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राम मंदिर भूमिपूजन: दुल्हन की तरह सजेगी 'बुंदेलखंड की अयोध्या', यहीं से अपनी सत्ता चलाते हैं राजाराम

देश के हिंदुओं को वर्षों से जिस घड़ी का इंतजार था, अब वह आ गई है. पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे. कन्याकुमारी से कश्मीर तक भगवान राम पूजे जाते हैं. राम का जन्म भले ही अयोध्या में हुआ हो, लेकिन वो ओरछा में बैठकर अपनी सत्ता चलाते हैं. 5 अगस्त को बुंदेलखंड की अयोध्या को दीपों से सजाया जाएगा और ओरछा में मौजूद रामराजा मंदिर में विशेष पूजा-पाठ किया जाएगा. पढ़िए पूरी खबर...

celebration of ram temple bhoomi pujan
बुंदेलखंड की अयोध्या
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Published : Aug 4, 2020, 10:21 PM IST

Updated : Aug 4, 2020, 11:00 PM IST

ओरछा। ओरछा नगरी को कल यानी पांच अगस्त को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा. उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी जहां भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण की शिला रखे जाने के साथ नए युग की शुरुआत करने को आतुर है तो वहीं बुंदेलखंड की अयोध्या यानी ओरछा में भी खासी हल-चल दिखाई दे रही है. मान्यता है कि यहां राम भगवान के तौर पर नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं और यहां से ही वो अपनी सत्ता चलाते हैं. यही वजह है कि अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर ओरछा को भी अयोध्या की तर्ज पर सजाया जा रहा है. राम मंदिर भूमिपूजन के बाद यहां पुजारी विशेष पूजा-पाठ करेंगे.

बुंदेलखंड की अयोध्या

राजा के रूप में विराजे हैं राम

मान्यता है कि भगवान श्रीराम की सरकार के दो खास निवास अयोध्या और ओरछा हैं. ओरछा में भगवान, राजा के रूप में विराजित हैं, ये एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का संबंध है. साथ ही यह विश्व का पहला ऐसा मंदिर है, जहां राजा के रूप में रामराजा सरकार को चारों पहर सशस्त्र सलामी दी जाती है.

Ramraja Temple of Orchha
दुल्हन की तरह सजेगी बुंदेलखंड की अयोध्या

घर-घर घी के दीपक जलेंगे

यही वजह है कि कोरोना जैसी महामारी के बावजूद भी कल यानी 5 अगस्त को ओरछा में दीपावली जैसा उत्साह लोगों में दिखेगा और घर-घर घी के दीपक जलाकर उत्साह मनाया जायेगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि हमारे अराध्य और हमारे राजा के जन्म स्थान पर बनाये जा रहे मंदिर को लेकर पूरे ओरछा में खुशी का महौल है और लोग उत्साहित हैं.

Ramraja Temple of Orchha
यहीं से अपनी सत्ता चलाते हैं राजाराम

ओरछा का अयोध्या से लगभग छह सौ साल पुराना नाता

बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा वो नगरी है, जिसका अयोध्या से लगभग छह सौ साल पुराना नाता है. यहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं, यही कारण है कि चार बार होने वाली आरती के समय उन्हें पुलिस जवानों द्वारा सलामी दी जाती है.

Ramraja Temple of Orchha
ओरछा में मौजदू राम मंदिर

सरकार की गाइडलाइन का पालन कर होगा कार्यक्रम

कहा तो यहां तक जाता है कि भक्त राम की प्रतिमा की आंख से आंख नहीं मिलाते बल्कि उनके चरणों के ही दर्शन करते हैं. कल अयोध्या में होने वाले समारोह को लेकर प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है. कोरोना काल में सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए लोग अपने-अपने घरों में दीपक जलाएंगे और कार्यक्रम होगा.

Ramraja Temple of Orchha
बेतवा नदी के किनारे बसी ओरछा नगरी

यहां सिर्फ राजाराम ही वीवीआईपी

ओरछा बुन्देलखण्ड की अयोध्या के नाम से भी मशहूर है. मान्यता है ओरछा की महारानी कुंवर गणेश भगवान राम को अयोध्या से पैदल ओरछा लाई थीं. ओरछा में भगवान राम दिन में रहते हैं और रात होते ही अयोध्या चले जाते हैं. सुबह फिर वापस ओरछा आ जाते हैं. इसीलिए ओरछा में दिन में काफी मोहक और सुंदर लगता है, लेकिन रात में काफी बुरा और वीरान, ऐसा मानो कि ओरछा नगरी उजड़ गई हो. माना जाता है कि ओरछा में कोई भी वीआईपी नहीं होता, यहां के राजा ही सिर्फ यहां पर वीआईपी माने जाते हैं.

