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घनघोर Corruption: रसूखदार को तोहफे में दे दी सड़क, नाली खोदने पर निकला भ्रष्टाचार का कचरा - सीधी में सड़क चोरी

सीधी जिला इन दिनों एक खास वजह से चर्चा में है. यहां चोरी खूब हो रही है. वो भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि सड़क की. इस बार मामला सड़क निर्माण के लिए आवंटित भूमि में रसूखदार को तोहफे में दिए पट्टे का है.

patte ki sadak
पट्टे की सड़क
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Published : Jul 8, 2021, 11:39 AM IST

Updated : Jul 8, 2021, 12:19 PM IST

सीधी। सीधी से एक खबर आई. सड़क चोरी से जुड़ी थी. जिसने सुर्खियां खूब बटोरी थी. गांव वाले शासन प्रशासन के रवैये से नाराज थे सो अपनी शिकायत भी दर्ज कराई थी. मामले ने काफी तूल पकड़ा और ऊपर से लेकर नीचे तक के कर्मचारियों की मजम्मत हुई. कुछ इसी तरह का मामला फिर प्रकाश में आया है. इस बार भी जिला सीधी ही है. यहां के सिहाबल गांव की 2 किलोमीटर लम्बी सड़क चोरी की पड़ताल हुई तो पता चला कि सड़क रसूखदारों के नाम है यानी उस पर कब्जा उनका ही है.

सड़क पर खोद दी नाली

सड़क पर रसूखदारों का कब्जा है. कहते हैं ये तो उनके पट्टे की जमीन है. बेपरवाही इतनी कि अपने पट्टे वाली जमीन (यहां सड़क) पर नालियां खोद दी हैं. परेशान स्थानीय लोगों ने प्रशासन का द्वार खटखटाया.

ये तो भ्रष्टाचार है

जिम्मेदार लोग रिवायतन हीला हवाली कर रहें हैं. SDM तो शिकायत सुन कर परेशान हैं. राजस्व निरीक्षक मामले की जाँच करने का भरोसा दे रहें है. ऐसे में सवाल यही खड़ा होता है की पट्टे की भूमि में पक्की सड़क बनी कैसे वह भी सार्वजनिक. यानी मामला भ्रष्टाचार का है इससे इनकार नहीं किया जा सकता.

80 गांवों को जोड़ती है सड़क

सिहाबल जनपद मुख्यालय की मुख्य सड़क 80 गाँवों को जोड़ती है. यहां से हर रोज जनपद अधिकारी, SDM, तहसीलदार गुजरते हैं. लेकिन शायद उन्होंने भी इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई. जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर दो किलोमीटर की सड़क सरकारी रिकार्ड से चोरी कैसे हो गई.

दबंगों का कब्जे ने किया जीना मुहाल

लोग परेशान हैं. 2 किलोमीटर की जमीन पर गाँव के ही एक रसूखदार के नाम का पट्टा है. हालात ये है कि सड़क के दोनो तरफ रहने वालों का निकलना मुहाल हो गया है. क्योंकि पट्टेदार अब उस पर अपना मालिकाना हक दबंगई से हासिल करने में लगे हैं. एक ने तो मकान बनाने की कोशिश की लोगों ने रोका तो नाली ही खोद डाली.

1990 में ही हुआ कुछ ऐसा कि सड़क साफ हो गई

पीड़ित रहवासियों की माने तो 50 वर्ष से यह सार्वजनिक सड़क रही. लेकिन 1990 में हुये बन्दोबस्त के दरमियान सड़क की जमीन का बंदरबाट हो गया. रसूखदार ने पट्टा हासिल कर लिया किया. ऐसे भी नहीं है पीड़ित परिवार मामले की इसके पहले कभी शिकायत नहीं कि लेकिन सरकारी सिस्टम में पीड़ितो की सुनवाई ही नहीं हुई.

