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महेश दास ऐसे बने थे बीरबल, जानिए क्या है इसके पीछे का 'राज' - sidhi news

सीधी जिला बीरबल की जन्मस्थली है. यहां से ही महेश दास से बीरबल बनने का सफर शुरू हुआ था... इस देवी के मंदिर में महेश दास ने तपस्या कर वरदान पाया था जिसके बाद वो बन गए थे बीरबल...

Birbal got a boon here
बीरबल को यहां मिला था वरदान
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Published : Jun 27, 2020, 9:16 AM IST

Updated : Jun 27, 2020, 12:59 PM IST

सीधी। सीधी बीरबल की जन्मस्थली मानी जाती है, घोघरा गांव में आज भी देवी का मंदिर मौजूद है. जो सोन नदी के किनारे बसा हुआ है. इन्हीं पहाड़ियों के बीच रेही नदी निकलती है. जहां बीरबल ने तपस्या कर मातारानी से वरदान पाया था. जिस पत्थर पर बीरबल बैठ कर स्नान करते थे. वो पत्थर आज भी मौजूद है. जहां बीरबल जिनका नाम महेश दास और उनके बड़े भाई रघुवरदास तप करते थे.

बीरबल बनने का राज

मंदिर के पुजारी का कहना है कि एक बार मातारानी बीरबल के भाई रघुबर से भोर में मंदिर आने के लिए कहा, कि तुम्हें वरदान दूंगी, देवी की बात बीरबल ने सुन ली और रघुबर के पहुंचने से पहले बीरबल मंदिर पहुंच गए, जिन्हें देवी ने वरदान दिया कि तुम जो बोलेंगे वह सच होगा.

बीरबल जो बोलते थे, वो सच हो जाता था

देवी के वरदान की परीक्षा लेने के लिए बीरबल नदी में पहुंच गए और मछुआरों से पूछा कि तुम लोग क्या मार रहे हो तो मछुआरे बोले कि मछली मार रहे है, तभी बीरबल बोले,तुम लोग मछली नही बल्कि तीतर मार रहे हो, मछुआरों ने जाल पानी से बाहर निकाला तो मछली की जगह तीतर निकले, तब से लेकर बीरबल चर्चित होने लगे और रीवा राजा ने उन्हें अपने दरबार मे रख लिया. बाद में अकबर के दरबार में बीरबल नवरत्न बन कर विख्यात होते गए. बीरबल की खासियत थी कि वो जो बोलते थे वो सच होता था.

sidhi
बीरबल की जन्मस्थली सीधी जिले का घोघरा गांव

अकबर के दरबार कैसे पहुंचे थे बीरबल

कहा जाता है कि बीरबल अकबर के दरबार में काम करने से रीवा नरेश के यहां काम करते थे. ऐसा माना जाता है कि रीवा नरेश ने ही बीरबल को अकबर के यहां भेजा था. इतिहास में ऐसा भी आता है कि बीरबल मुगल साम्राज्य की प्रंशसा सुन कर दरबार आया था.

अकबर उनकी कविताओं और वाक्य चतुरता से काफी प्रभावित हुए थे और उन्हें दरबार मे जगह दी थी. अकबर और बीरबल की कहानियां भी प्रचलित है. जिन में अकबर बीरबल से खुश होकर कुछ राज्य भी भेंट किये थे, इसलिए उन्हें राजा बीरबल भी कहा जाता है.

कैसे हो गई थी बीरबल की मौत

बीरबल ने फतेह पुर सीकरी में महल भी बनवाया था. कहा जाता है कि अकबर ने बीरबल को साल 1586 में अफगानिस्तान युद्ध में भेजा था. इसी युद्ध मे बीरबल की मौत हो गयी थी. उनकी मौत के बाद महल भी विरान हो गया. वहीं आज भी बीरबल का महल शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार है.

सीधी। सीधी बीरबल की जन्मस्थली मानी जाती है, घोघरा गांव में आज भी देवी का मंदिर मौजूद है. जो सोन नदी के किनारे बसा हुआ है. इन्हीं पहाड़ियों के बीच रेही नदी निकलती है. जहां बीरबल ने तपस्या कर मातारानी से वरदान पाया था. जिस पत्थर पर बीरबल बैठ कर स्नान करते थे. वो पत्थर आज भी मौजूद है. जहां बीरबल जिनका नाम महेश दास और उनके बड़े भाई रघुवरदास तप करते थे.

बीरबल बनने का राज

मंदिर के पुजारी का कहना है कि एक बार मातारानी बीरबल के भाई रघुबर से भोर में मंदिर आने के लिए कहा, कि तुम्हें वरदान दूंगी, देवी की बात बीरबल ने सुन ली और रघुबर के पहुंचने से पहले बीरबल मंदिर पहुंच गए, जिन्हें देवी ने वरदान दिया कि तुम जो बोलेंगे वह सच होगा.

बीरबल जो बोलते थे, वो सच हो जाता था

देवी के वरदान की परीक्षा लेने के लिए बीरबल नदी में पहुंच गए और मछुआरों से पूछा कि तुम लोग क्या मार रहे हो तो मछुआरे बोले कि मछली मार रहे है, तभी बीरबल बोले,तुम लोग मछली नही बल्कि तीतर मार रहे हो, मछुआरों ने जाल पानी से बाहर निकाला तो मछली की जगह तीतर निकले, तब से लेकर बीरबल चर्चित होने लगे और रीवा राजा ने उन्हें अपने दरबार मे रख लिया. बाद में अकबर के दरबार में बीरबल नवरत्न बन कर विख्यात होते गए. बीरबल की खासियत थी कि वो जो बोलते थे वो सच होता था.

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बीरबल की जन्मस्थली सीधी जिले का घोघरा गांव

अकबर के दरबार कैसे पहुंचे थे बीरबल

कहा जाता है कि बीरबल अकबर के दरबार में काम करने से रीवा नरेश के यहां काम करते थे. ऐसा माना जाता है कि रीवा नरेश ने ही बीरबल को अकबर के यहां भेजा था. इतिहास में ऐसा भी आता है कि बीरबल मुगल साम्राज्य की प्रंशसा सुन कर दरबार आया था.

अकबर उनकी कविताओं और वाक्य चतुरता से काफी प्रभावित हुए थे और उन्हें दरबार मे जगह दी थी. अकबर और बीरबल की कहानियां भी प्रचलित है. जिन में अकबर बीरबल से खुश होकर कुछ राज्य भी भेंट किये थे, इसलिए उन्हें राजा बीरबल भी कहा जाता है.

कैसे हो गई थी बीरबल की मौत

बीरबल ने फतेह पुर सीकरी में महल भी बनवाया था. कहा जाता है कि अकबर ने बीरबल को साल 1586 में अफगानिस्तान युद्ध में भेजा था. इसी युद्ध मे बीरबल की मौत हो गयी थी. उनकी मौत के बाद महल भी विरान हो गया. वहीं आज भी बीरबल का महल शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार है.

Last Updated : Jun 27, 2020, 12:59 PM IST
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