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22 भुजाओं वाले गणेश भगवान पूरी करते हैं सबकी मुराद, दुनिया में कहीं नहीं है ऐसा मंदिर

हृदय प्रदेश के पर्यटन स्थल व मठ-मंदिर की अपनी अलग ही विशेषता है. ऐसा ही एक मंदिर है टीकमगढ़ जिले के बानपुर गांव में जहां विराजे भगवान गणेश भक्तों की आस्था का केंद्र है. जिन्हें 22 भुजाओं वाले गणेशजी के नाम से पुकारा जाता है. स्थानीय लोग बताते है कि 22 भुजाओं वाले गणेश भगवान की नृत्य मुद्रा वाला ये दुनिया का इकलौता मंदिर है. इसी मंदिर की वजह से आसपास की बस्ती को लोग गणेशपुर के नाम से भी जानते हैं

22 हाथों वाले गणेश
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Published : Jul 16, 2019, 6:50 PM IST

टीकमगढ़। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा सर्वोपरि है, हर गांव-कस्बे में बने मदिंर दिख जाएंगे, पर कुछ मंदिर ऐसे होते हैं, जिनकी अपनी विशेषता होती है. टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूरी पर बसे बानपुर गांव के पास स्थित गणेश भगवान का मंदिर भी अपने आप में अनोखा है. इस मंदिर में विराजमान 22 भुजाओं वाले गणेश भगवान दुखियारों का दुख दूर करने के लिए भी जाने जाते हैं. लोग बताते हैं कि 22 भुजाओं वाले गणेश भगवान की नृत्य मुद्रा वाला ये दुनिया का इकलौता मंदिर है. इसी मंदिर की वजह से आसपास की बस्ती को लोग गणेशपुर के नाम से भी जानते हैं.

22 हाथों वाले गणेश

मुगल शासक औरंगजेब 1668 में जब मन्दिर और मूर्तियां तोड़वा रहा था, तब औरंगजेब ने इस मूर्ति को भी तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका था. गणेश जी के चमत्कार के चलते ये मूर्ति 70 साल पहले एक जंगल में पड़ी मिली थी, जो सोई मुद्रा में थी. जिस पर नजर पड़ने के बाद उन्हें मंदिर में स्थापित करने तक की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.

22 भुजाओं वाले गणेश भगवान का दर्शन शुभ माना जाता है, जो भी 5 बुधवार गणेश जी के दर्शन करता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं, जिसका दावा आसपास के लोग और खुद मंदिर के पुजारी भी कर रहे हैं.

टीकमगढ़। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा सर्वोपरि है, हर गांव-कस्बे में बने मदिंर दिख जाएंगे, पर कुछ मंदिर ऐसे होते हैं, जिनकी अपनी विशेषता होती है. टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूरी पर बसे बानपुर गांव के पास स्थित गणेश भगवान का मंदिर भी अपने आप में अनोखा है. इस मंदिर में विराजमान 22 भुजाओं वाले गणेश भगवान दुखियारों का दुख दूर करने के लिए भी जाने जाते हैं. लोग बताते हैं कि 22 भुजाओं वाले गणेश भगवान की नृत्य मुद्रा वाला ये दुनिया का इकलौता मंदिर है. इसी मंदिर की वजह से आसपास की बस्ती को लोग गणेशपुर के नाम से भी जानते हैं.

22 हाथों वाले गणेश

मुगल शासक औरंगजेब 1668 में जब मन्दिर और मूर्तियां तोड़वा रहा था, तब औरंगजेब ने इस मूर्ति को भी तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका था. गणेश जी के चमत्कार के चलते ये मूर्ति 70 साल पहले एक जंगल में पड़ी मिली थी, जो सोई मुद्रा में थी. जिस पर नजर पड़ने के बाद उन्हें मंदिर में स्थापित करने तक की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.

