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कोरोना के चलते संकट में मूर्तिकार, सरकारी गाइडलाइन ने बढ़ाई मुसीबत

सीधी जिले में कोरोना के संकट के चलते मूर्तिकारों पर संकट के बादल छाए हुए हैं. कोरोना के चलते पहले ही बाजार में मूर्तियों की मांग कम है, दूसरा सरकार ने 6 फीट से ज्यादा की मूर्ति बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, वहीं केवल 10×10 के पांडालों को ही अनुमति दी गई है. जिससे इन मूर्तिकारों को काफी घाटा हो रहा है.

Sculptor in crisis due to Corona
कोरोना के चलते संकट में मूर्तिकार
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Published : Sep 27, 2020, 7:35 PM IST

सीधी। देश में कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन से न केवल आम आदमी, मजदूर और व्यापारी वर्ग परेशान हुआ है. बल्कि मूर्ति बनाने वाले कलाकारों पर भी आर्थिक संकट के बादल छाए हुए हैं. आलम ये है कि उनके परिवार का पालन-पोषण भी काफी कठिनाई से हो रहा है. हालांकि सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन ने इन कलाकारों को थोड़ी राहत जरूर दी है . लेकिन कोरोना के चलते मूर्तियों की मांग में भारी कमी आई है. वहीं सरकार ने 6 फीट से ज्यादा की मूर्ति बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिससे इन मूर्तिकारों को काफी घाटा हो रहा है.

सीधी में इस साल मूर्तिकारों पर छाया आर्थिक संकट के बादल

हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा का बड़ा महत्व है. लगभग सभी त्योहारों में मूर्तियों की पूजा की जाती है. लेकिन गणेश चतुर्थी और नवदुर्गा ऐसे त्योहार हैं, जिसमें भक्त पांडालों में बड़ी-बड़ी मूर्तियां रखकर पूजा पाठ करते हैं. इन्हीं त्योहारों में मूर्तियां बनाकर ये कलाकार अपना गुजर बसर करते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने बड़े पंडाल रखने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था. जिसके चलते ये कलाकार पिछले 6 महीनों से बेरोजगार बैठे हुए थे. वहीं नवदुर्गा को लेकर भी असमंजस की स्थिति थी. हालांकि सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के बाद मूर्तिकारों को थोड़ी राहत मिली है. लेकिन सरकार द्वारा 6 फिट से अधिक ऊंची मूर्ति बनाने पर रोक है. जिससे मूर्तिकारों पर आर्थिक संकट के बादल छाए हुए हैं.

मूर्तिकारों का कहना है कि शहरों में आमतौर पर बड़ी-बड़ी मूर्तियों की मांग रहती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस साल मूर्ति छह फीट से ऊंची मूर्ति बनाने पर रोक है. वहीं केवल 10×10 के पंडाल लगाने की अनुमति मिली है. ऐसे में उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. उनका कहना है कि मूर्ति बनाने में इनकी मेहनत के साथ पैसे भी खर्च होते हैं. वहीं मूर्ति की सजावट में दिन रात एक करना पड़ता है. तब कही जाकर दुर्गा जी की मूर्ति बनकर तैयार होती है. इस साल ग्रामीण इलाकों में भी मूर्ति की मांग न के बराबर है, जिससे इन मूर्तिकारों में उदासी छाई हुई है.

कलेक्टर के अनुसार 6 फिट से अधिक ऊंची मूर्ति बनाने पर रोक लगा दी गई है. वहीं केवल 10""× 10 के साइज के ही पंडाल लगाने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा पंडालों में सीमित लोगो को ही जाने की अनुमति दी गई है. वहीं विसर्जन के समय केवल दस लोग शामिल होंगे, साथ ही डीजे पर भी प्रतिबंध रहेगा और नदियों में भीड़ भाड़ रोकने के लिए प्रशासन की कड़ी नजर रहेगी.

