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जान की बाजी लगाकर जिन्होंने की सेवा, उन्हीं को सरकार ने कर दिया बेदखल - health workers

कोरोना संक्रमण के मरीजों की देखभाल के लिए शासन ने अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की थी, लेकिन जैसे ही सीधी जिले में कोरोना का ग्राफ नीचे आया, वैसे ही शासन ने उन्हे बेरोजगार कर दिया.

Temporary health workers sitting on strike
धरने पर बैठे अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी
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Published : Dec 3, 2020, 7:55 PM IST

सीधी। पूरे देश में फैले कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की गई थी. जिन्होंने लगभग आठ महीने कोरोना मरीजों की सेवा की, लेकिन सीधी में जैसे ही कोरोना का ग्राफ कम हुआ, वैसे ही शासन ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिसके बाद अब ये कोरोना युद्धा बेरोजगार हो गए हैं. गुरुवार को अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी जिला अस्पताल के सामने धरने पर बैठे गए. इनका कहना है कि पूरे प्रदेश से कोरोना योद्धाओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेवाएं की, उन्हें बचाया, लेकिन आज हम खुद बेरोजगार हो गए हैं. वहीं इस मामले में विधायक ने कहा है कि शासन से बात कर कोई रास्ता निकाला जाएगा.

Temporary health workers sitting on strike
धरने पर बैठे अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी

कोरोना की जंग लड़कर अपनी जान जोखिम में डालने वाले कोरोना युद्धा सडकों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं. देश में कोरोना वायरस के बाद शासन ने कोरोना पाजिटिव मरीजों की जान बचाने के लिए प्रदेश में अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की थी. जिन्होंने आठ माह तक अलग अलग कोविड सेंटरों में रहकर उनका इलाज किया. पॉजिटिव मरीजों के साथ रह कर अपनी जान जोखिम में डाली, लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण कम हुआ, वैसे ही शासन ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

सीधी जिले में करीब 235 स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की गई थी. जब इन अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को पता चला कि सरकार ने इन्हें निकालने का आदेश जारी कर दिया है, तो इन सबके नीचे से जमीन ही खिसक गई. मजबूरन इन्होंने सड़क पर उतरकर आंदोलन की राह पकड़ ली है. अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि जब सरकार को जरूरत थी तब रख लिया अब काम निकल जाने के बाद बाहर कर दिया.

वहीं इस मामले में भाजपा विधायक केदार नाथ शुक्ला का कहना है कि अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर सरकार से बात करेंगे. वहीं सीएमएचओ बीएल मिश्रा का कहना है कि हम शासन की गाइडलाइन का पालन करते हैं. शासन इन्हें रखने का आदेश करेगी तो रख लिया जाएगा.

सीधी। पूरे देश में फैले कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की गई थी. जिन्होंने लगभग आठ महीने कोरोना मरीजों की सेवा की, लेकिन सीधी में जैसे ही कोरोना का ग्राफ कम हुआ, वैसे ही शासन ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिसके बाद अब ये कोरोना युद्धा बेरोजगार हो गए हैं. गुरुवार को अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी जिला अस्पताल के सामने धरने पर बैठे गए. इनका कहना है कि पूरे प्रदेश से कोरोना योद्धाओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेवाएं की, उन्हें बचाया, लेकिन आज हम खुद बेरोजगार हो गए हैं. वहीं इस मामले में विधायक ने कहा है कि शासन से बात कर कोई रास्ता निकाला जाएगा.

Temporary health workers sitting on strike
धरने पर बैठे अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी

कोरोना की जंग लड़कर अपनी जान जोखिम में डालने वाले कोरोना युद्धा सडकों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं. देश में कोरोना वायरस के बाद शासन ने कोरोना पाजिटिव मरीजों की जान बचाने के लिए प्रदेश में अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की थी. जिन्होंने आठ माह तक अलग अलग कोविड सेंटरों में रहकर उनका इलाज किया. पॉजिटिव मरीजों के साथ रह कर अपनी जान जोखिम में डाली, लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण कम हुआ, वैसे ही शासन ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

सीधी जिले में करीब 235 स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की गई थी. जब इन अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को पता चला कि सरकार ने इन्हें निकालने का आदेश जारी कर दिया है, तो इन सबके नीचे से जमीन ही खिसक गई. मजबूरन इन्होंने सड़क पर उतरकर आंदोलन की राह पकड़ ली है. अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि जब सरकार को जरूरत थी तब रख लिया अब काम निकल जाने के बाद बाहर कर दिया.

वहीं इस मामले में भाजपा विधायक केदार नाथ शुक्ला का कहना है कि अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर सरकार से बात करेंगे. वहीं सीएमएचओ बीएल मिश्रा का कहना है कि हम शासन की गाइडलाइन का पालन करते हैं. शासन इन्हें रखने का आदेश करेगी तो रख लिया जाएगा.

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