22 भुजाओं वाले गणेश भगवान का दर्शन शुभ माना जाता है, जो भी 5 बुधवार गणेश जी के दर्शन करता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं, जिसका दावा आसपास के लोग और खुद मंदिर के पुजारी भी कर रहे हैं.

Intro:एंकर इन्ट्रो / टीकमगढ़ जिले में विश्व के अनोखे 22 भुजाओं के गणेश जी है जो एक अद्भुत शक्ति है जो औरंगजेव के समय के बताए जाते है जिनकी मूर्ति को औरंगजेब भी खंडित नही कर पाया था उनके चमत्कार के चलते


Body:वाईट /01नारायण दाश बुजुर्ग गणेशपूरा

वाईट /02 मुरारी लाल मन्दिर पुजारी गणेश मंदिर गणेशपुरा

वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में विश्व के अनोखे ओर अद्भुत श्री गणेश है जो 22 भुजाओं के है देश आपको 22 भुजाओं के गणेश कहि भी देखने को नही मिलेंगे और वह भी नृत्य की मुद्रा में ऐसे गणेश जी के दर्शन मात्र से ही लोगो की मनोकामनाएं पूरी होती है और लोग कष्ट दूर होते है !यह गणेश मंदिर टीकमगढ़ जिले से 10 किलोमीटर की दूरी पर बानपुर गांव से पहिले है!यहां पर गणेश मंदिर होने से यहां पर एक बस्ती बस गई गणेश पूरा के नाम से यह गणेश मूर्ति औरंगजेव के समय की बताई जाती है !जब हमारे देश पर 1668ई, में औरंगजेव का शासन था उस समय इस तानाशाह शासक ने हिन्दुधर्म की तमाम मन्दिर ओर मूर्तिया तुड़वाई थी लेकिन औरंगजेव ने इस मूर्ति को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन वह सफल नही हो सका था गणेश जी के अद्भुत चमत्कार के चलते ओर यह मूर्ति आज से 70 साल पहिले एक जंगल मे लोगो को पड़ी मिली जो सोई मुद्रा में थी लेकिन लोगो के लाख प्रयास के वाद भी लोग उसको सीधा नही कर सके यहाँ तक हाथियो से भी इस मूर्ति को जमीन से लेठे हुए उठाने का प्रयास किया लेकिन कोई सफल नही हो सका तो लोग चिन्ता में आगये तभी एक पंडित जी को सपना आया कि यहां के महाराजा मर्दन सिंह के परिवार के लोग यदि इस मूर्ति को उठाने का प्रयास करेंगें तो यह लेटे मुद्रा से खड़ी होजावेगी तो फिर क्या था लोगो ने राजा के परिवार के लोगो को दतिया से बुलवाया ओर उन्होंने से मूर्ति को उठाने का प्रयास किया तो यह मूर्ति खड़ी होगई तो फिर लोगो ने एक मन्दिर वनबाकर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करबा दी गई थी तभी यह गनेश इस मंदिर में बिराजमान है !और लोग दूर दूर से उनकी पूजा अर्चना करने जाते है


Conclusion:टीकमगढ़ 22 भुजाओं के गणेश मूर्ति के दर्शन काफी सुभ माने जाते है जो भी 5 बुधवार गणेश जी के दर्शन करने जाता है उसकी सभी मुरादे पूरी होती है!यह एक दुर्लभ विशाल मूर्ति है !जो अभी पुरातत्व विभाग के अधिन है लेकिन अभी तक इस मंदिर का कोई विस्तार नही करवाया गया पुरातत्व विभाग द्वारा यह मूर्ति देश की अनोखी विलक्षण मूर्ति है जिसका पुरातत्व विभाग ने कोई प्रचार प्रसार नही करवाया जिससे देश और विदेश के लोग इस अनोखी मूर्ति को देख सके यह मूर्ति एक आलौकिक है अभी तक आपने चार ओर आठ भुजाओं की गणेश मूर्ति देखी होगी लेकिन 22 भुजाओं की पहलीवार etv भारत आपको दिखाने जा रहा है
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