सिंगरौली। एमपी के विधानसभा चुनाव के परिणामों ने सभी को चकित कर दिया है. कांटे की टक्कर माने जा रहे इस चुनाव में बीजेपी प्रचंड जीत के साथ प्रदेश में अपनी सरकार बनाए रखने में कामयाब हुई. प्रदेश में बीजेपी को 163, कांग्रेस को 66 तो एक अन्य को सीट मिली है. वहीं विंध्य क्षेत्र के सिंगरौली सीट का चुनाव काफी दिलचस्प था, क्योंकि यहां मुकाबला त्रिकोणीय था. कांग्रेस-बीजेपी के अलावा आम आदमी से मेयर और प्रत्याशी रानी अग्रवाल मैदान में थीं, लेकिन रानी अग्रवाल यहां रानी नहीं बन पाईं.
रानी अग्रवाल की जमानत जब्त: सिंगरौली सीट पर बीजेपी के रामनिवास शाह ने 37977 वोटों से जीत हासिल की. यहां दूसरे नंबर कांग्रेस तो तीसरे पर आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल रहीं. यानि की विधानसभा चुनाव के परिणामों में जनता ने रानी अग्रवाल की जमानत जब्त करा दी. खास बात यह है कि विंध्य क्षेत्र में ही आप ने सबसे ज्यादा जोर लगाया था. दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब सीएम भगवंत मान ने लगातार विंध्य के अलग-अलग क्षेत्रों में चुनावी सभाएं और रैलियां की थी.
साल 2018 में भी हारीं रानी अग्रवाल: बता दें रानी अग्रवाल साल 2022 में एमपी में हुए निकाय चुनाव में रानी अग्रवाल 9 हजार वोटों से जीतकर आम आदमी पार्टी की महापौर बनी थीं. इससे पहले रानी अग्रवाल ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सिंगरौली सीट से चुनाव लडी थीं, लेकिन इस चुनाव में भी वे बहुत कम अंतर से चुनाव हार गईं थी. रानी अग्रवाल सिंगरौली के बरगंवा की रहने वाली हैं, उनका लकड़ी का कारोबार है.
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आप की मेयर नहीं बन सकी विधायक: रानी अग्रवाल संरपच के चुनाव से लेकर जिला पंचायत सदस्य के रास्ते सिंगरौली की मेयर बनीं फिर विधायक पद का चुनाव लड़ा, लेकिन बुरी तरह से हार मिली. रानी अग्रवाल पहले बीजेपी में थीं, लेकिन 2018 के चुनाव में टिकट न मिलने पर आप का दामन थाम लिया था. रानी अग्रवाल के समर्थन में रैली करने केजरीवाल और भगवंत दोनों सीएम सिंगरौली पहुंचे थे. यहां तक की 2 नवंबर को रैली के दौरान दिल्ली सीएम केजरीवाल ने यहां तक कहा था कि जिस दिन नतीजे आएंगे मुझे पता नहीं मैं जेल में रहूंगा या बाहर, लेकिन मैं जहां भी रहूं, मुझे आवाज आनी चाहिए की केजरीवाल सिंगरौली आया था और यहां की जनता ने रानी अग्रवाल को ऐतिहासिक जीत देकर भेजा है, लेकिन केजरीवाल का यह सपना पूरा नहीं हो पाया. सिंगरौली की जनता ने रानी अग्रवाल की जगह बीजेपी प्रत्याशी को राजा बनाकर विधानसभा भेजा.