ETV Bharat / state

सिंगरौली की हवाओं में जहर घोल रहा एनसीएल, काले गुबार से घुट रहा लोगों का दम - सिंगरौली की हवा हुई खराब, सिंगरौली में प्रदूषण से लोगों को हो रही परेशानी

एनसीएल ने सिंगरौली को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है. कंपनी की तरफ से कागजों पर हंड्रेड परसेंट हैल्दी एनवायरमेंट देने की बातें कही जा रही हैं, लेकिन यहां स्थिति बिल्कुल उलट है.

pollution-caused-by-ncl-in-singrauli
कोयले का गुबार
author img

By

Published : Dec 17, 2019, 10:12 AM IST

सिंगरौली। प्रदूषण देश के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है, मध्यप्रदेश के कई शहर आज इस समस्या से जूझ रहे हैं. सिंगरौली जिले में देश की राजधानी दिल्ली से भी ज्यादा पॉल्यूशन है. यहां की हवा में कोयला और कोयले से जली राख का गुबार फैल गया है, जो लोगों के फेफड़े में समाता जा रहा है.

सिंगरौली की फिजाओं में घुला जहर


दरअसल सिंगरौली में मिनी रत्न कही जाने वाली कंपनी कोल इंडिया काम करती है. एनसीएल ने सिंगरौली को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है. कंपनी द्वारा कागजों में हंड्रेड परसेंट हैल्दी एनवायरमेंट मुहैया करवाने की बातें कही जा रही हैं, लेकिन यहां स्थिति उलट है.

pollution-caused-by-ncl-in-singrauli
काले गुबार के बीच गुजरते लोग

तस्वीरों में दिख रहा धूल का गुबार यह बताने के लिए काफी है कि, यहां पर पॉल्यूशन का आलम क्या है. सिंगरौली के निगाही, बैढन, जयंत या पूरे जिले में धूल के काले गुबार से लोगों का लगातार दम घुट रहा है. शिकायतों के बाद एनजीटी ने संज्ञान तो लिया, लेकिन कारगर कार्रवाई नहीं हुई. लोगों का कहना है कि धूल के गुबार से कई बार बड़े हादसे हो जाते हैं, धूल अब लोगों के घरों में घुस रही हैं जिसकी वजह से लोगों को फेफड़े की तरह- तरह की बीमारियों से जूझना पड़ रहा है.

pollution-caused-by-ncl-in-singrauli
कोयले का गुबार

बता दें कि एनसीएल सीएसआर फंड के माध्यम से साफ-सफाई पॉल्यूशन के नियंत्रण के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी करती है, जो सिर्फ कागजों पर होता है जमीनी स्तर पर एनसीएल का प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम कहीं नहीं दिखाई देता. कलेक्टर खुद इस बात को मान रहे हैं कि, पॉल्यूशन है और उसको कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन ये कब तक हो पाएगा इसका जवाब खुद कलेक्टर के पास भी नहीं है. हालांकि कलेक्टर केवीएस चौधरी ने कहा कि, हम मान रहे हैं कि ओपन कॉस्ट माइंस से हो रहे हैं. प्रदूषण को रोकने के लिए कोल ट्रांसपोर्ट रोड से नहीं होना चाहिए, बल्कि ट्रेन या कोल हैंडलिंग प्लांट से होना चाहिये.

सिंगरौली। प्रदूषण देश के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है, मध्यप्रदेश के कई शहर आज इस समस्या से जूझ रहे हैं. सिंगरौली जिले में देश की राजधानी दिल्ली से भी ज्यादा पॉल्यूशन है. यहां की हवा में कोयला और कोयले से जली राख का गुबार फैल गया है, जो लोगों के फेफड़े में समाता जा रहा है.

