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Singrauli News: लड़का पैदा होने की खुशी में पहले बांटी मिठाई, बाद में थमा दी लड़की, परिजनों ने अस्पताल के स्टाफ पर लगाया आरोप - Singrauli Crime News

जिला चिकित्सालय के स्टाफ ने परिजनों ने बच्चा बदलने का आरोप लगाया है. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और आरोप लगाया कि उनके बच्चे को बदला गया है. यही नहीं परिजनों ने बच्चे की डीएनए जांच की मांग की है.

Singrauli News
बच्चा बदलने पर अस्पताल में परिजनों ने किया हंगामा
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Published : Aug 8, 2023, 10:58 PM IST

सिंगरौली में बच्चा बदलने पर अस्पताल में परिजनों ने किया हंगामा

सिंगरौली। जिले के जिला चिकित्सालय में अजब गजब मामला सामने आया है, जहां पहले तो अस्पताल के स्टाफ ने परिजनों का बताया कि उनका बेटा हुआ, तो उन्होंने बेटे होने की खुशी में मिठाई खाई, लेकिन मिठाई खाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बेटी दे दी. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और आरोप लगाया कि उनके बच्चे को बदला गया है. यही नहीं परिजनों ने बच्चे की डीएनए जांच की मांग की है.

ये है मामलाः दरअसल सरई थाना के गोरा गांव से 25 जुलाई को सुनीता कोल को प्रसव पीड़ा के दौरान परिजनों ने डिलिवरी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां महिला ने सुरक्षित नवजात शिशु को जन्म दिया. डॉक्टर के मुताबिक नवजात की हालत नाजुक होने पर उसे आईसीयू में रखा गया, जहां पर रोज प्रसूता महिला दुग्धपान कराने जाती थी. नवजात के हालत में सुधार होने के बाद 6 जुलाई को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. दूसरे दिन सोमवार को नवजात बच्चे प्रसूता महिला परिजनों के साथ जिला अस्पताल पहुंची, जहां महिला व परिजनों ने स्टॉफ नर्स व डॉक्टरों पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया है.

परिजनों ने लड़की को ले जाने से किया इनकारः परिजनों का कहना है कि, ''डॉक्टरों ने उनसे लड़का पैदा होने की बात कही गई थी. स्टाफ ने पैसे भी लिए, मिठाई खाई, लेकिन बाद में लड़के को बदलकर लड़की दे दी. जबकि जो पेपर बना था, वो लड़के का बना था और अब पेपर को भी बदलकर उस पर लड़की लिखा गया है. परिजनों ने अब लड़की को अपने साथ ले जाने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि जब तक बच्ची का डीएनए टेस्ट नहीं हो जाता, तब तक वो उसे घर नहीं लेकर जाएंगे.

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महिला का आरोप निराधारः वहीं, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर ओपी झा ने कहा, ''महिला का आरोप निराधार है, महिला को फीमेल चाइल्ड ही पैदा हुआ था. 10 दिन तक महिला ने बच्चे को अपने दूध का सेवन कराया है. अगर कोई मां अपने बच्चे को जब लेती है तो तुरंत पहचान लेती है. 6 जुलाई को उसको डिस्चार्ज किया गया और जब उसके बच्चे को दिया गया. अगर बच्चा न होता तो उसी समय कहती की ये मेरा बच्चा नहीं है, लेकिन उस समय वह अपना बच्चा ले गई. दूसरे दिन सोमवार को रात में अस्पताल में आती है और कहती है की यह मेरा बच्चा नहीं है,इसे बदला गया है. यह आरोप निराधार है. ''

सिंगरौली में बच्चा बदलने पर अस्पताल में परिजनों ने किया हंगामा

सिंगरौली। जिले के जिला चिकित्सालय में अजब गजब मामला सामने आया है, जहां पहले तो अस्पताल के स्टाफ ने परिजनों का बताया कि उनका बेटा हुआ, तो उन्होंने बेटे होने की खुशी में मिठाई खाई, लेकिन मिठाई खाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बेटी दे दी. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और आरोप लगाया कि उनके बच्चे को बदला गया है. यही नहीं परिजनों ने बच्चे की डीएनए जांच की मांग की है.

ये है मामलाः दरअसल सरई थाना के गोरा गांव से 25 जुलाई को सुनीता कोल को प्रसव पीड़ा के दौरान परिजनों ने डिलिवरी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां महिला ने सुरक्षित नवजात शिशु को जन्म दिया. डॉक्टर के मुताबिक नवजात की हालत नाजुक होने पर उसे आईसीयू में रखा गया, जहां पर रोज प्रसूता महिला दुग्धपान कराने जाती थी. नवजात के हालत में सुधार होने के बाद 6 जुलाई को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. दूसरे दिन सोमवार को नवजात बच्चे प्रसूता महिला परिजनों के साथ जिला अस्पताल पहुंची, जहां महिला व परिजनों ने स्टॉफ नर्स व डॉक्टरों पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया है.

परिजनों ने लड़की को ले जाने से किया इनकारः परिजनों का कहना है कि, ''डॉक्टरों ने उनसे लड़का पैदा होने की बात कही गई थी. स्टाफ ने पैसे भी लिए, मिठाई खाई, लेकिन बाद में लड़के को बदलकर लड़की दे दी. जबकि जो पेपर बना था, वो लड़के का बना था और अब पेपर को भी बदलकर उस पर लड़की लिखा गया है. परिजनों ने अब लड़की को अपने साथ ले जाने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि जब तक बच्ची का डीएनए टेस्ट नहीं हो जाता, तब तक वो उसे घर नहीं लेकर जाएंगे.

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महिला का आरोप निराधारः वहीं, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर ओपी झा ने कहा, ''महिला का आरोप निराधार है, महिला को फीमेल चाइल्ड ही पैदा हुआ था. 10 दिन तक महिला ने बच्चे को अपने दूध का सेवन कराया है. अगर कोई मां अपने बच्चे को जब लेती है तो तुरंत पहचान लेती है. 6 जुलाई को उसको डिस्चार्ज किया गया और जब उसके बच्चे को दिया गया. अगर बच्चा न होता तो उसी समय कहती की ये मेरा बच्चा नहीं है, लेकिन उस समय वह अपना बच्चा ले गई. दूसरे दिन सोमवार को रात में अस्पताल में आती है और कहती है की यह मेरा बच्चा नहीं है,इसे बदला गया है. यह आरोप निराधार है. ''

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