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लॉकडाउन से दिव्यांग छात्रों के भविष्य पर खतरा, पिछले 5 महीनों से शिक्षा व्यवस्था हुई चौपट

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Published : Aug 21, 2020, 8:59 PM IST

कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे लॉकडाउन की मार झेल रहे दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से उनका भविष्य चौपट हो रहा है. मार्च महीने से लगे लॉकडाउन के बाद से बच्चों को घर में रहने की मजबूरी हो गई है.

SIDHI NEWS
सीधी न्यूज

सीधी। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा कर रख दी है, लॉकडाउन की वजह से ना सिर्फ किसान, व्यापारी, मजदूर वर्ग परेशान हुआ है, बल्कि दिव्यांग बच्चों का स्कूल बंद होने से उनका भविष्य और भी दयनीय होता जा रहा है. सामान्य बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है, जबकि दिव्यांग बच्चों के भविष्य के बारे में सरकार अब तक नहीं सोच पाई है.

दिव्यांग छात्रों के भविष्य पर खतरा

कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे लॉकडाउन की मार झेल रहे दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से उनका भविष्य चौपट हो रहा है. मार्च महीने से लगे लॉकडाउन के बाद से बच्चों को घर में रहने की मजबूरी हो गई है, सीधी में गुरुकुल संस्कृत शिक्षण संस्थान द्वारा 60 दिव्यांग छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जाती है, लेकिन पांच महीने से लॉकडाउन की वजह से संस्थान में सन्नाटा पसरा हुआ है.

सामान्य बच्चे तो किसी तरह लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन ऐसे छात्र ऑनलाइन भी पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. स्कूल शिक्षकों का कहना है कि हर घर में मोबाइल नहीं होता है. ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की समस्या रहती है. वहीं शिक्षण संस्थान संचालक का कहना है कि क्या करोगे लॉकडाउन मजबूरी बन गई है.

सीधी में एक संस्था गुरुकुल संस्कृत शिक्षण संस्थान द्वारा 60 दिव्यांग छात्र छात्राओं को शिक्षा दी जाती है. स्वयं सेवी संस्थान द्वारा इन बच्चों को आवासीय शिक्षा देकर इनका भविष्य संवारने की कोशिश कर रही है. संस्था में पांच महीने से लॉकडाउन की वजह सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे इन दिव्यांग छात्र छात्राओं की पढ़ाई ठप हो गई है.

मानसिक रूप से कमजोर इन छात्रों को सरकार की तरफ से एक हजार रुपये प्रतिमाह अनुदान दिया जाता है, जिसमें 100 रूपये छात्र के हाथ में और 900 रुपये संस्थान को दिया जाता है. जिससे इनके रहने खाने की व्यवस्था की जाती है.

दिव्यांग छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन में उनके बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है. सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस पर विचार करने की जरूरत है. वहीं जिला कलेक्टर का कहना है कि मंद बुद्धि बच्चों के लिए शासन से कोई गाइड लाइन नहीं मिली है. जितना संभव हो सकेगा उनकी मदद की जाएगी.

बहराल सीधी में पिछले 5 महीने से अधिक समय से लगे लॉकडाउन ने सभी को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है. साथ ही छात्र छात्राओं की पढ़ाई बाधित होने से इनका भविष्य अंधकारमय दिखाई देने लगा है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार इनकी पढ़ाई जारी रखने के लिए क्या कोई ठोस कदम उठाती है.

सीधी। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा कर रख दी है, लॉकडाउन की वजह से ना सिर्फ किसान, व्यापारी, मजदूर वर्ग परेशान हुआ है, बल्कि दिव्यांग बच्चों का स्कूल बंद होने से उनका भविष्य और भी दयनीय होता जा रहा है. सामान्य बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है, जबकि दिव्यांग बच्चों के भविष्य के बारे में सरकार अब तक नहीं सोच पाई है.

दिव्यांग छात्रों के भविष्य पर खतरा

कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे लॉकडाउन की मार झेल रहे दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से उनका भविष्य चौपट हो रहा है. मार्च महीने से लगे लॉकडाउन के बाद से बच्चों को घर में रहने की मजबूरी हो गई है, सीधी में गुरुकुल संस्कृत शिक्षण संस्थान द्वारा 60 दिव्यांग छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जाती है, लेकिन पांच महीने से लॉकडाउन की वजह से संस्थान में सन्नाटा पसरा हुआ है.

सामान्य बच्चे तो किसी तरह लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन ऐसे छात्र ऑनलाइन भी पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. स्कूल शिक्षकों का कहना है कि हर घर में मोबाइल नहीं होता है. ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की समस्या रहती है. वहीं शिक्षण संस्थान संचालक का कहना है कि क्या करोगे लॉकडाउन मजबूरी बन गई है.

सीधी में एक संस्था गुरुकुल संस्कृत शिक्षण संस्थान द्वारा 60 दिव्यांग छात्र छात्राओं को शिक्षा दी जाती है. स्वयं सेवी संस्थान द्वारा इन बच्चों को आवासीय शिक्षा देकर इनका भविष्य संवारने की कोशिश कर रही है. संस्था में पांच महीने से लॉकडाउन की वजह सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे इन दिव्यांग छात्र छात्राओं की पढ़ाई ठप हो गई है.

मानसिक रूप से कमजोर इन छात्रों को सरकार की तरफ से एक हजार रुपये प्रतिमाह अनुदान दिया जाता है, जिसमें 100 रूपये छात्र के हाथ में और 900 रुपये संस्थान को दिया जाता है. जिससे इनके रहने खाने की व्यवस्था की जाती है.

दिव्यांग छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन में उनके बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है. सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस पर विचार करने की जरूरत है. वहीं जिला कलेक्टर का कहना है कि मंद बुद्धि बच्चों के लिए शासन से कोई गाइड लाइन नहीं मिली है. जितना संभव हो सकेगा उनकी मदद की जाएगी.

बहराल सीधी में पिछले 5 महीने से अधिक समय से लगे लॉकडाउन ने सभी को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है. साथ ही छात्र छात्राओं की पढ़ाई बाधित होने से इनका भविष्य अंधकारमय दिखाई देने लगा है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार इनकी पढ़ाई जारी रखने के लिए क्या कोई ठोस कदम उठाती है.

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