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बुंदेलखण्ड पर्यटन का विकास नहीं होने पर बुंदेला राजा ने नेताओं को सुनाई खरी-खोटी

बुंदेलखण्ड पर्यटन के विकास को लेकर बुंदेला राजा मधुकर शाह ने नेताओं को खरी खोटी सुना दी.

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बुंदेलखण्ड पर्यटन का विकास
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Published : Jan 6, 2020, 8:44 PM IST

टीकमगढ़। बुंदेलखण्ड पर्यटन के विकास को लेकर बुंदेला राजा मधुकर शाह ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है, 10वीं शताब्दी से देश की आजादी तक बुंदेला रियासत की तूती बोलती थी और इस राजघराने की पिछली पीढ़ियों ने जो अद्भुत स्मारक तामीर कराए थे, वो आज अनदेखी के अभाव में अपनी दुर्दशा पर रो रही है.

बुंदेलखण्ड पर्यटन का विकास

मधुकर शाह का कहना है कि बुंदेलखण्ड के विकास की चिंता किसी को नहीं है, पर्यटकों के आने से कई लोगों को रोजगार को मिलता है, लेकिन नेताओं को कुछ नहीं मिलता, इसलिए नेता बुंदेलखण्ड पर्यटन के विकास के बारे में नहीं सोचते. नेताओं को अपने व्यक्तिगत फायदे से फुरसत मिले तभी वो बुंदेलखण्ड के विकास के बारे में सोचेंगे.

बुंदेलखण्ड का अपने आप में अलग ही इतिहास है, यहां के वीर राजाओं की गाथाएं आज भी पूरे भारत में सुनाई जाती हैं.

टीकमगढ़। बुंदेलखण्ड पर्यटन के विकास को लेकर बुंदेला राजा मधुकर शाह ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है, 10वीं शताब्दी से देश की आजादी तक बुंदेला रियासत की तूती बोलती थी और इस राजघराने की पिछली पीढ़ियों ने जो अद्भुत स्मारक तामीर कराए थे, वो आज अनदेखी के अभाव में अपनी दुर्दशा पर रो रही है.

बुंदेलखण्ड पर्यटन का विकास

मधुकर शाह का कहना है कि बुंदेलखण्ड के विकास की चिंता किसी को नहीं है, पर्यटकों के आने से कई लोगों को रोजगार को मिलता है, लेकिन नेताओं को कुछ नहीं मिलता, इसलिए नेता बुंदेलखण्ड पर्यटन के विकास के बारे में नहीं सोचते. नेताओं को अपने व्यक्तिगत फायदे से फुरसत मिले तभी वो बुंदेलखण्ड के विकास के बारे में सोचेंगे.

बुंदेलखण्ड का अपने आप में अलग ही इतिहास है, यहां के वीर राजाओं की गाथाएं आज भी पूरे भारत में सुनाई जाती हैं.

Intro:10 बी शताब्दी से देश की आजादी तक अपनी शान से रहने वाली बुंदेला रियासत, एवं उनके परिवार के द्वारा बनाए गए अद्भुत स्मारक आज अलग ही दुर्दशा मैं है. आजादी के बाद कयी सरकारे आई और चली गई. पर किसी ने भी बुंदेलखण्ड के पर्यटन विकास के लिये नहीं सोचा. Body:बुंदेलखण्ड एक अपने आप में अलग ही इतिहास है यहा के वीर राजाओं की कथायें आज भी पूरे भारत में कहीं जाती है. बुंदेलखण्ड सबसे पहला राज्य था जो कि भारत के sambidhan मैं सबसे पहले इसी आशा के साथ मिला कि एक ना एक दिन इसकी जनता और बुंदेली इतिहास का विकास होगा. Conclusion:बुंदेला महाराज मधुकर साह जी कहते हैं कि बुंदेलखण्ड के विकास की चिंता किसी को नहीं है. एक पर्यटक के आने से कई लोगों को रोजगार को मिलता है. पर नेताओं को कुछ नहीं मिलता. नेताओं को अपने व्यक्तिगत फायदा से फ़ुरसत मिले तभी वो बुंदेलखण्ड के विकास के बारे में सोचे.
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