Ramraja Temple of Orchha
बेतवा नदी

कैसे ओरछा आए थे राजाराम

कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में ओरछा के तत्कालीन बुंदेला राजा मधुकर शाह कृष्ण के उपासक थे और उनकी रानी गणेश कुंवर भगवान राम को मानती थी. दोनों के बीच ठन गई तो रानी गणेश कुंवर ने प्रतिज्ञा कि वह रामलला को ओरछा लाकर ही मानेंगी. वे अयोध्या गईं और 21 दिन तक तप उपासना की. ऐसी किवदंती है कि निराश होकर वे सरयू नदी में कूद गईं और उन्हें रामलला की प्रतिमा वहीं बाल रूप में गहरे पानी में मिली. राजा राम अयोध्या से रानी के साथ 3 शर्तों पर ओरछा आये थे जिसमें उनकी पहली शर्त थी कि पुश्य नक्षत्र में पैदल चलकर ही जाऊंगा. दूसरी शर्त थी कि ओरछा तभी जाऊंगा जब वहां का राजा कहलाऊंगा और तुम्हें राजधानी बदलनी पड़ेगी. तीसरी शर्त थी कि जहां एक बार बैठ जाऊंगा फिर वहां से नहीं उठूंगा. इसके बाद वे पैदल साधु संतों के साथ वे ओरछा पहुंची और रसोईं में चैत्र रामनवमी के दिन विराजमान कर दिया. अब उसी जगह पर रामराजा सरकार का भव्य मंदिर है.

Ramraja Temple of Orchha
ओरछा के राजाराम

राजाराम को चार बार दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर

कहते हैं कि संवत 1631 में चैत्र शुक्ल नवमी को जब भगवान राम ओरछा आए तो उन्होंने संत समाज को यह आश्वासन भी दिया था कि उनकी राजधानी दोनों नगरों में रहेगी. तब यह बुन्देलखण्ड की 'अयोध्या' बन गया. साढ़े चार सौ साल से राजा के रुप में विराजे भगवान राम को चार बार की आरती में सशस्त्र सलामी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. ओरछा नगर के परिसर में यह गार्ड ऑफ ऑनर रामराजा के अलावा देश के किसी भी वीवीआईपी को नहीं दिया जाता..

Ramraja Temple of Orchha
ओरछा का रामराजा मंदिर
Ramraja Temple of Orchha
रामराजा मंदिर का द्वार

ओरछा। ओरछा नगरी को कल यानी पांच अगस्त को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा. उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी जहां भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण की शिला रखे जाने के साथ नए युग की शुरुआत करने को आतुर है तो वहीं बुंदेलखंड की अयोध्या यानी ओरछा में भी खासी हल-चल दिखाई दे रही है. मान्यता है कि यहां राम भगवान के तौर पर नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं और यहां से ही वो अपनी सत्ता चलाते हैं. यही वजह है कि अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर ओरछा को भी अयोध्या की तर्ज पर सजाया जा रहा है. राम मंदिर भूमिपूजन के बाद यहां पुजारी विशेष पूजा-पाठ करेंगे.

बुंदेलखंड की अयोध्या

राजा के रूप में विराजे हैं राम

मान्यता है कि भगवान श्रीराम की सरकार के दो खास निवास अयोध्या और ओरछा हैं. ओरछा में भगवान, राजा के रूप में विराजित हैं, ये एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का संबंध है. साथ ही यह विश्व का पहला ऐसा मंदिर है, जहां राजा के रूप में रामराजा सरकार को चारों पहर सशस्त्र सलामी दी जाती है.

Ramraja Temple of Orchha
दुल्हन की तरह सजेगी बुंदेलखंड की अयोध्या

घर-घर घी के दीपक जलेंगे

यही वजह है कि कोरोना जैसी महामारी के बावजूद भी कल यानी 5 अगस्त को ओरछा में दीपावली जैसा उत्साह लोगों में दिखेगा और घर-घर घी के दीपक जलाकर उत्साह मनाया जायेगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि हमारे अराध्य और हमारे राजा के जन्म स्थान पर बनाये जा रहे मंदिर को लेकर पूरे ओरछा में खुशी का महौल है और लोग उत्साहित हैं.

