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कलेक्टर जनसुनवाई बनी मजाक! ग्रामीणों का आरोप- नहीं होती सुनवाई - Sidhi Collector Abhishek Singh

सीधी में जनसुवाई महज औपचारिकता बनकर रह गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि 8 से 10 बार शिकायत करने के बाद भी उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा रहा है.

Hearing of complainants not being held in public hearing
जनसुनवाई में नहीं हो रही फरियादियों की सुनवाई
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Published : Jan 1, 2020, 8:26 AM IST

सीधी। सीधी कलेक्टर की जनसुनवाई मजाक बनकर रह गई है. जहां दूर-दराज से ग्रामीण बड़े ही उम्मीद से कलेक्टर के पास अपनी फरियाद लेकर आते हैं, लेकिन ग्रामीणों को केवल निराशा ही हाथ लग रही है. फरियादियों का आरोप है कि कई बार जनसुनवाई में अधिकारियों से फरियाद कर चुके हैं, पर महीनों बीत जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

जनसुनवाई बनी मजाक

हर मंगलवार को 300 से 400 आवेदन आते हैं. ऐसे में ग्रामीणों का आरोप है कि उन आवेदनों को कचरे में फेंक दिया जाता है. फरियादी का कहना है कि वे दूर-दराज से किराया लगाकर इसी उम्मीद में जनसुनवाई में पहुंचते हैं कि कलेक्टर उनकी समस्या का समाधान करेंगे, उन्हें न्याय दिलाएंगे, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है.

एक अन्य ग्रामीण का आरोप है कि जनसुनवाई के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाने का काम किया जा रहा है. जनसुनवाई के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जा रही है. कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनावाई नहीं हो रही है. इस मामले में तहसीलदार लक्ष्मीकांत मिश्रा का दावा है कि सभी की समस्याओं का निराकरण किया जाता है. किसी समस्या को निपटाने में समय लगता है तो कोई समस्या जल्द निपटा दिया जाता है.

सीधी। सीधी कलेक्टर की जनसुनवाई मजाक बनकर रह गई है. जहां दूर-दराज से ग्रामीण बड़े ही उम्मीद से कलेक्टर के पास अपनी फरियाद लेकर आते हैं, लेकिन ग्रामीणों को केवल निराशा ही हाथ लग रही है. फरियादियों का आरोप है कि कई बार जनसुनवाई में अधिकारियों से फरियाद कर चुके हैं, पर महीनों बीत जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

जनसुनवाई बनी मजाक

हर मंगलवार को 300 से 400 आवेदन आते हैं. ऐसे में ग्रामीणों का आरोप है कि उन आवेदनों को कचरे में फेंक दिया जाता है. फरियादी का कहना है कि वे दूर-दराज से किराया लगाकर इसी उम्मीद में जनसुनवाई में पहुंचते हैं कि कलेक्टर उनकी समस्या का समाधान करेंगे, उन्हें न्याय दिलाएंगे, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है.

एक अन्य ग्रामीण का आरोप है कि जनसुनवाई के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाने का काम किया जा रहा है. जनसुनवाई के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जा रही है. कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनावाई नहीं हो रही है. इस मामले में तहसीलदार लक्ष्मीकांत मिश्रा का दावा है कि सभी की समस्याओं का निराकरण किया जाता है. किसी समस्या को निपटाने में समय लगता है तो कोई समस्या जल्द निपटा दिया जाता है.

Intro:एंकर-- सीधी में कलेक्टर की जनसुनवाई मजाक साबित हो रही है हर मंगलवार को जिला पंचायत मैं आयोजित होने वाली जनसुनवाई में दूर-दूर से ग्रामीण बड़े ही उम्मीद से कलेक्टर को अपनी फरियाद सुनाने पहुंचते हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान जिला कलेक्टर कर देंगे लेकिन हद तो तब हो जाती है जब फरियादी एक बार नहीं अनेक बार शिकायत करता है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं होता वहीं जिला प्रशासन के अधिकारी कहते हैं कि नहीं ऐसा नहीं है लोगों की समस्याएं दूर की जाती है।


Body:वाइस ओवर(1)- सीधी में हर मंगलवार को जिला पंचायत कार्यालय में जिला कलेक्टर की जनसुनवाई आयोजित की जाती है जहां जिले की सभी विभागों के अधिकारी मौजूद रहते हैं गरीबों की समस्याओं को दूर करने के लिए जनसुनवाई की जाती है लेकिन सिर्फ औपचारिकता के अलावा कुछ नहीं हर मंगलवार को 300 से लेकर 400 आवेदन आते हैं ,ग्रामीण आरोप लगाते है कि शायद उन आवेदनों को कचरे में फेंक दिया जाता है ग्रामीण दूर-दूर से अपना कीमती समय देकर किराया भाड़ा लगाकर इसी उम्मीद से आते हैं कि अब की बार उन्हें जरूर कलेक्टर साहब न्याय दिलाएंगे लेकिन एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि बार-बार ग्रामीण जन सुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर से फरियाद करते हैं लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगती ग्रामीणों का कहना है कि यहां सिर्फ जनता को बेवकूफ बनाने की दुकान है जहां सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती है अनेक बार शिकायत करने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं होगी तो प्रशासन से भरोसा उठ नहीं लगता है।।
बाइट(1)रमेश सिंग(फरियादी)
बाइट(2) रामलाल बसोर(फरियादी)
बाइट(3)विकास शर्मा(फरियादी)।
वहीं इस मामले में जिला प्रशासन का कहना है कि जनसुनवाई सिर्फ औपचारिकता नहीं लोगों की समस्याओं का निराकरण होता है किसी समस्या में समय लगता है और किसी समस्या को जल्द निपटा दिया जाता है।
बाइट(4) लक्ष्मीकांत मिश्रा तहसीलदार सीधी।


Conclusion:बहरहाल ग्रामीण बड़ी उम्मीद के साथ कलेक्टर की जनसुनवाई में यही सोच कर आते हैं कि इस बार जरूर कलेक्टर उनकी सुनेंगे और उनकी समस्याओं का निराकरण होगा लेकिन जब बार-बार शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती ग्रामीण हताश और निराश होकर बैठ जाते हैं और प्रशासन पर भरोसा उठने लगता है ऐसे में देखना होगा कि शासन क्या कोई कदम उठाता है।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश।
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