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गड्ढों में सीधी-सिंगरौली हाईवे, घर तक सही सलामत पहुंचने की कोई गारंटी नहीं

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Published : Jul 11, 2019, 3:26 PM IST

Updated : Jul 11, 2019, 5:06 PM IST

सीधी-सिंगरौली से गुजरने वाले नेशनल हाईवे का काम बंद होने से स्थानीय लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय सांसद रीति पाठक इस मुद्दे को लोकसभा में भी उठा चुकी हैं, लेकिन हाईवे के निर्माण का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है. बरसात में लगातार हो रही बारिश से लोगों का हाईवे पर से निकलना दूभर हो गया है.

गड्ढों में सीधी-सिंगरौली हाईवे

सिंगरौली। तस्वीरों में दिख रही यह खस्ताहाल सड़क किसी गांव का रास्ता नहीं, बल्कि सीधी-सिंगरौली से गुजरने वाला नेशनल हाईवे है. जिसकी हालत देखकर बीमार हो चुके सिस्टम पर तरस आने लगता है, क्योंकि यह नेशनल हाईवे गड्ढों में है या हाईवे में गड्ढे, कुछ पता नहीं चलता.

गड्ढों में सीधी-सिंगरौली हाईवे, घर तक सही सलामत पहुंचने की कोई गारंटी नहीं

मानसून ने इसकी बदसूरती पर और बट्टा लगा दिया है. देवसर से बरगवां तक के रास्ते का आलम तो यह है कि ड्राइवर की जरा सी चूक हुई नहीं कि इंसान इस दुनिया से उस दुनिया की सैर करने की कगार पर पहुंच जाता है, लेकिन क्या करें साहब चलना तो मजबूरी है. हर रोज यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले ड्राईवर भी अब इस सड़क पर गुजरने से डरते हैं.

यात्रियों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. वे कहते हैं कि हम अपने घर जाने के लिए बस में बैठ तो जाते हैं, लेकिन सड़क की हालत देखकर यह कहना मुश्किल है कि घर पहुंच पाएंगे या नहीं, क्योंकि इसका तो भगवान ही मालिक है. अपनी इस हालत पर नेशनल हाईवे भी सरकारी सिस्टम से शायद यही सवाल करता होगा कि हमारा क्या कसूर था जो पिछले आठ सालों से हमें इसी हाल में छोड़ रखा है. स्थानीय सांसद रीति पाठक भी खस्ताहाल हाईवे का मुद्दा देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाती है, लेकिन हाईवे में बदलाव की स्थिति तब भी नजर नहीं आती.

2010 से बन रही इस सड़क के निर्माण के लिए शासन से 27 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे. लेकिन 21 लाख रुपए खर्च होने के बाद भी स्थिति ढाक के तीन पात ही नजर आती है. पिछले आठ सालों से सिस्टम की बेरूखी की मार झेल रहा यह नेशनल हाईवे अब अपनी बदहाली पर रोता नजर आता है. क्योंकि इसका दर्द समझने वाला कोई नजर नहीं आता. लेकिन इसी हाईवे पर चलना इंसान की मजबूरी बन गया है कि क्योंकि उसे अपने घर तक तो जाना ही है.

सिंगरौली। तस्वीरों में दिख रही यह खस्ताहाल सड़क किसी गांव का रास्ता नहीं, बल्कि सीधी-सिंगरौली से गुजरने वाला नेशनल हाईवे है. जिसकी हालत देखकर बीमार हो चुके सिस्टम पर तरस आने लगता है, क्योंकि यह नेशनल हाईवे गड्ढों में है या हाईवे में गड्ढे, कुछ पता नहीं चलता.

गड्ढों में सीधी-सिंगरौली हाईवे, घर तक सही सलामत पहुंचने की कोई गारंटी नहीं

मानसून ने इसकी बदसूरती पर और बट्टा लगा दिया है. देवसर से बरगवां तक के रास्ते का आलम तो यह है कि ड्राइवर की जरा सी चूक हुई नहीं कि इंसान इस दुनिया से उस दुनिया की सैर करने की कगार पर पहुंच जाता है, लेकिन क्या करें साहब चलना तो मजबूरी है. हर रोज यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले ड्राईवर भी अब इस सड़क पर गुजरने से डरते हैं.

यात्रियों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. वे कहते हैं कि हम अपने घर जाने के लिए बस में बैठ तो जाते हैं, लेकिन सड़क की हालत देखकर यह कहना मुश्किल है कि घर पहुंच पाएंगे या नहीं, क्योंकि इसका तो भगवान ही मालिक है. अपनी इस हालत पर नेशनल हाईवे भी सरकारी सिस्टम से शायद यही सवाल करता होगा कि हमारा क्या कसूर था जो पिछले आठ सालों से हमें इसी हाल में छोड़ रखा है. स्थानीय सांसद रीति पाठक भी खस्ताहाल हाईवे का मुद्दा देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाती है, लेकिन हाईवे में बदलाव की स्थिति तब भी नजर नहीं आती.

2010 से बन रही इस सड़क के निर्माण के लिए शासन से 27 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे. लेकिन 21 लाख रुपए खर्च होने के बाद भी स्थिति ढाक के तीन पात ही नजर आती है. पिछले आठ सालों से सिस्टम की बेरूखी की मार झेल रहा यह नेशनल हाईवे अब अपनी बदहाली पर रोता नजर आता है. क्योंकि इसका दर्द समझने वाला कोई नजर नहीं आता. लेकिन इसी हाईवे पर चलना इंसान की मजबूरी बन गया है कि क्योंकि उसे अपने घर तक तो जाना ही है.

Intro:स्क्रिप्ट व यात्रियों की बाइक मोजो सेBody:विजुअल खबर में जोड़ना हैConclusion:
Last Updated : Jul 11, 2019, 5:06 PM IST
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