सीधी। जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम करौली गांव के रहने वाले दशमत रावत की किस्मत एकाएक बदल गई है. कभी उनके पास सामान लेने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे तो कभी रोजमर्रा का काम करके अपना पेट भी पालना होता था. वहीं समय ऐसा बदला कि दशमत आज लाखों रुपए के मालिक हो गए हैं. जी हां यह वही दशमत रावत हैं, जिनके पैर खुद एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धोए थे. जिस घटना ने सभी को झकझोर के रख दिया था. वहीं दशमत को जिंदगी फर्श से अर्श पर पहुंच गई. दशमत का तो यहां तक कहना है कि अब ग्रामीण उनसे डरते हैं.
सरकार से मिली सहायता ने बदली जिंदगी: बता दें की दशमत रावत बेहद ही गरीब परिवार से हैं. दशमत का साधारण दो कमरे का कच्चा घर बना हुआ था. यहां तक कि उन्हें मुख्यमंत्री आवास भी नहीं मिला था और ना ही उनके पास कोई जमीन थी, जिस पर वह खेती बाड़ी कर सकें. वहीं बीते दिनों सीधी में एक ऐसी घटना हुई जो कि बेहद निंदनीय थी, लेकिन उस घटना के बाद पीड़ित दशमत रावत की एकाएक किस्मत बदल गई. घटना की भरपाई करने के लिए सीएम ने दशमत को आवास बनाने के लिए डेढ़ लाख रुपए का चेक दिया. इसके अलावा 5 लाख अलग से मिल हैं. जिसकी वजह से उसका एक आशियाना अब बन रहा है. इतना ही नहीं ग्राम पंचायत से स्वच्छ भारत मिशन की तरफ से 12 हजार रुपए की राशि भी उन्हें शौचालय के लिए दी गई है.
बस अब चाहिए हमें सरकारी नौकरी: वहीं जब इस सब के बारे में पेशाब कांड के पीड़ित दशमत रावत से बात की गई तो उन्होंने यह "कहा कि मुझे अब सब कुछ मिल चुका है, लेकिन अभी तक मुझे नौकरी नहीं मिली है. जहां एमपी के शिवराज सिंह चौहान ने खुद कहा था कि मुझे नौकरी मिलेगी. साथ ही मेरी पत्नी को भी नौकरी मिलेगी. हम दोनों को चपरासी के पद पर रखने के लिए बोला था. बस अब वही उम्मीद बची है, जो हमें चाहिए.
सड़क, हैंडपंप, घर, शौचालय, और बिजली की मिली सुविधा: दशमत रावत ने यह कहा कि "हमें मुख्यमंत्री द्वारा सड़क की सौगात मिली है. जिस पर यहां पूरा गांव निर्भर करता है. वहीं पहले यहां कीचड़ हुआ करता था, लेकिन अब आने-जाने का रास्ता पूरा साफ हो गया है. इसके अलावा पानी पीने के लिए हैंडपंप भी मेरे घर के बाहर ही लगवा दिया गया है. मेरे घर बनवाने के लिए पैसे व शौचालय बनवाने के लिए भी पैसे दे दिए गए हैं."
24 घंटे बनी रहती है पुलिस: वहीं मीडिया जब दशमत के घर पहुंची तो पाया कि वहां पर दो पुलिसकर्मी एक ASI रैंक और एक पुलिस कांस्टेबल मौजूद था. इसके अलावा राजस्व विभाग की तरफ से एक पटवारी भी मौजूद था. जब राजस्व विभाग के पटवारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा "यहां हमारी ड्यूटी लगाई गई है कि जो भी दशमत रावत से मुलाकात करेगा, उनका नाम लिखना है. साथ ही वह किसलिए यहां उनसे मिल रहा है, इसका कारण भी लिखना पड़ता है. इसके साथ ही पुलिस कर्मियों की ड्यूटी इसलिए लगाई गई है, ताकि कोई भी राजनीतिक और आपराधिक घटनाएं ना हो और समाज का सौहार्द बनाया रहे. इसके लिए 24 घंटे पुलिस तैनात की गई है".
डरा करते हैं मुझसे एक गांव के लोग: दशमत रावत ने जानकारी देते हुए बताया है कि "जहां मैं जाता हूं तो पुलिस भी मेरे पीछे-पीछे जाती है. अब तो गांव के सभी लोग पुलिस से तो डरते ही थे, मुझसे भी डरने लगे हैं. मुझसे कोई बात भी नहीं करता है."