ETV Bharat / state

अजब एमपी का गजब गांव, यहां बंदूक रखने से बच्चे पैदा होने की है मान्यता

मध्यप्रदेश के सीधी जिले में जंगलों के बीच एक ऐसा गांव है, जो अजब गजब मान्यताओं को लेकर चर्चा में रहा है. इस गांव में 35 सालों से बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी है. जहां ग्रामीणों की मान्यता है कि घर में बंदूक रखने से बच्चे पैदा होने लगते है.

sidhi villagers-believe-that-keeping-a-gun-in-the-home-produces-children
घर में बंदूक रखने से होते है बच्चे
author img

By

Published : Jun 10, 2020, 1:51 PM IST

सीधी। मध्यप्रदेश के सीधी जिले में जंगलों के बीच एक ऐसा गांव है, जो अजब गजब मान्यताओं को लेकर चर्चा में रहा है. इस गांव में 35 सालों से बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी है. जिसके पीछे यहां के ग्रामीणों में मान्यता है कि घर में बंदूक रखने से बच्चे पैदा होने लगते है. इसे हम अंधविश्वास कहे या आस्था, लेकिन ग्रामीणों की माने तो पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर ने एक परिवार को बंदूक दी थी, जिसके बाद से उस परिवार में संतान पैदा हुई थी. हालांकि इस मान्यता के पीछे कलेक्टर अपनी-अपनी सोच कह रहे है और गांव का दौरा करने की बात कही है.

इस गांव की अलग है मान्यता

सीधी जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर भुइमाड के पास बीहड़ जंगलों के बीच बसे छोटे से गांव हर्रई की आबादी करीब 500 के आसपास है. उनमें एक जाति खैरवार है, जो अपने घर के आंगन में बच्चों की किलकारी के लिए 35 सालों से तरस रहे हैं. इस जाति की मान्यता है कि उनके गांव में पूर्वज पहले ग्रामदेवताओं को बंदूक की सलामी देते थे, लेकिन बंदूक जब्त होने के बाद देवता नाराज हो गए. अगर सरकार और प्रशासन इन्हें बंदूक मुहैया कराती है, तो बच्चे होने लगेंगे.

35 सालों से नहीं गूंजी बच्चों की किलकारी

हर्रई गांव के खैरवार जाति के लोग आज भी अंधविश्वास के बीच अपना जीवन यापन कर रहे है. ये गांव आज भी अंधविश्वास के जाल में इस कदर फंसा हुआ है कि इनका दिल और दिमाग किसी अनजान रास्ते पर चलने लगा है. यहां के लोगों की मान्यता है कि बंदूक होने से ही बच्चे पैदा होंगे, ग्रामीणों का कहना है कि बंदूक नहीं है इसी कारण यहां 35 सालों से बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी है.

ये है मान्यता

ग्रामीणों का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर विशेष गढ़पाले द्वारा गांव के हरभजन के परिवार को बंदूक दी गई थी, जिसके बाद बच्चों की किलकारी सुनाई देने लगी थी. उन्होंने कहा कि जब हरभजन से बंदूक ले ली गई, तो उस परिवार में फिर से बच्चे पैदा नहीं हो रहे है. वहीं समाजसेवी प्रदीप सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले भाजपा की सरकार ने इस गांव के ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण में लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए थे, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला. उन्होंने कहा कि जानकारी के अनुसार पहले हर घर बंदूक हुआ करते थे, लेकिन साइसेंसिंग प्रक्रिया आने के बाद से सभी की बंदूकें जब्त कर ली गई है.

डॉक्टर ने बताया अंधविश्वास

ग्रामीणों की इस मान्यता को लेकर डॉक्टर डीके द्विवेदी ने कहा कि ये पूरी तरह से अंधविश्वास है, इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा सोचना भी एक समझदार व्यक्ति के लिए सही नहीं है. वहीं जिला कलेक्टर ने कहा कि ये सोच की बात है, ऐसा कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो वे इस गांव का निकट भविष्य में गांव का दौरा करके समस्याओं को देखेंगे.

