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नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा रेत उत्खनन, प्रशासन बना मौन

सीधी जिले में पंचायत के द्वारा संचालित रेत खदानों में सभी नियम और कायदों को दरकिनार करते हुए रेत का उत्खनन किया जा रहा है. गोपद नदी में मशीनों से नदियों का सीना चीरकर रेत निकालकर बड़े वाहनों में उत्खनन और परिवहन का खेल खदान संचालकों द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है, लेकिन खनिज अधिकारी अनजान बने हुए है.

नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा रेत उत्खनन
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Published : Oct 25, 2019, 1:47 AM IST

सीधी। शहर में नियमों को ताक में रखकर गोपद नदी से रेत का उत्खनन किया जा रहा है. नदियों के अंदर बड़ी जेसीबी वाहन के जरिये पानी की मुख्य धारा को रोककर सड़क बना दी गई है. श्रमिकों से रेत उत्खनन कराने की बजाय जेसीबी वाहन से नदी का सीना चीरकर रेत का उत्खनन कर रहा है. बड़े वाहनों को नदियों के अंदर से ही लोडिंग की जा रही है, जबकि खदान संचालन की अनुमति की शर्तों के अनुरूप जेसीबी वाहन से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता, बल्कि श्रमिकों से रेत का उत्खनन कराना है.

प्रशासन जानबूझकर अंजान बना हुआ है और संविदाकार एनजीटी के निर्देश की धज्जियां उड़ा रहे है. सरकार ने ग्राम पंचायत को रेत उत्खनन करने की जिम्मेदारी सौंपी है. गांव के श्रमिकों ने बताया कि गांव के किसी भी श्रमिकों को कोई काम नहीं दिया गया है. प्रशासन के इशारे पर ग्राम पंचायत सरपंच रेत खदान चला रहे हैं.

नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा रेत उत्खनन

जिले में सोन और गोपद नदी में 209 किलोमीटर सोन घड़ियाल अभ्यारण के लिए आरक्षित है, जहां कई बड़े जलीय जीव रहते हैं. पानी वाले क्षेत्र से रेत का उत्खनन करने से जलीय जीवों को कोई खतरा उत्पन्न हो सकता है, लेकिन भुमका डोल निधपुरी सहित वारपान रेत खदान में खुलेआम जेसीबी मशीन लगाकर रेत का उत्खनन किया जा रहा है.
रेत उत्खनन मामले में बीजेपी सांसद रीति पाठक प्रदेश सरकार को दोषी मान रही हैं, वहीं मापदंड निर्धारित करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है. अगर ऐसी व्यवस्था है तो सरकार की कार्यप्रणाली और नीति पर अंकुश लगना चाहिए. वहीं अपर कलेक्टर डीपी वर्मन जांच और कर्रवाई का भरोसा दिला रहे हैं.

सीधी। शहर में नियमों को ताक में रखकर गोपद नदी से रेत का उत्खनन किया जा रहा है. नदियों के अंदर बड़ी जेसीबी वाहन के जरिये पानी की मुख्य धारा को रोककर सड़क बना दी गई है. श्रमिकों से रेत उत्खनन कराने की बजाय जेसीबी वाहन से नदी का सीना चीरकर रेत का उत्खनन कर रहा है. बड़े वाहनों को नदियों के अंदर से ही लोडिंग की जा रही है, जबकि खदान संचालन की अनुमति की शर्तों के अनुरूप जेसीबी वाहन से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता, बल्कि श्रमिकों से रेत का उत्खनन कराना है.

प्रशासन जानबूझकर अंजान बना हुआ है और संविदाकार एनजीटी के निर्देश की धज्जियां उड़ा रहे है. सरकार ने ग्राम पंचायत को रेत उत्खनन करने की जिम्मेदारी सौंपी है. गांव के श्रमिकों ने बताया कि गांव के किसी भी श्रमिकों को कोई काम नहीं दिया गया है. प्रशासन के इशारे पर ग्राम पंचायत सरपंच रेत खदान चला रहे हैं.

नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा रेत उत्खनन

जिले में सोन और गोपद नदी में 209 किलोमीटर सोन घड़ियाल अभ्यारण के लिए आरक्षित है, जहां कई बड़े जलीय जीव रहते हैं. पानी वाले क्षेत्र से रेत का उत्खनन करने से जलीय जीवों को कोई खतरा उत्पन्न हो सकता है, लेकिन भुमका डोल निधपुरी सहित वारपान रेत खदान में खुलेआम जेसीबी मशीन लगाकर रेत का उत्खनन किया जा रहा है.
रेत उत्खनन मामले में बीजेपी सांसद रीति पाठक प्रदेश सरकार को दोषी मान रही हैं, वहीं मापदंड निर्धारित करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है. अगर ऐसी व्यवस्था है तो सरकार की कार्यप्रणाली और नीति पर अंकुश लगना चाहिए. वहीं अपर कलेक्टर डीपी वर्मन जांच और कर्रवाई का भरोसा दिला रहे हैं.

