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जिला अस्पताल में भगवान भरोसे मरीजों की जान, फायर सेफ्टी पर नहीं किसी का ध्यान - Fire Safety in Hospital

सीधी जिला अस्पताल में फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. बावजूद इसके प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.

Sidhi District Hospital
सीधी जिला अस्पताल
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Published : Aug 27, 2020, 12:27 PM IST

सीधी। हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद और आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा हुए भीषण अग्निकांड में कई मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठे थे. इस अग्निकांड ने एक बार फिर अग्नि सुरक्षा उपायों और आपदा प्रबंधन प्रावधानों के मुद्दे पर फोकस करने पर मजबूर कर दिया है. लिहाजा ईटीवी भारत की टीम सीधी के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में फायर सेफ्टी की स्थिति परखने के लिए पहुंची, जहां के फायर सेफ्टी इंतजाम देख आप भी चौक जाएंगे.

सीधी जिला अस्पताल

अस्पताल में आगजनी की घटनाओं से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिन अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम लगे हैं वो भी बंद पड़े हैं. इनमें जिला अस्पताल की हालत तो बहुत ही खराब है. अस्पताल में गिने चुने अग्निशमक यंत्र ही लगे हैं. इनमें से ज्यातर की रिफिलिंग कब हुई, उसमें गैस है भी कि नहीं, इसकी कोई खबर किसी को नहीं है.

अस्पताल में फायर एक्जिट की स्थिति तो और भी डामाडोल है. हॉस्पिटल में सैकड़ों मरीज भर्ती हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है. इस बारे में जब सीएमएचओ से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपने दफ्तर में स्वघोषित धारा 144 लगाते हुए मीडिया से बात नहीं की.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में देश में करीब 17 हजार 700 लोग फायर एक्सीडेंट के चलते जान गवां चुके हैं. लिहाजा शासन-प्रशासन को फायर सेफ्टी को लेकर कड़े कदम उठाने की जरूरत है.

सीधी। हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद और आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा हुए भीषण अग्निकांड में कई मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठे थे. इस अग्निकांड ने एक बार फिर अग्नि सुरक्षा उपायों और आपदा प्रबंधन प्रावधानों के मुद्दे पर फोकस करने पर मजबूर कर दिया है. लिहाजा ईटीवी भारत की टीम सीधी के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में फायर सेफ्टी की स्थिति परखने के लिए पहुंची, जहां के फायर सेफ्टी इंतजाम देख आप भी चौक जाएंगे.

सीधी जिला अस्पताल

अस्पताल में आगजनी की घटनाओं से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिन अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम लगे हैं वो भी बंद पड़े हैं. इनमें जिला अस्पताल की हालत तो बहुत ही खराब है. अस्पताल में गिने चुने अग्निशमक यंत्र ही लगे हैं. इनमें से ज्यातर की रिफिलिंग कब हुई, उसमें गैस है भी कि नहीं, इसकी कोई खबर किसी को नहीं है.

अस्पताल में फायर एक्जिट की स्थिति तो और भी डामाडोल है. हॉस्पिटल में सैकड़ों मरीज भर्ती हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है. इस बारे में जब सीएमएचओ से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपने दफ्तर में स्वघोषित धारा 144 लगाते हुए मीडिया से बात नहीं की.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में देश में करीब 17 हजार 700 लोग फायर एक्सीडेंट के चलते जान गवां चुके हैं. लिहाजा शासन-प्रशासन को फायर सेफ्टी को लेकर कड़े कदम उठाने की जरूरत है.

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