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आजादी के बाद भी विकास से महरुम है यह गांव, हर बार मिलता है सिर्फ आश्वासन

सीधी जिले के भाटा गांव में मूलभूत सुविधाएं न होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण हर हर बार शासन प्रशासन से गांव में विकास कार्य कराने की गुहार लगाते हैं. लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.

sidhi
सीधी न्यूज
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Published : Sep 24, 2020, 8:00 PM IST

सीधी। विंध्य अंचल के सीधी जिले में आज भी ऐसे अनेक गांव हैं जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए सालों से तरस रहे हैं. सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं आज भी मयस्सर नहीं हो सकी हैं. सीधी जिला मुख्यालय से महज 9 किलोमीटर दूर बसे भाटा पंचायत के वाशिंदे आज भी इन सुविधाओं से महरुम है. ग्रामीण शासन और प्रशासन से गुहार लगाकर धक गए हैं. लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती.

विकासे महरुम है भाटा पंचायत

भाटा गांव के वाशिंदे एक बार फिर अपनी गुहार लेकर जिला प्रशासन के पास पहुंचे. ग्रामीणों का कहना है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी ग्रामीण विकास की बाट जोह रहे है. लेकिन ये भाटा पंचायत से विकास कोसो दूर है. ग्रामीणों की माने तो न तो गांव में बिजली है, न सड़क कभी कोई ग्रामीण रात में बीमार हो जाये तो उसे खाट पर रख कर नाला पार करना पड़ता है.

फिर लगाई प्रशासन से गुहार

कहते उम्मीद छूटती नहीं है, इसलिए ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन का दरवाजा खटखटाया, कि शायद इस बार कोई काम हो जाए. लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से हर बार की तरह इस बार भी इस आश्वासन ही मिला है. प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि ग्रामीणों की समस्याओं पर जल्द से जल्द काम किया जाएगा.

चुनाव के वक्त जरूर जनप्रतिनिधि अलग-अलग पार्टियों की पहुंच जाते हैं और भरोसा दिलाते हैं कि गांव का विकास जरुर करवाएंगे. लेकिन चुनाव के बाद कोई लौटकर तक नहीं आता है. अब देखना होगा कि एक ओर जहां सरकार देश को डिजिटल इंडिया बनाना चाहती है वहीं यह ग्रामीण आजादी के बाद दशक बाद भी विकास बाट जोह रहे हैं. सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं शायद इस बार उन्हें मिल जाए.

सीधी। विंध्य अंचल के सीधी जिले में आज भी ऐसे अनेक गांव हैं जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए सालों से तरस रहे हैं. सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं आज भी मयस्सर नहीं हो सकी हैं. सीधी जिला मुख्यालय से महज 9 किलोमीटर दूर बसे भाटा पंचायत के वाशिंदे आज भी इन सुविधाओं से महरुम है. ग्रामीण शासन और प्रशासन से गुहार लगाकर धक गए हैं. लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती.

विकासे महरुम है भाटा पंचायत

भाटा गांव के वाशिंदे एक बार फिर अपनी गुहार लेकर जिला प्रशासन के पास पहुंचे. ग्रामीणों का कहना है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी ग्रामीण विकास की बाट जोह रहे है. लेकिन ये भाटा पंचायत से विकास कोसो दूर है. ग्रामीणों की माने तो न तो गांव में बिजली है, न सड़क कभी कोई ग्रामीण रात में बीमार हो जाये तो उसे खाट पर रख कर नाला पार करना पड़ता है.

फिर लगाई प्रशासन से गुहार

कहते उम्मीद छूटती नहीं है, इसलिए ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन का दरवाजा खटखटाया, कि शायद इस बार कोई काम हो जाए. लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से हर बार की तरह इस बार भी इस आश्वासन ही मिला है. प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि ग्रामीणों की समस्याओं पर जल्द से जल्द काम किया जाएगा.

चुनाव के वक्त जरूर जनप्रतिनिधि अलग-अलग पार्टियों की पहुंच जाते हैं और भरोसा दिलाते हैं कि गांव का विकास जरुर करवाएंगे. लेकिन चुनाव के बाद कोई लौटकर तक नहीं आता है. अब देखना होगा कि एक ओर जहां सरकार देश को डिजिटल इंडिया बनाना चाहती है वहीं यह ग्रामीण आजादी के बाद दशक बाद भी विकास बाट जोह रहे हैं. सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं शायद इस बार उन्हें मिल जाए.

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