सीधी। कोरोना संटक और लॉकडाउन की वजह से कुम्हार जहां पहले से ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस साल की दिवाली भी फीकी नजर आ रही है. बाजारों में चाइनीज सामान बिकने के चलते कुम्हारों की कारीगरी फीकी पड़ती नजर आ रही है. सस्ते दामों के चलते लोग चीनी सामान ज्यादा खरीदते हैं, जिस वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. मिट्टी के बर्तन, दिए, कलश,मटका आदि बनाकर गुजर बसर करने वाले कुम्हारों को अब दो जून की रोटी की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है.
कुम्हार अनुज प्रजापति और मनोज प्रजापति का कहना है कि, पहले लॉकडाउन ने कमर तोड़कर रख दी, अब बाजारों में चाइना आइटम बिकने से ग्राहकी में बहुत नुकसान हो रहा है. सरकार जरूर स्वदेशी अपनाने की बात करती है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. जिससे दिन भर मेहनत करने के बावजूद इनका मेहताना भी नहीं निकल पाता है.
वहीं शंभू प्रजापति और सरोज प्रजापति का कहना है कि, 'छोटी सी जगह में दिन भर मेहनत करते हैं, लेकिन बाजारों में दिए इस साल कम बिक रहे हैं. सरकार हम लोगों के बारे में कुछ नहीं सोच रही हैं. ऐसे में इस साल दिवाली फीकी मनेगी'.
सीधी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि, शासन द्वारा जो सुविधाएं लॉकडाउन में दी गई हैं. वो सब को मिली हैं, अलग से कुम्हारों के लिए शासन ने कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं. इतना जरूर कर सकते हैं कि, जिस मिट्टी का उपयोग करते हैं, उसकी जमीन आवंटन हो सकती है. दूसरा कोई यदि अच्छा कारीगर है, तो उन्हें शासन द्वारा प्रशिक्षण दिया जा सकता है.