और अन्य उत्पादों के बाजार भी यही पर लगते लेकिन ऐसा नही हुआ और आज टीकमगढ़ जिले के सभी ब्लाकों में बने हाट बाजार एक मजाक बनकर रह गए और सरपंच ओर जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के अधिकारियों और कर्मचारियो ने अपनी अपनी जेवे गर्म कर सासन का करोड़ो रूपये ठिकाने लगा दिया गया


Conclusion:टीकमगढ़ जिले में तकरीबन 2 करोड़ की लागत से यह हाट बाजार बनवाये थे जिसमें आजतक कोई बाजार नही लगा यदि यह करोड़ो रूपये गरिवो के उत्थान में लगाया होता तो सायद कई गरिवो का कल्याण होगया होता 2 करोड़ रुपया में लेकिन भारतीय जनता पार्टि के शिवराज सिंह सरकार की यह योजना दम तोड़ती नजर आई और करोड़ो रूपये पानी मे बहाया गया जिस योजना के लिए यह हाट बाजार बनवाये गए थे वह ही पूरी नही हुई तो ऐसी योजना का क्या लाभ आज सभी हाट बाजार एक मजाक बन गए है
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