बहरहाल सीधी जिले के आदिवासी वनांचल क्षेत्र में आदिवासियों में बंदूक होने से ही बच्चा पैदा होगा, ये मान्यता पूरी अंधविश्वास से भरी है. इस मान्यता के पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन जहां अस्था होती है, वहीं विश्वास भी होता है. ग्रामीण अब इस मान्यता को अपनी आस्था मानते हैं.

सीधी। मध्यप्रदेश के सीधी जिले में जंगलों के बीच एक ऐसा गांव है, जो अजब गजब मान्यताओं को लेकर चर्चा में रहा है. इस गांव में 35 सालों से बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी है. जिसके पीछे यहां के ग्रामीणों में मान्यता है कि घर में बंदूक रखने से बच्चे पैदा होने लगते है. इसे हम अंधविश्वास कहे या आस्था, लेकिन ग्रामीणों की माने तो पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर ने एक परिवार को बंदूक दी थी, जिसके बाद से उस परिवार में संतान पैदा हुई थी. हालांकि इस मान्यता के पीछे कलेक्टर अपनी-अपनी सोच कह रहे है और गांव का दौरा करने की बात कही है.

इस गांव की अलग है मान्यता

सीधी जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर भुइमाड के पास बीहड़ जंगलों के बीच बसे छोटे से गांव हर्रई की आबादी करीब 500 के आसपास है. उनमें एक जाति खैरवार है, जो अपने घर के आंगन में बच्चों की किलकारी के लिए 35 सालों से तरस रहे हैं. इस जाति की मान्यता है कि उनके गांव में पूर्वज पहले ग्रामदेवताओं को बंदूक की सलामी देते थे, लेकिन बंदूक जब्त होने के बाद देवता नाराज हो गए. अगर सरकार और प्रशासन इन्हें बंदूक मुहैया कराती है, तो बच्चे होने लगेंगे.

35 सालों से नहीं गूंजी बच्चों की किलकारी

हर्रई गांव के खैरवार जाति के लोग आज भी अंधविश्वास के बीच अपना जीवन यापन कर रहे है. ये गांव आज भी अंधविश्वास के जाल में इस कदर फंसा हुआ है कि इनका दिल और दिमाग किसी अनजान रास्ते पर चलने लगा है. यहां के लोगों की मान्यता है कि बंदूक होने से ही बच्चे पैदा होंगे, ग्रामीणों का कहना है कि बंदूक नहीं है इसी कारण यहां 35 सालों से बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी है.

ये है मान्यता

ग्रामीणों का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर विशेष गढ़पाले द्वारा गांव के हरभजन के परिवार को बंदूक दी गई थी, जिसके बाद बच्चों की किलकारी सुनाई देने लगी थी. उन्होंने कहा कि जब हरभजन से बंदूक ले ली गई, तो उस परिवार में फिर से बच्चे पैदा नहीं हो रहे है. वहीं समाजसेवी प्रदीप सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले भाजपा की सरकार ने इस गांव के ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण में लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए थे, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला. उन्होंने कहा कि जानकारी के अनुसार पहले हर घर बंदूक हुआ करते थे, लेकिन साइसेंसिंग प्रक्रिया आने के बाद से सभी की बंदूकें जब्त कर ली गई है.

डॉक्टर ने बताया अंधविश्वास

ग्रामीणों की इस मान्यता को लेकर डॉक्टर डीके द्विवेदी ने कहा कि ये पूरी तरह से अंधविश्वास है, इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा सोचना भी एक समझदार व्यक्ति के लिए सही नहीं है. वहीं जिला कलेक्टर ने कहा कि ये सोच की बात है, ऐसा कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो वे इस गांव का निकट भविष्य में गांव का दौरा करके समस्याओं को देखेंगे.

बहरहाल सीधी जिले के आदिवासी वनांचल क्षेत्र में आदिवासियों में बंदूक होने से ही बच्चा पैदा होगा, ये मान्यता पूरी अंधविश्वास से भरी है. इस मान्यता के पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन जहां अस्था होती है, वहीं विश्वास भी होता है. ग्रामीण अब इस मान्यता को अपनी आस्था मानते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.