सीधी। पूरे देश में फैले कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की गई थी. जिन्होंने लगभग आठ महीने कोरोना मरीजों की सेवा की, लेकिन सीधी में जैसे ही कोरोना का ग्राफ कम हुआ, वैसे ही शासन ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिसके बाद अब ये कोरोना युद्धा बेरोजगार हो गए हैं. गुरुवार को अस्थाई स्वास्थ्य कर्मी जिला अस्पताल के सामने धरने पर बैठे गए. इनका कहना है कि पूरे प्रदेश से कोरोना योद्धाओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सेवाएं की, उन्हें बचाया, लेकिन आज हम खुद बेरोजगार हो गए हैं. वहीं इस मामले में विधायक ने कहा है कि शासन से बात कर कोई रास्ता निकाला जाएगा.
कोरोना की जंग लड़कर अपनी जान जोखिम में डालने वाले कोरोना युद्धा सडकों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं. देश में कोरोना वायरस के बाद शासन ने कोरोना पाजिटिव मरीजों की जान बचाने के लिए प्रदेश में अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की थी. जिन्होंने आठ माह तक अलग अलग कोविड सेंटरों में रहकर उनका इलाज किया. पॉजिटिव मरीजों के साथ रह कर अपनी जान जोखिम में डाली, लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण कम हुआ, वैसे ही शासन ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.
सीधी जिले में करीब 235 स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती की गई थी. जब इन अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को पता चला कि सरकार ने इन्हें निकालने का आदेश जारी कर दिया है, तो इन सबके नीचे से जमीन ही खिसक गई. मजबूरन इन्होंने सड़क पर उतरकर आंदोलन की राह पकड़ ली है. अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि जब सरकार को जरूरत थी तब रख लिया अब काम निकल जाने के बाद बाहर कर दिया.
वहीं इस मामले में भाजपा विधायक केदार नाथ शुक्ला का कहना है कि अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर सरकार से बात करेंगे. वहीं सीएमएचओ बीएल मिश्रा का कहना है कि हम शासन की गाइडलाइन का पालन करते हैं. शासन इन्हें रखने का आदेश करेगी तो रख लिया जाएगा.