टीकमगढ़। आज जिले में बुन्देलखंड के गांधी कहे जाने वाले व फ्रीडम फाइटर चतुर्भुज पाठक की 111वीं जयंती मनाई गई. चतुर्भुज पाठक की समाधि स्थल कुंडेश्वर रोड पर कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें याद किया गया. ये आयोजन स्वराज संस्थान भोपाल ने किया था.
![freedom fighter chatarbhuj pathak 111th birth anniversary in tikamgrah](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-tik-02-bundelkndghndhi-pkg-7204453_01012020183801_0101f_1577884081_39.jpg)
महात्मा गांधी का दिया साथ
यहां आए लोगों ने फ्रीडम फाइटर चतुर्भुज पाठक के बारे में बतया कि, वे देश के लिए कई बार जेल गए. उन्होंने अंग्रेजों से निपटने के लिए तमाम रणनीतियां बनाई थीं. इसके अलावा उन्होंने महात्मा गांधी और विनोभा भावे के साथ देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी. चंबल और बुन्देलखण्ड में कई खूंखार डाकुओं से समर्पण भी करवाया था. इसके अलावा उन्होंने भूदान आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी.
कई आंदोलनों में निभाई सक्रिय भूमिका
फ्रीडम फाइटर चतुर्भुज पाठक ने अमर शहीद नारायण दास के साथ झंडा सत्याग्रह किया था. 1937 में उन्होंने विधवा विवाह को लेकर आन्दोलन चलाया था. क्रांतिकारी चतुर्भुज पाठक ने 1946 में अंग्रेजों से गोरिल्ला युद्ध करके अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. हालांकि उसके कुछ ही समय बाद फिर उनको जेल जाना पड़ा. देश को आजाद कराने लिए इनके योगदान को देखते हुए लोग इन्हें बुन्देलखण्ड का गांधी कहते हैं.
स्मृति प्रसंग के जरिए किया याद
क्रांतिकारी चतुर्भुज पाठक की जयंती उनके परिवार के ही लोग मानाते थे. लेकिन इस साल पहली बार मध्यप्रदेश शासन ने स्मृति प्रसंग का आयोजन कर उन्हें याद किया. इस दौरान काव्यमाला का आयोजन किया गया. जिसमें साहित्यकारों और दिव्यांग बच्चों ने प्रस्तुतियां दीं.
फ्रीडम फाइटर चतुर्भुज पाठक का जन्म 1 जनबरी 1909 में टीकमगढ़ में हुआ था. इन्होंने 1937 में शासकीय सेवा से इस्तीफा देकर देश की आजादी की लड़ाई में पूरा जीवन लगा दिया.