SDM बोले जांच होगी

मामले के मीडिया में छाते ही एसडीएम साहब के होश फाख्ता हो गए. सवाल दागा गया तो बोले कि जांच होगी. कहा- सड़क की जमीन का नक्शा खसरा गलत है. इसमें सुधार के लिये राजस्व निरीक्षक से पहले मामले की जाँच कराई जाएगी. जाँच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी.

सीधी। सीधी से एक खबर आई. सड़क चोरी से जुड़ी थी. जिसने सुर्खियां खूब बटोरी थी. गांव वाले शासन प्रशासन के रवैये से नाराज थे सो अपनी शिकायत भी दर्ज कराई थी. मामले ने काफी तूल पकड़ा और ऊपर से लेकर नीचे तक के कर्मचारियों की मजम्मत हुई. कुछ इसी तरह का मामला फिर प्रकाश में आया है. इस बार भी जिला सीधी ही है. यहां के सिहाबल गांव की 2 किलोमीटर लम्बी सड़क चोरी की पड़ताल हुई तो पता चला कि सड़क रसूखदारों के नाम है यानी उस पर कब्जा उनका ही है.

सड़क पर खोद दी नाली

सड़क पर रसूखदारों का कब्जा है. कहते हैं ये तो उनके पट्टे की जमीन है. बेपरवाही इतनी कि अपने पट्टे वाली जमीन (यहां सड़क) पर नालियां खोद दी हैं. परेशान स्थानीय लोगों ने प्रशासन का द्वार खटखटाया.

ये तो भ्रष्टाचार है

जिम्मेदार लोग रिवायतन हीला हवाली कर रहें हैं. SDM तो शिकायत सुन कर परेशान हैं. राजस्व निरीक्षक मामले की जाँच करने का भरोसा दे रहें है. ऐसे में सवाल यही खड़ा होता है की पट्टे की भूमि में पक्की सड़क बनी कैसे वह भी सार्वजनिक. यानी मामला भ्रष्टाचार का है इससे इनकार नहीं किया जा सकता.

80 गांवों को जोड़ती है सड़क

सिहाबल जनपद मुख्यालय की मुख्य सड़क 80 गाँवों को जोड़ती है. यहां से हर रोज जनपद अधिकारी, SDM, तहसीलदार गुजरते हैं. लेकिन शायद उन्होंने भी इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई. जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर दो किलोमीटर की सड़क सरकारी रिकार्ड से चोरी कैसे हो गई.

दबंगों का कब्जे ने किया जीना मुहाल

लोग परेशान हैं. 2 किलोमीटर की जमीन पर गाँव के ही एक रसूखदार के नाम का पट्टा है. हालात ये है कि सड़क के दोनो तरफ रहने वालों का निकलना मुहाल हो गया है. क्योंकि पट्टेदार अब उस पर अपना मालिकाना हक दबंगई से हासिल करने में लगे हैं. एक ने तो मकान बनाने की कोशिश की लोगों ने रोका तो नाली ही खोद डाली.

1990 में ही हुआ कुछ ऐसा कि सड़क साफ हो गई

पीड़ित रहवासियों की माने तो 50 वर्ष से यह सार्वजनिक सड़क रही. लेकिन 1990 में हुये बन्दोबस्त के दरमियान सड़क की जमीन का बंदरबाट हो गया. रसूखदार ने पट्टा हासिल कर लिया किया. ऐसे भी नहीं है पीड़ित परिवार मामले की इसके पहले कभी शिकायत नहीं कि लेकिन सरकारी सिस्टम में पीड़ितो की सुनवाई ही नहीं हुई.

SDM बोले जांच होगी

मामले के मीडिया में छाते ही एसडीएम साहब के होश फाख्ता हो गए. सवाल दागा गया तो बोले कि जांच होगी. कहा- सड़क की जमीन का नक्शा खसरा गलत है. इसमें सुधार के लिये राजस्व निरीक्षक से पहले मामले की जाँच कराई जाएगी. जाँच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी.

Last Updated : Jul 8, 2021, 12:19 PM IST
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