सिंगरौली की फिजाओं में घुला जहर


दरअसल सिंगरौली में मिनी रत्न कही जाने वाली कंपनी कोल इंडिया काम करती है. एनसीएल ने सिंगरौली को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है. कंपनी द्वारा कागजों में हंड्रेड परसेंट हैल्दी एनवायरमेंट मुहैया करवाने की बातें कही जा रही हैं, लेकिन यहां स्थिति उलट है.

pollution-caused-by-ncl-in-singrauli
काले गुबार के बीच गुजरते लोग

तस्वीरों में दिख रहा धूल का गुबार यह बताने के लिए काफी है कि, यहां पर पॉल्यूशन का आलम क्या है. सिंगरौली के निगाही, बैढन, जयंत या पूरे जिले में धूल के काले गुबार से लोगों का लगातार दम घुट रहा है. शिकायतों के बाद एनजीटी ने संज्ञान तो लिया, लेकिन कारगर कार्रवाई नहीं हुई. लोगों का कहना है कि धूल के गुबार से कई बार बड़े हादसे हो जाते हैं, धूल अब लोगों के घरों में घुस रही हैं जिसकी वजह से लोगों को फेफड़े की तरह- तरह की बीमारियों से जूझना पड़ रहा है.

pollution-caused-by-ncl-in-singrauli
कोयले का गुबार

बता दें कि एनसीएल सीएसआर फंड के माध्यम से साफ-सफाई पॉल्यूशन के नियंत्रण के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी करती है, जो सिर्फ कागजों पर होता है जमीनी स्तर पर एनसीएल का प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम कहीं नहीं दिखाई देता. कलेक्टर खुद इस बात को मान रहे हैं कि, पॉल्यूशन है और उसको कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन ये कब तक हो पाएगा इसका जवाब खुद कलेक्टर के पास भी नहीं है. हालांकि कलेक्टर केवीएस चौधरी ने कहा कि, हम मान रहे हैं कि ओपन कॉस्ट माइंस से हो रहे हैं. प्रदूषण को रोकने के लिए कोल ट्रांसपोर्ट रोड से नहीं होना चाहिए, बल्कि ट्रेन या कोल हैंडलिंग प्लांट से होना चाहिये.

Intro:सिंगरौली दिल्ली में थोड़ा सा भी पोलूशन हुआ तो हो हल्ला मच जाता है सिर्फ दिल्ली में नहीं बल्कि पूरे देश में, असल में दिल्ली राजधानी जो ठहरी लेकिन सिंगरौली जिले में दिल्ली से कहीं ज्यादा पॉल्यूशन हैं यहां की हवा से कोयले और कोयले से जली राख का गुबार लोगो के फेफड़े में समा जा रहा है पर देखने वाला कोई नहीं। यहां पर कोल इंडिया की मिनी रत्न कंपनी बस कहने के लिए मिनी रत्न कंपनी बची है Body:दरअसल सिंगरौली जिले को नर्क बनाने में एनसीएल कोई कमी नहीं छोड़ रहा है बस कागजों में हंड्रेड परसेंट हैल्दी एनवायरमेंट की बातें कहकर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है। असल में कहानी इसके बिल्कुल उलट है सिंगरौली जिले में पॉल्यूशन दमघोटू साबित हो रहा है आपकी टीवी स्क्रीन पर दिख रहा है यह धूल का गुबार यह बताने के लिए काफी है यहां पर पॉल्यूशन किस कदर है । चाहे निगाही हो, बैढंन हो, जयंत या फिर सिंगरौली हो, चारों तरफ यह काले धूल के गुबार से लोगों का लगातार दम घुट रहा हैं शिकायतों के बाद एनजीटी ने संज्ञान तो लिया लेकिन कारगर कार्यवाही एनजीपी जैसे संस्था भी नहीं करवा पा रही है । यहां यह भी बताना जरूरी है कि एनसीएल सीएसआर फंड के माध्यम से साफ-सफाई पॉल्यूशन के नियंत्रण के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी करता है जो सिर्फ कागजों पर होता है जमीनी स्तर पर एनसीएल का प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम कहि नहीं दिखाई देता। कलेक्टर खुद इस बात को मान रहे हैं कि पॉल्यूशन है और उसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं एनसीएल से बात भी हो रही है लेकिन यह कब तक हो पाएगा इसका जवाब खुद कलेक्टर के पास भी जबाब नहीं है ।


बाइट कलेक्टर केवीएस चौधरी
बाइट अमरचंद साहू रहवासीConclusion:वही कलेक्टर केवीएस चौधरी ने कहा कि हम मान रहे हैं की ओपन कॉस्ट माइंस से हो रहे हैं प्रदूषण और कॉल ट्रांसपोर्ट रोड से नहीं होना चाहिए जिसको लेकर कॉल हैंडलिंग से होना चाहिए
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.