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MP में शिक्षा का हाल देखिए! शिव-राज में खुले आसमान के नीचे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं बच्चे

मध्य प्रदेश प्रदेश के कई इलाकों में सरकार और शिक्षा विभाग की लापरवाही दर्जनों बच्चों पर भारी पड़ रही है. सिंगरौली के ताल में स्कूल भवन जर्जर होने के चलते बच्चो खुले आसमान के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. लेकिन जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. (Singrauli Poor Education Infrastructure) (Singrauli School Building Dilapidated) (Singrauli Children Studying Under Open Sky)

Singrauli Children Studying Under Open Sky
खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे बच्चे
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Published : Sep 28, 2022, 1:55 PM IST

सिंगरौली। मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर शासन-प्रशासन के दावों की हकीकत विपरीत है. स्कूल में व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपए का बजट स्वीकृत किया जाता है. इसके बाद भी जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जो ना सिर्फ जर्जर हैं, बल्कि उनमें पेयजल जैसी जरूरी सुविधाओं का अभाव है. एमपी में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है सिंगरौली के ताल में बना शासकीय प्राथमिक विद्यालय. सिंगरौली जिले की ये तस्वीरें सरकारी दावों की हकीकत बयान कर रही है. सरकारी स्कूल में जमीन पर बैठे बच्चे, हाथों में किताब और सिर पर खुला आसमान. ये तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि यहां के सरकारी स्कूल में बच्चे किन हालातों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे बच्चे

स्कूल में जगह-जगह दरारें: सिंगरौली जिले के ताल गांव में शासकीय विद्यालय का भवन जर्जर होने के कारण छात्र स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि स्कूल की बिल्डिंग पिछले 2 सालों से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की छत में जगह जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं एक कमरे की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जान का खतरा होने के कारण शिक्षकों ने स्कूल को खुले आसमान के नीचे संचालित करना शुरू कर दिया. हाल यह है कि बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ती है.

जिम्मेदार बेखर: स्कूल की हालत देखकर बच्चों के अभिवावक भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं. इस सबके बावजूद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे. जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर ही खानापूर्ति कर रहे हैं. (Singrauli School Building Dilapidated)

खस्ताहाल है एमपी का यह स्कूल यहां छत नहीं छाते के नीचे पढ़ने को मजबूर है भारत का भविष्य

कभी भी हो सकता है बड़ा हदसा: प्रधानाध्यापक धीरेंद्र दुबे ने बताया कि ''स्कूल भवन की छत जर्जर हालत में है. कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा है, इसके लिए कई बार वरीय अधिकारियों को सूचना दी गई है, पर उनकी तरफ से कोई पहल नहीं हो पाई है''. साथ ही उन्होंने बताया कि छात्रों को स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठाकर शिक्षा दी जा रही है.

सरकार की शिक्षा नीतियों को लग रहा पलीता: बता दें कि सरकार के शिक्षा का अधिकार, सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है. लेकिन शासन प्रशासन आंख-कान मूंद कर बैठा है. न बेंच है, और भवन है तो वह भी जर्जर हालत में. खुले आसमां के नीचे पढ़ने की मजबूरी है. यही है हमारे शिक्षण संस्थानों की तस्वीर, जो सरकार के सुशासन के नारे को चिढ़ा रही है.

(MP Poor Education Infrastructure) (Singrauli Poor Education Infrastructure) (Singrauli School Building Dilapidated) (Singrauli Children Studying Under Open Sky)

सिंगरौली। मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर शासन-प्रशासन के दावों की हकीकत विपरीत है. स्कूल में व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपए का बजट स्वीकृत किया जाता है. इसके बाद भी जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जो ना सिर्फ जर्जर हैं, बल्कि उनमें पेयजल जैसी जरूरी सुविधाओं का अभाव है. एमपी में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है सिंगरौली के ताल में बना शासकीय प्राथमिक विद्यालय. सिंगरौली जिले की ये तस्वीरें सरकारी दावों की हकीकत बयान कर रही है. सरकारी स्कूल में जमीन पर बैठे बच्चे, हाथों में किताब और सिर पर खुला आसमान. ये तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि यहां के सरकारी स्कूल में बच्चे किन हालातों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे बच्चे

स्कूल में जगह-जगह दरारें: सिंगरौली जिले के ताल गांव में शासकीय विद्यालय का भवन जर्जर होने के कारण छात्र स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. बताया जा रहा है कि स्कूल की बिल्डिंग पिछले 2 सालों से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की छत में जगह जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं एक कमरे की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जान का खतरा होने के कारण शिक्षकों ने स्कूल को खुले आसमान के नीचे संचालित करना शुरू कर दिया. हाल यह है कि बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ती है.

जिम्मेदार बेखर: स्कूल की हालत देखकर बच्चों के अभिवावक भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं. इस सबके बावजूद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे. जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर ही खानापूर्ति कर रहे हैं. (Singrauli School Building Dilapidated)

खस्ताहाल है एमपी का यह स्कूल यहां छत नहीं छाते के नीचे पढ़ने को मजबूर है भारत का भविष्य

कभी भी हो सकता है बड़ा हदसा: प्रधानाध्यापक धीरेंद्र दुबे ने बताया कि ''स्कूल भवन की छत जर्जर हालत में है. कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा है, इसके लिए कई बार वरीय अधिकारियों को सूचना दी गई है, पर उनकी तरफ से कोई पहल नहीं हो पाई है''. साथ ही उन्होंने बताया कि छात्रों को स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठाकर शिक्षा दी जा रही है.

सरकार की शिक्षा नीतियों को लग रहा पलीता: बता दें कि सरकार के शिक्षा का अधिकार, सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है. लेकिन शासन प्रशासन आंख-कान मूंद कर बैठा है. न बेंच है, और भवन है तो वह भी जर्जर हालत में. खुले आसमां के नीचे पढ़ने की मजबूरी है. यही है हमारे शिक्षण संस्थानों की तस्वीर, जो सरकार के सुशासन के नारे को चिढ़ा रही है.

(MP Poor Education Infrastructure) (Singrauli Poor Education Infrastructure) (Singrauli School Building Dilapidated) (Singrauli Children Studying Under Open Sky)

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