Ramraja Temple of Orchha
यहीं से अपनी सत्ता चलाते हैं राजाराम

ओरछा का अयोध्या से लगभग छह सौ साल पुराना नाता

बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा वो नगरी है, जिसका अयोध्या से लगभग छह सौ साल पुराना नाता है. यहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं, यही कारण है कि चार बार होने वाली आरती के समय उन्हें पुलिस जवानों द्वारा सलामी दी जाती है.

Ramraja Temple of Orchha
ओरछा में मौजदू राम मंदिर

सरकार की गाइडलाइन का पालन कर होगा कार्यक्रम

कहा तो यहां तक जाता है कि भक्त राम की प्रतिमा की आंख से आंख नहीं मिलाते बल्कि उनके चरणों के ही दर्शन करते हैं. कल अयोध्या में होने वाले समारोह को लेकर प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है. कोरोना काल में सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए लोग अपने-अपने घरों में दीपक जलाएंगे और कार्यक्रम होगा.

Ramraja Temple of Orchha
बेतवा नदी के किनारे बसी ओरछा नगरी

यहां सिर्फ राजाराम ही वीवीआईपी

ओरछा बुन्देलखण्ड की अयोध्या के नाम से भी मशहूर है. मान्यता है ओरछा की महारानी कुंवर गणेश भगवान राम को अयोध्या से पैदल ओरछा लाई थीं. ओरछा में भगवान राम दिन में रहते हैं और रात होते ही अयोध्या चले जाते हैं. सुबह फिर वापस ओरछा आ जाते हैं. इसीलिए ओरछा में दिन में काफी मोहक और सुंदर लगता है, लेकिन रात में काफी बुरा और वीरान, ऐसा मानो कि ओरछा नगरी उजड़ गई हो. माना जाता है कि ओरछा में कोई भी वीआईपी नहीं होता, यहां के राजा ही सिर्फ यहां पर वीआईपी माने जाते हैं.

Ramraja Temple of Orchha
बेतवा नदी

कैसे ओरछा आए थे राजाराम

कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में ओरछा के तत्कालीन बुंदेला राजा मधुकर शाह कृष्ण के उपासक थे और उनकी रानी गणेश कुंवर भगवान राम को मानती थी. दोनों के बीच ठन गई तो रानी गणेश कुंवर ने प्रतिज्ञा कि वह रामलला को ओरछा लाकर ही मानेंगी. वे अयोध्या गईं और 21 दिन तक तप उपासना की. ऐसी किवदंती है कि निराश होकर वे सरयू नदी में कूद गईं और उन्हें रामलला की प्रतिमा वहीं बाल रूप में गहरे पानी में मिली. राजा राम अयोध्या से रानी के साथ 3 शर्तों पर ओरछा आये थे जिसमें उनकी पहली शर्त थी कि पुश्य नक्षत्र में पैदल चलकर ही जाऊंगा. दूसरी शर्त थी कि ओरछा तभी जाऊंगा जब वहां का राजा कहलाऊंगा और तुम्हें राजधानी बदलनी पड़ेगी. तीसरी शर्त थी कि जहां एक बार बैठ जाऊंगा फिर वहां से नहीं उठूंगा. इसके बाद वे पैदल साधु संतों के साथ वे ओरछा पहुंची और रसोईं में चैत्र रामनवमी के दिन विराजमान कर दिया. अब उसी जगह पर रामराजा सरकार का भव्य मंदिर है.

Ramraja Temple of Orchha
ओरछा के राजाराम

राजाराम को चार बार दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर

कहते हैं कि संवत 1631 में चैत्र शुक्ल नवमी को जब भगवान राम ओरछा आए तो उन्होंने संत समाज को यह आश्वासन भी दिया था कि उनकी राजधानी दोनों नगरों में रहेगी. तब यह बुन्देलखण्ड की 'अयोध्या' बन गया. साढ़े चार सौ साल से राजा के रुप में विराजे भगवान राम को चार बार की आरती में सशस्त्र सलामी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. ओरछा नगर के परिसर में यह गार्ड ऑफ ऑनर रामराजा के अलावा देश के किसी भी वीवीआईपी को नहीं दिया जाता..

Ramraja Temple of Orchha
ओरछा का रामराजा मंदिर
Ramraja Temple of Orchha
रामराजा मंदिर का द्वार
Last Updated : Aug 4, 2020, 11:00 PM IST
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