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मनरेगा योजना में सामने आया फर्जीवाड़ा, मजदूरों की जगह जेसीबी से कराया काम

टीकमगढ़ के बल्देवगढ़ में मनरेगा में फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हुआ, जिसमें मनरेगा के उद्देश्य को दरकिनार करके जेसीबी मशीन से गांव में निर्माण कार्य हुआ है.

मनरेगा में फर्जीवाड़ा
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Published : Nov 12, 2019, 10:53 PM IST

टीकमगढ़। मनरेगा में फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हुआ है. रिपोर्ट से ये भी सामने आया है कि यहां मनरेगा के उद्देश्य का ही गला घोंट दिया गया है, क्योंकि मनरेगा का मूल उद्देश्य बेरोजगारों को रोजगार देना है, लेकिन यहां काम जेसीबी मशीन से हुआ है. साथ ही दिव्यांगों और वृद्धों को भी काम से अलग रखा गया है.

मनरेगा में फर्जीवाड़ा
जिम्मेदार अफसर नहीं कर रहे कार्रवाई

राशि की बंदरबांट के लिए मास्टर रौल में हेराफेरी की गई है. गड़बड़ी मनरेगा कर्मी, सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक और जिम्मेदार अफसरों की मिली भगत से हुई है. तमाम शिकायतों के बाद जिम्मेदार अफसर कार्रवाई से कतरा रहे हैं. अभयदान देने में लगे जनपद सीईओ से फोन पर बात की तो उन्होंने भी बेतुका बयान देते हुए कहा कि जिनका जॉब कार्ड है उनसे पूछिए, वही बता सकते हैं. मामला जब संज्ञान में आएगा तब देखा जाएगा.

गरीबों के लिए शुरु की गई थी मनरेगा योजना

गौरतलब है कि गरीब परिवारों के लिए मनरेगा योजना की शुरूआत की गई थी. जिसमें सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत को मॉनिटरिंग कर योजना से लाभान्वित करने की जिम्मेदारी दी की गई थी. लेकिन इस मामले में जिनको जिम्मेदारी दी गई थी उन्होंने ही सरकारी खजाने को लूट लिया है.

योजना में ग्राम पंचायतों की मनमर्जी

योजना में ग्राम पंचायतों की ऐसी मनमर्जी सामने आई है जो अपने आप में हैरान कर देने वाली है. जहां कैलपुरा पंचायत में रोजगार सहायक के पति, सास और देवर केवल तीनों ने मिलकर लाखों के विकास कार्यो में मजदूरी कर ली थी. रोजगार सहायक के पति संजय, देवर सुरेन्द्र और सास फूला ने गांव में नवीन तालाब, शांतिधाम, कपिलधारा कूप, सुदूर सड़क का उन्नयन, तालाब का उन्नयन जैसे लाखों रूपयों के कार्यों में अपना पसीना बहाया है.

गांव के 50 फीसदी लोग कर चुके पलायन

वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि तीनों हाथों में आज तक फावड़ा लिए नजर नहीं आए तो मजदूरी क्या करेंगे. दो वक्त की रोजी- रोटी के लिए गांव से 50 फीसदी लोग पलायन कर चुके हैं, क्योंकि गांव में मजदूरी नहीं मिल रही है. वहीं पंचायत सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक एवं अधिकारी मिलकर फर्जी रजिस्टर बनाकर गरीबों की राशि बंदरबाट करने में लगे हैं.

रोजगार सहायक के परिवार ने नहीं किया कोई काम : सरपंच

वहीं गांव की सरपंच का कहना है कि पिछले 5 सालों में बहुत विकास के कार्य हुए हैं, जैसे पानी की टंकी बनी है, सड़क बन गई है और आगनबाड़ी भी बनी है. वहीं रोजगार सहायक के अपने परिवार को लाभान्वित करने की बात पर सरपंच ने कहा कि उनके द्वारा कोई काम नहीं किया गया है, वो काम के समय सिर्फ साथ जाते थे कोई कार्य नहीं करते थे.

टीकमगढ़। मनरेगा में फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हुआ है. रिपोर्ट से ये भी सामने आया है कि यहां मनरेगा के उद्देश्य का ही गला घोंट दिया गया है, क्योंकि मनरेगा का मूल उद्देश्य बेरोजगारों को रोजगार देना है, लेकिन यहां काम जेसीबी मशीन से हुआ है. साथ ही दिव्यांगों और वृद्धों को भी काम से अलग रखा गया है.

मनरेगा में फर्जीवाड़ा
जिम्मेदार अफसर नहीं कर रहे कार्रवाई

राशि की बंदरबांट के लिए मास्टर रौल में हेराफेरी की गई है. गड़बड़ी मनरेगा कर्मी, सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक और जिम्मेदार अफसरों की मिली भगत से हुई है. तमाम शिकायतों के बाद जिम्मेदार अफसर कार्रवाई से कतरा रहे हैं. अभयदान देने में लगे जनपद सीईओ से फोन पर बात की तो उन्होंने भी बेतुका बयान देते हुए कहा कि जिनका जॉब कार्ड है उनसे पूछिए, वही बता सकते हैं. मामला जब संज्ञान में आएगा तब देखा जाएगा.

गरीबों के लिए शुरु की गई थी मनरेगा योजना

गौरतलब है कि गरीब परिवारों के लिए मनरेगा योजना की शुरूआत की गई थी. जिसमें सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत को मॉनिटरिंग कर योजना से लाभान्वित करने की जिम्मेदारी दी की गई थी. लेकिन इस मामले में जिनको जिम्मेदारी दी गई थी उन्होंने ही सरकारी खजाने को लूट लिया है.