बहरहाल कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में गणेश उत्सव जहां फीका नजर आया था, वहीं दुर्गा उत्सव में शासन ने कुछ हद तक छूट दी है. जिससे मूर्तिकार को कुछ राहत मिली है. लेकिन लोग कोरोना के डर से मूर्तियां कम खरीद रहे हैं. ऐसे में इन मूर्तिकारों को रोजी-रोटी का संकट सता रहा है.

सीधी। देश में कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन से न केवल आम आदमी, मजदूर और व्यापारी वर्ग परेशान हुआ है. बल्कि मूर्ति बनाने वाले कलाकारों पर भी आर्थिक संकट के बादल छाए हुए हैं. आलम ये है कि उनके परिवार का पालन-पोषण भी काफी कठिनाई से हो रहा है. हालांकि सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन ने इन कलाकारों को थोड़ी राहत जरूर दी है . लेकिन कोरोना के चलते मूर्तियों की मांग में भारी कमी आई है. वहीं सरकार ने 6 फीट से ज्यादा की मूर्ति बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिससे इन मूर्तिकारों को काफी घाटा हो रहा है.

सीधी में इस साल मूर्तिकारों पर छाया आर्थिक संकट के बादल

हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा का बड़ा महत्व है. लगभग सभी त्योहारों में मूर्तियों की पूजा की जाती है. लेकिन गणेश चतुर्थी और नवदुर्गा ऐसे त्योहार हैं, जिसमें भक्त पांडालों में बड़ी-बड़ी मूर्तियां रखकर पूजा पाठ करते हैं. इन्हीं त्योहारों में मूर्तियां बनाकर ये कलाकार अपना गुजर बसर करते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने बड़े पंडाल रखने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था. जिसके चलते ये कलाकार पिछले 6 महीनों से बेरोजगार बैठे हुए थे. वहीं नवदुर्गा को लेकर भी असमंजस की स्थिति थी. हालांकि सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के बाद मूर्तिकारों को थोड़ी राहत मिली है. लेकिन सरकार द्वारा 6 फिट से अधिक ऊंची मूर्ति बनाने पर रोक है. जिससे मूर्तिकारों पर आर्थिक संकट के बादल छाए हुए हैं.

मूर्तिकारों का कहना है कि शहरों में आमतौर पर बड़ी-बड़ी मूर्तियों की मांग रहती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस साल मूर्ति छह फीट से ऊंची मूर्ति बनाने पर रोक है. वहीं केवल 10×10 के पंडाल लगाने की अनुमति मिली है. ऐसे में उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. उनका कहना है कि मूर्ति बनाने में इनकी मेहनत के साथ पैसे भी खर्च होते हैं. वहीं मूर्ति की सजावट में दिन रात एक करना पड़ता है. तब कही जाकर दुर्गा जी की मूर्ति बनकर तैयार होती है. इस साल ग्रामीण इलाकों में भी मूर्ति की मांग न के बराबर है, जिससे इन मूर्तिकारों में उदासी छाई हुई है.

कलेक्टर के अनुसार 6 फिट से अधिक ऊंची मूर्ति बनाने पर रोक लगा दी गई है. वहीं केवल 10""× 10 के साइज के ही पंडाल लगाने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा पंडालों में सीमित लोगो को ही जाने की अनुमति दी गई है. वहीं विसर्जन के समय केवल दस लोग शामिल होंगे, साथ ही डीजे पर भी प्रतिबंध रहेगा और नदियों में भीड़ भाड़ रोकने के लिए प्रशासन की कड़ी नजर रहेगी.

बहरहाल कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में गणेश उत्सव जहां फीका नजर आया था, वहीं दुर्गा उत्सव में शासन ने कुछ हद तक छूट दी है. जिससे मूर्तिकार को कुछ राहत मिली है. लेकिन लोग कोरोना के डर से मूर्तियां कम खरीद रहे हैं. ऐसे में इन मूर्तिकारों को रोजी-रोटी का संकट सता रहा है.

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