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इंसानियत शर्मसार:  बच्ची का शव ले जाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस, बाइक पर ले जाना पड़ा शव

सीधी जिला अस्पताल में एक साल की बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. बच्ची के शव को घर ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने एक वाहन की व्यवस्था तक नहीं की.

प्रदेश में गड़बड़ा रही है स्वास्थ्य व्यवस्थाएं
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Published : Nov 1, 2019, 1:35 AM IST

सीधी। राज्य सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर रही हो बावजूद इसके लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही है. एक ऐसा मामला सीधी जिला अस्पताल में हुआ है. अस्पताल में एक साल की बच्ची का इलाज चल रहा था, इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. जब बच्ची के परिजन शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस की खोज की तो उन्हें एक भी वाहन शव के लिए नहीं मिला. मजबूर होकर परिजनों को बच्ची के शव को बाइक पर ले जाना पड़ा.

बच्ची का शव ले जाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस

मामले में सीएमएचओ डॉ.आरएल वर्मा अपनी नाकामियों पर पर्दा डालते नजर आये. उन्होंने कहा कि ये मामला उनके संज्ञान में पहले आया होता तो बच्ची के परिजनों को एंबुलेंस से उसके गांव तक छुड़वाते. सीएमएचओ ने कहा कि इस मामले में सिविल सर्जन से चर्चा कर जानकारी लेंगे कि आखिर उन्होंने पीड़ित परिजनों को एंबुलेंस क्यों उपलब्ध नहीं कराई.

सीधी। राज्य सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर रही हो बावजूद इसके लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही है. एक ऐसा मामला सीधी जिला अस्पताल में हुआ है. अस्पताल में एक साल की बच्ची का इलाज चल रहा था, इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. जब बच्ची के परिजन शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस की खोज की तो उन्हें एक भी वाहन शव के लिए नहीं मिला. मजबूर होकर परिजनों को बच्ची के शव को बाइक पर ले जाना पड़ा.

बच्ची का शव ले जाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस

मामले में सीएमएचओ डॉ.आरएल वर्मा अपनी नाकामियों पर पर्दा डालते नजर आये. उन्होंने कहा कि ये मामला उनके संज्ञान में पहले आया होता तो बच्ची के परिजनों को एंबुलेंस से उसके गांव तक छुड़वाते. सीएमएचओ ने कहा कि इस मामले में सिविल सर्जन से चर्चा कर जानकारी लेंगे कि आखिर उन्होंने पीड़ित परिजनों को एंबुलेंस क्यों उपलब्ध नहीं कराई.

Intro:एंकर:-सीधी जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाले मामले थमने का नाम नही ले रहे है,जिला स्वस्थ्य चिकित्सा अधिकारी भाले ही जाँच और कार्यवाही का फरमान हर मामले या घटनाओं में देते हो लेकिन कार्यवाही के नाम पर भरोसा मिलता रहा है।और व्यवस्थाए बद से बदतर होती गयी,आज फिर एक साल की मासूम बच्ची के शव को वाहन नही मिल सका,तो परिजनों को मोटर साइकिल में 15 किलोमीटर दूर शव को ले जाना पड़ा,वही जिम्मेदार फिर कार्यवाही को अंजाम देने की बात कह रहे है।Body:Vo:-1 सीधी जिला अस्पताल में सुबह आज एक मासूम बच्ची की उपचार के दौरान मौत हो गाई थी,जिसका शव परिजनों को घर ले जाने के लिये शव वाहन नही मिल सका ऐसे में परिजनों ने मृतक मासूम के शव को बाइक में रखकर 15 किलोमीटर दूर पडखुरी गाँव ले जाना पड़ा,बताया गया, कि मृतक बच्ची खुशी मिश्रा एक वर्ष की थी जिसकी आचानक तबीयत बिगड़ जाने की वजह से आज सुबह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उपचार के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया,बच्ची के मौत के परिजनों के साथ ही जिला अस्पताल में हड़कम्प जैसी स्थित निर्मित थी लेकिन अस्पताल प्रबंधक ने आनन फानन में बच्ची के शव के अस्पताल से बाहर निकाल कर परिजनों को सौप दिया, बच्ची का शव घर ले जाने के लिए परिजनों को वाहन उपलब्ध नही कराया गया परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से वाहन के माँग की गई, लेकिन लापरवाह अस्पताल प्रबंधन वाहन देने की जरूरत नही समझा ऐसे में बेबश मासूम के परिजन अपनी बाईक में बच्ची का शव लेकर जिला अस्पताल से घर ले जाना पड़ा,जब इस पूरे मामले को लेकर जिम्मेदार स्वस्थ्य अधिकारी से बात की गाई तो उन्होंने ने जाँच का भरोषा देते हुये मामले में पल्ला झाड़ लिया।
बाईट:-1डॉ आर एल वर्मा cmho सीधी जिला अस्पताल
Conclusion:Vo2बहरहाल माह में मानावता को शर्मसार का यह तीसरा मामला सामने आया है जहां स्वास्थ्य अधिकारी जाँच और कार्यवाही का भरोषा देते आये है,लेकिन उसका थोड़ा भी असर होता नही दिखाई दे रहा, ऐसी में जिला प्रशासन मामले को कितनी गंभीरता से लेता है यह देखने वाली बात होगी।
पवन तिवारी dरत सीधी मध्य प्रदेश
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