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अधिकारियों ने डकारा गायों का दाना-पानी, गौशाला में भ्रष्टाचार की गढ़ी कहानी

टीकमगढ़ जिले की गौशाला में गाय भूख के आभाव में मर रही हैं. अधिकारियों की मिलीभगत से गायों का दाना-पानी अधिकारी-कर्मचारी डकार रहे हैं.

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Published : Feb 19, 2020, 2:55 PM IST

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अधिकारियों की मिलीभगत से गौशाला में भ्रष्टाटार की भेंट चढ़ रही गायें

टीकमगढ़। मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरे प्रदेश में गौशालाओं का निर्माण करवा रहे हैं. वहीं कई जगहों पर संचालकों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते गायों की दुर्दशा हो रही है. जिले में पशुपालन विभाग द्वारा संचालित पशु प्रजजन प्रक्षेत्र मिनोरा फॉर्म पर गायें भूखी मरने की कगार पर हैं. यहां गायों के दाना पानी के करीब 40 लाख रूपए सालाना आते हैं, बावजूद इसके गायों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है.

अधिकारियों की मिलीभगत से गौशाला में भ्रष्टाटार की भेंट चढ़ रही गाय

दरअसल जिले के शासकीय पशु प्रजजन प्रक्षेत्र मिनोरा फॉर्म को पशुपालन विभाग संचालित करता है. यहां पर हरियाणवी नस्ल के पशु भी हैं. साथ ही नस्ल सुधारने का कार्य फॉर्म पर किया जाता है. जिसे लेकर हर साल शासन 22 लाख कीमती 1277 मैट्रिक टन फीड दाना यहां देती है. वहीं 6 लाख रुपया का भूसा और 5 लाख रुपया का सूखा चारा खरीदा जाता है. पशुओं को भरपेट भोजन मिल सके इसके लिए 20 किलो हरा चारा, 2 किलो फीड, 5 किलो भूसा और 5 किलो सूखा चारा हर रोज गायों को देने का प्रावधान है, इसके बाद भी पशु भूखे मरने की कगार पर है.

मामले का खुलासा जब ईटीवी भारत ने किया तो गो सेवकों ने इसे काफी गंभीर बताया है. वहीं टीकमगढ़ कलेक्टर ने भी मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि टीम बनाकर इसकी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि इस फॉर्म पर प्रबंधक के तौर पर पीएस घोष पदस्थ हैं, लेकिन वो माह में एक-दो बार ही यहां आते हैं. भूख के आभाव में दर्जनों गायों की मौत हो चुकी है, लेकिन फिर भी अधिकारी कर्मचारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए ईटीवी भारत ने अधिकारियों-कर्मचारियों से बात भी करनी चाही, लेकिन सभी मामले में कुछ भी करने से बचते नजर आए.

टीकमगढ़। मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरे प्रदेश में गौशालाओं का निर्माण करवा रहे हैं. वहीं कई जगहों पर संचालकों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते गायों की दुर्दशा हो रही है. जिले में पशुपालन विभाग द्वारा संचालित पशु प्रजजन प्रक्षेत्र मिनोरा फॉर्म पर गायें भूखी मरने की कगार पर हैं. यहां गायों के दाना पानी के करीब 40 लाख रूपए सालाना आते हैं, बावजूद इसके गायों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है.

अधिकारियों की मिलीभगत से गौशाला में भ्रष्टाटार की भेंट चढ़ रही गाय

दरअसल जिले के शासकीय पशु प्रजजन प्रक्षेत्र मिनोरा फॉर्म को पशुपालन विभाग संचालित करता है. यहां पर हरियाणवी नस्ल के पशु भी हैं. साथ ही नस्ल सुधारने का कार्य फॉर्म पर किया जाता है. जिसे लेकर हर साल शासन 22 लाख कीमती 1277 मैट्रिक टन फीड दाना यहां देती है. वहीं 6 लाख रुपया का भूसा और 5 लाख रुपया का सूखा चारा खरीदा जाता है. पशुओं को भरपेट भोजन मिल सके इसके लिए 20 किलो हरा चारा, 2 किलो फीड, 5 किलो भूसा और 5 किलो सूखा चारा हर रोज गायों को देने का प्रावधान है, इसके बाद भी पशु भूखे मरने की कगार पर है.

मामले का खुलासा जब ईटीवी भारत ने किया तो गो सेवकों ने इसे काफी गंभीर बताया है. वहीं टीकमगढ़ कलेक्टर ने भी मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि टीम बनाकर इसकी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि इस फॉर्म पर प्रबंधक के तौर पर पीएस घोष पदस्थ हैं, लेकिन वो माह में एक-दो बार ही यहां आते हैं. भूख के आभाव में दर्जनों गायों की मौत हो चुकी है, लेकिन फिर भी अधिकारी कर्मचारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए ईटीवी भारत ने अधिकारियों-कर्मचारियों से बात भी करनी चाही, लेकिन सभी मामले में कुछ भी करने से बचते नजर आए.

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