योजना में ग्राम पंचायतों की मनमर्जी

योजना में ग्राम पंचायतों की ऐसी मनमर्जी सामने आई है जो अपने आप में हैरान कर देने वाली है. जहां कैलपुरा पंचायत में रोजगार सहायक के पति, सास और देवर केवल तीनों ने मिलकर लाखों के विकास कार्यो में मजदूरी कर ली थी. रोजगार सहायक के पति संजय, देवर सुरेन्द्र और सास फूला ने गांव में नवीन तालाब, शांतिधाम, कपिलधारा कूप, सुदूर सड़क का उन्नयन, तालाब का उन्नयन जैसे लाखों रूपयों के कार्यों में अपना पसीना बहाया है.

गांव के 50 फीसदी लोग कर चुके पलायन

वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि तीनों हाथों में आज तक फावड़ा लिए नजर नहीं आए तो मजदूरी क्या करेंगे. दो वक्त की रोजी- रोटी के लिए गांव से 50 फीसदी लोग पलायन कर चुके हैं, क्योंकि गांव में मजदूरी नहीं मिल रही है. वहीं पंचायत सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक एवं अधिकारी मिलकर फर्जी रजिस्टर बनाकर गरीबों की राशि बंदरबाट करने में लगे हैं.

रोजगार सहायक के परिवार ने नहीं किया कोई काम : सरपंच

वहीं गांव की सरपंच का कहना है कि पिछले 5 सालों में बहुत विकास के कार्य हुए हैं, जैसे पानी की टंकी बनी है, सड़क बन गई है और आगनबाड़ी भी बनी है. वहीं रोजगार सहायक के अपने परिवार को लाभान्वित करने की बात पर सरपंच ने कहा कि उनके द्वारा कोई काम नहीं किया गया है, वो काम के समय सिर्फ साथ जाते थे कोई कार्य नहीं करते थे.

Intro:
फर्जीवाड़ा /बल्देवगढ /12-11-2019/ प्रदीप चौरसिया// 12-11-19
मनरेगा का घोंट रहे गला, जमीनी स्तर पर जिन्हे जिम्मेदारी दी उन्होने ही सरकारी खजाने को लूटा, सहायक सचिव के पति,देवर और सास से करा ली लाखों के कामों में मजदूरी
Body:एंकरः-
मनरेगा में फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश हुआ है। रिपोर्ट से यह भी सामने आया कि यहां मनरेगा के उद्देश्य का ही गला घोंट दिया गया। क्योंकि मनरेगा का मूल उद्देश्य बेरोजगारों को रोजगार देना है, लेकिन यहां काम जेसीबी मशीन से हुआ है। दिव्यांगों और वृद्धों को भी काम से अलग रखा गया। राशि की बंदरबांट के लिए मस्टर रौल में हेराफेरी की गई। उसमें फर्जीवाड़ा किया गया है। गड़बड़ी मनरेगा कर्मी, सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक एव जिम्मेदार अफसरों की मिली भगत से हुई है। तमाम शिकायतों के बाद जिम्मेदार अफसर कार्रवाई से कतरा रहे है।अभयदान देने में लगे जनपद सीईआंे से फोन पर बात की तो उन्होने भी बेतुका बयान देते हुए कहा कि जिनका जाॅब कार्ड है उनसे पूछिए, वही बता सके है। आएगा संज्ञान में जब आएगा तो देखा जाएगा।
         
Conclusion:वीईओं-
(1) गरीब परिवारों के लिए मनरेगा योजना की शुरूआत की गई थी. जिसमें सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत को मॉनिटरिंग कर योजना से लाभान्वित करने की जिम्मेदारी तय की गई. लेकिन इस मामले में जिनको जिम्मेदारी दी गई थी उन्होने ही सरकारी खजाने को लूट लिया है। योजना में ग्राम पंचायतों की ऐसी मनमर्जी सामने आई जो अपने आप में हैरान कर देने वाला है। जहां कैलपुरा पंचायत में रोजगार सहायक के पति, सास एवं देवर केवल तीनों ने मिलकर लाखों के विकास कार्याे में मजदूरी कर ली।
(2)
रोजगार सहायक के पति संजय, देवर सुरेन्द्र, एवं सास फूला ने गांव में नवीन तालाब, शांतिधाम, कपिलधारा कूप, सुदूर सड़क का उन्नयन, तालाब का उन्नयन जैसे लाखों रूपयों के कार्यो में अपना पसीना बहाया है। वही ग्रामीणों का आरोप है कि तीनों के हाथो में आज तक फावड़ा लिए नजर नही आए तो मजदूरी क्या करेगे। दो वक्त की रोजीरोटी के लिए गांव से 50फीसदी लोग पलायन कर चुके है। गंाव में मजदूरी नही मिल रही है। वही पंचायत सरपंच,सचिव एवं रोजगार सहायक एवं अधिकारी मिलकर फर्जी मस्टर बनाकर गरीबों की राशि बंदरबाट करने में लगे है।
(3)
महिला रोजगार सहायक के ससुर मुन्ना राय जनपद क्षेत्र की करमाशन पंचायत सचिव जो ठहरे। अफसरो के अभयदान से इन्ही सचिव के हाथों में दोनों पंचायतों की बांगडोर थमा दी गई है। वही आज तक महिला रोजगार सहायक पंचायत के लोगो देखा तक नही जो घर के चूल्हा चैका तक सीमित बनी है। आरोप है कि पंचायत का कामकाज सचिव ससुर द्वारा ही किया जाता है।

बाइट- अरविन्द्र राजपूत ग्रामीण
बाइट- ज्ञानबाई ग्रामीण
बाइट- जशोदा कुम्हार, सरपंच
बाइट- हरचरण आदिवासी
बाइट- किशोरी ग्रामीण
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