Intro:एंकर:-सीधी जिले में पंचायत के द्वारा संचालित रेत खदानों में सभी नियम कायदों को दरकिनार कर रेत का उत्खनन शुरू हो चुका है,गोपद नदी में मशीनों से नदियों का सीना चीरकर रेत निकालकर बड़े वाहनों में उत्खनन परिवहन का खेल खदान संचालकों द्वारा शुरू कर दिया गया है,लेकिन खनिज अधिकारी कार्यवाही करने की जरूरत नही दिखा रहे है,ऐसे में भाजपा सांसद प्रदेश सरकार को दोषी मान रही है तो अपर कलेक्टर जाँच और कर्यवाही का भरोषा जता रहे है।
Body:Vo:- 1 रेत खदान संचालन की मंजूरी की आड़ में संविदाकार नियमों को ताक पर रखकर गोपद नदी से रेत का उत्खनन कर रहा है, रेत उत्खनन करने के लिये नदियों के अंदर बड़ी जेसीबी (टू-टेन)बाहन के जरिये पानी की मुख्य धारा को रोककर नदियों के अंदर सड़क बना दी गई है,श्रमिकों से रेत उत्खनन करने की बजाय जेसीबी (टू-टेन) वाहन से नदी का सीना चीरकर रेत का उत्खनन कर बड़े बहनों को नदियों के अंदर से ही लोडिंग की जा रही है,जबकि खदान संचालन की अनुमति की शर्तों के अनुरूप जेसीबी वाहन से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता है, बल्कि श्रमिकों से रेत का उत्खनन कराना है,किंतु जेसीबी वाहन से खुलेआम उत्खनन किया जा रहा है, प्रशासन जानबूझकर अंजान बना हुआ है और संविदाकार एनजीटी के निर्देश की धज्जियां उड़ा रहे है,सरकार द्वारा ग्राम पंचायत को रेत उत्खनन करने की जिम्मेदारी सौपी गई है,जिले के मझौली बहरी क्षेत्र में पाँच रेत खधान का संचालन पिछले सप्ताह से शुरू हो चुका है जहाँ सभी नियमों कायदों को तक पर रखते हुये उत्खनन किया जा रहा है,गाँव के श्रमिकों ने बतया की नदी में मशीनों से रेत की लोडिंग की जा रही है,गाँव के किसी भी श्रमिकों कोई कार्य नही दिया गया है,प्रसासन के इसारे पर ग्राम पंचायत सरपंच रेत खधान चला रहे है, जिले में सोन और गोपद नदी में 209 किलोमीटर सोन घडियाल अभ्यारण के लिये रक्षित है जहां कई बड़े जलीय जीव रहते है,पानी वाले क्षेत्र से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता। जिससे जल जीवों को खतरा न उत्पन्न हो। किंतु भुमका डोल निधपुरी सहित वारपान रेत खदान में खुलेआम जेसीबी (टू-टेन) मशीन लगाकर रेत का उत्खनन कर रहे है,नियमों को ताक पर रखकर मशीनों रेत उत्खनन मामले में भाजपा सांसद प्रदेश सरकार को दोषी मान रही है,मापदंड निर्धारित करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है,अगर ऐसी व्यस्था है तो सरकार के कार्यप्रणाली और नीति अलग है,अंकुश लगना चाहिए गलत हो रहा है,वही अपर कलेक्टर डी पी वर्मन जाँच और कर्यवाही का भरोषा जता रहे है।

बाईट 2:-रीति पाठक सांसद भाजपा सीधी
बाईट3:-डी पी वर्मन अपर कलेक्टर सीधी
Conclusion:3बहरहाल सीधी जिला सदियों से खनिज सम्पदाओं से सम्पन्न रहा है,लेकिन जिले भर के श्रमिक पलायन करने को मजबूर है,नदियों से रेत का उत्खनन मुख्य व्यसाय है,जिसमे अवैध उक्तखनन में इजाफा हो रहा है ,लेकिन जिले का प्रसासनिक अधिकारी ध्यान नही दे रहे है,जिले के प्रभारी मंत्री प्रदीप जयसवाल सूबे के खनिज मंत्री है उन्हें प्रभार बाले जिले के खनिज सम्पदाओं का हो रहे दोहन की ओर ध्यान देने की जरूर है।।
पवन तिवारी etv भारत सीधी
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