ETV Bharat / state

सीधी: आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुम्हार, सरकार से लगाई मदद की गुहार - कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी

कोरोना संटक और लॉकडाउन की वजह से कुम्हार जहां पहले से ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस साल की दिवाली भी फीकी नजर आ रही है.

Potter preparing clay lamps
मिट्टी के दीये तैयार करता कुम्हार
author img

By

Published : Nov 13, 2020, 11:23 AM IST

Updated : Nov 13, 2020, 11:47 AM IST

सीधी। कोरोना संटक और लॉकडाउन की वजह से कुम्हार जहां पहले से ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस साल की दिवाली भी फीकी नजर आ रही है. बाजारों में चाइनीज सामान बिकने के चलते कुम्हारों की कारीगरी फीकी पड़ती नजर आ रही है. सस्ते दामों के चलते लोग चीनी सामान ज्यादा खरीदते हैं, जिस वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. मिट्टी के बर्तन, दिए, कलश,मटका आदि बनाकर गुजर बसर करने वाले कुम्हारों को अब दो जून की रोटी की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है.

कुम्हार अनुज प्रजापति और मनोज प्रजापति का कहना है कि, पहले लॉकडाउन ने कमर तोड़कर रख दी, अब बाजारों में चाइना आइटम बिकने से ग्राहकी में बहुत नुकसान हो रहा है. सरकार जरूर स्वदेशी अपनाने की बात करती है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. जिससे दिन भर मेहनत करने के बावजूद इनका मेहताना भी नहीं निकल पाता है.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुम्हार

वहीं शंभू प्रजापति और सरोज प्रजापति का कहना है कि, 'छोटी सी जगह में दिन भर मेहनत करते हैं, लेकिन बाजारों में दिए इस साल कम बिक रहे हैं. सरकार हम लोगों के बारे में कुछ नहीं सोच रही हैं. ऐसे में इस साल दिवाली फीकी मनेगी'.

Disillusionment in potters this Diwali
कुम्हारों में इस दिवाली छाई हुई है मायूसी

सीधी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि, शासन द्वारा जो सुविधाएं लॉकडाउन में दी गई हैं. वो सब को मिली हैं, अलग से कुम्हारों के लिए शासन ने कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं. इतना जरूर कर सकते हैं कि, जिस मिट्टी का उपयोग करते हैं, उसकी जमीन आवंटन हो सकती है. दूसरा कोई यदि अच्छा कारीगर है, तो उन्हें शासन द्वारा प्रशिक्षण दिया जा सकता है.

सीधी। कोरोना संटक और लॉकडाउन की वजह से कुम्हार जहां पहले से ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस साल की दिवाली भी फीकी नजर आ रही है. बाजारों में चाइनीज सामान बिकने के चलते कुम्हारों की कारीगरी फीकी पड़ती नजर आ रही है. सस्ते दामों के चलते लोग चीनी सामान ज्यादा खरीदते हैं, जिस वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. मिट्टी के बर्तन, दिए, कलश,मटका आदि बनाकर गुजर बसर करने वाले कुम्हारों को अब दो जून की रोटी की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है.

कुम्हार अनुज प्रजापति और मनोज प्रजापति का कहना है कि, पहले लॉकडाउन ने कमर तोड़कर रख दी, अब बाजारों में चाइना आइटम बिकने से ग्राहकी में बहुत नुकसान हो रहा है. सरकार जरूर स्वदेशी अपनाने की बात करती है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. जिससे दिन भर मेहनत करने के बावजूद इनका मेहताना भी नहीं निकल पाता है.

आर्थिक तंगी से जूझ रहे कुम्हार

वहीं शंभू प्रजापति और सरोज प्रजापति का कहना है कि, 'छोटी सी जगह में दिन भर मेहनत करते हैं, लेकिन बाजारों में दिए इस साल कम बिक रहे हैं. सरकार हम लोगों के बारे में कुछ नहीं सोच रही हैं. ऐसे में इस साल दिवाली फीकी मनेगी'.

Disillusionment in potters this Diwali
कुम्हारों में इस दिवाली छाई हुई है मायूसी

सीधी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि, शासन द्वारा जो सुविधाएं लॉकडाउन में दी गई हैं. वो सब को मिली हैं, अलग से कुम्हारों के लिए शासन ने कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं. इतना जरूर कर सकते हैं कि, जिस मिट्टी का उपयोग करते हैं, उसकी जमीन आवंटन हो सकती है. दूसरा कोई यदि अच्छा कारीगर है, तो उन्हें शासन द्वारा प्रशिक्षण दिया जा सकता है.

Last Updated : Nov 13, 2020, 11:47 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.