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मां सिद्धिदात्री को समर्पित है नवरात्रि का आखिरी दिन, ऐसा करने पर पूरी होती हैं मनोकामनाएं

नवरात्र का अंतिम दिन यानि नवमी को बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन देवी की मन से पूजा करने पर कृपा बरसती है. सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है.

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Published : Oct 7, 2019, 4:34 AM IST

मां सिद्धिदात्री

सिंगरौली। शारदीय नवरात्रि की नवमी को महानवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मां दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री की पूजा होती है. मान्यताओं के अनुसार नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को सभी देवियों की पूजा का फल मिल सकता है. इसके अलावा अद्भुत सिद्धि भी माता भक्तों को प्रदान करती हैं. सिद्धिदात्री माता का वाहन सिंह है.

नवरात्रि के आखिरी दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा

पंडित बताते हैं कि शारदीय नवरात्र का अंतिम दिन यानी नवरात्र बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों पर मां अपनी कृपा बरसाती हैं.

भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की आराधना की थी, जिसके बाद ही उन्होंने सिद्धी प्राप्त की थी. इसी वजह से महादेव का आधा आधा शरीर देवी का हुआ था, जिसकी वजह से वे अर्द्धनारीश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध हुए.
ऐसा है मां का रुप
मां सिद्धिदात्री के रुप की बात करें तो उनकी चार भुजाएं हैं, जिसमें एक में चक्र, दूसरे में गदा, तीसरे में कमल का पूल और चौथे में शंख है. सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और सिंह भी उनका वाहन है.
सिद्धि का क्या अर्थ है?
सिद्धि सम्पूर्णता का अर्थ है, उदाहरण के तौर पर समझें तो किसी भी विषय पर विचार आने से पहले ही कार्य समपन्न हो जाना.

सिंगरौली। शारदीय नवरात्रि की नवमी को महानवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मां दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री की पूजा होती है. मान्यताओं के अनुसार नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को सभी देवियों की पूजा का फल मिल सकता है. इसके अलावा अद्भुत सिद्धि भी माता भक्तों को प्रदान करती हैं. सिद्धिदात्री माता का वाहन सिंह है.

नवरात्रि के आखिरी दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा

पंडित बताते हैं कि शारदीय नवरात्र का अंतिम दिन यानी नवरात्र बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों पर मां अपनी कृपा बरसाती हैं.

भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की आराधना की थी, जिसके बाद ही उन्होंने सिद्धी प्राप्त की थी. इसी वजह से महादेव का आधा आधा शरीर देवी का हुआ था, जिसकी वजह से वे अर्द्धनारीश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध हुए.
ऐसा है मां का रुप
मां सिद्धिदात्री के रुप की बात करें तो उनकी चार भुजाएं हैं, जिसमें एक में चक्र, दूसरे में गदा, तीसरे में कमल का पूल और चौथे में शंख है. सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और सिंह भी उनका वाहन है.
सिद्धि का क्या अर्थ है?
सिद्धि सम्पूर्णता का अर्थ है, उदाहरण के तौर पर समझें तो किसी भी विषय पर विचार आने से पहले ही कार्य समपन्न हो जाना.

Intro:सिंगरौली नवरात्रि के नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जैसा की नाम से ही जाहिर है सिद्धी प्रदान करने वाली माता। मां सिद्धिदात्री की समय भगवान शिव ने भी आराधाना की थी। जिनकी कृपा से उन्होंने सिद्धी प्राप्त की। इनकी कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वह अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वालों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है
Body:सिद्धिदात्री आपको जीवन में अद्भुत सिद्धि, क्षमता प्रदान करती हैं ताकि आप सबकुछ पूर्णता के साथ कर सकें। सिद्धि का क्याअर्थ है? सिद्धि, सम्पूर्णता का अर्थ है – विचार आने से पूर्व ही काम का हो जाना। आपके विचारमात्र, से ही, बिना किसी कार्य किये आपकी इच्छा का पूर्ण हो जाना यही सिद्धि है।

आपके वचन सत्य हो जाएँ और सबकी भलाई के लिए हों। आप किसी भी कार्य को करें वो सम्पूर्ण हो जाए - यही सिद्धि है। ताकि आपका जीवन खुश से भरा रहे सिद्धि आपके जीवन के हर स्तर में सम्पूर्णता प्रदान करती है। यही देवी सिद्धिदात्री की महत्ता है।
Conclusion:
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