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स्कूल है, बच्चे हैं, शिक्षक भी हैं, पर आते ही नहीं! - lack of teachers

सीधी के डमक माध्यमिक स्कूल में बच्चे पढ़ने आ रहे हैं, लेकिन शिक्षकों की वजह से उनके भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है, जो ज्यादातर समय स्कूल से गैरहाजिर रहते हैं.

lack of teachers
स्कूल है, बच्चे हैं लेकिन शिक्षक नहीं!
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Published : Feb 5, 2020, 11:18 AM IST

Updated : Feb 5, 2020, 12:25 PM IST

सीधी। मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ कह रही है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें, लेकिन सिहावल डमक गांव में माध्यमिक विद्यालय संचालित है. जहां स्कूल में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर डमक गांव में माध्यमिक स्कूल संचालित है, जिसमें कुल 6 स्टाफ हैं, जिसमें एक अतिथि शिक्षक है, जबकि पांच सरकारी शिक्षक बताए जाते हैं. पर वहां एक अतिथि शिक्षक और एक शिक्षक के अलावा कोई तीसरा स्टाफ मौजूद नहीं था.

स्कूल है, बच्चे हैं लेकिन शिक्षक नहीं!

जब बच्चों से बात की गई तो बच्चों ने बताया कि हमारी मैडम एक महीने के लिए गंगा नहाने गई हैं, जबकि तीन शिक्षक स्कूल में गैरहाजिर मिले और न ही अटेंडेंस रजिस्टर में बच्चों की उपस्थिति दर्ज थी. स्कूल के ही एक टीचर जिनको कैंसर बताया गया है, वे अपनी दवा लेने चले गए थे. इस बात की खबर न तो जिला शिक्षा अधिकारी को है और न ही प्रशासन को.

बच्चों से जब मिड डे मील के बारे में पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि खाने में कीड़े मिलते हैं. इसलिए हम लोगों ने मिड डे मील खाना ही बंद कर दिया है, जब जिला शिक्षा अधिकारी से मीडियाकर्मीयों ने बात की तो उन्होंने कहा कि हम इसकी जांच कराएंगे और इसमें जो दोषी टीचर पाए जाएंगे, उनके ऊपर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

सीधी। मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ कह रही है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें, लेकिन सिहावल डमक गांव में माध्यमिक विद्यालय संचालित है. जहां स्कूल में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर डमक गांव में माध्यमिक स्कूल संचालित है, जिसमें कुल 6 स्टाफ हैं, जिसमें एक अतिथि शिक्षक है, जबकि पांच सरकारी शिक्षक बताए जाते हैं. पर वहां एक अतिथि शिक्षक और एक शिक्षक के अलावा कोई तीसरा स्टाफ मौजूद नहीं था.

स्कूल है, बच्चे हैं लेकिन शिक्षक नहीं!

जब बच्चों से बात की गई तो बच्चों ने बताया कि हमारी मैडम एक महीने के लिए गंगा नहाने गई हैं, जबकि तीन शिक्षक स्कूल में गैरहाजिर मिले और न ही अटेंडेंस रजिस्टर में बच्चों की उपस्थिति दर्ज थी. स्कूल के ही एक टीचर जिनको कैंसर बताया गया है, वे अपनी दवा लेने चले गए थे. इस बात की खबर न तो जिला शिक्षा अधिकारी को है और न ही प्रशासन को.

बच्चों से जब मिड डे मील के बारे में पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि खाने में कीड़े मिलते हैं. इसलिए हम लोगों ने मिड डे मील खाना ही बंद कर दिया है, जब जिला शिक्षा अधिकारी से मीडियाकर्मीयों ने बात की तो उन्होंने कहा कि हम इसकी जांच कराएंगे और इसमें जो दोषी टीचर पाए जाएंगे, उनके ऊपर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

Intro:एंकर मध्य प्रदेश सरकार एक तरफ शिक्षा को बढ़ावा दे रही है की बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करें लेकिन सीधी जिले के सिहावल अंतर्गत दमक गांव में माध्यमिक विद्यालय संचालित है लेकिन हम बात करें तो दमक विद्यालय में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।Body:वाइस ओवर(1) सीधी से लगभग 45 किलोमीटर दूर दमक गांव में माध्यमिक स्कूल संचालित है उसी स्कूल में कुल 6 स्टाफ है जिसमें एक अतिथि शिक्षक का टीचर है वही 5 सरकारी टीचर बताए जाते हैं जब पत्रकार उस स्कूल में पहुंचे एक सरकारी टीचर और एक अतिथि शिक्षक के अलावा कोई टीचर उपलब्ध नहीं था जब बच्चों से बात की गई तो बच्चों ने बताया की जो हमारे स्कूल की मैडम है वह 1 महीने के लिए गंगा नहाने गई हैं वही तीन टीचर स्कूल में उपस्थित नहीं मिले और ना ही दाखिला पंजी में उनके ना आने की कलम नहीं चलाई गई गई उस स्कूल के एक टीचर जिनको डॉक्टर ने कैंसर बताया है वह अपना दवा लेने चले गए थे आखिर बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों ना जिला शिक्षा अधिकारी को दिखाई दे रहा है ना प्रशासन को कि बच्चों के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है वहीं जब बच्चों ने बताया खाना के समय खाने में कीड़े मिलते हैं इसलिए हम लोगों ने खाना खाना बंद कर दिया है वहीं जब जिला शिक्षा अधिकारी से पत्रकारों ने बात की तो उन्होंने कहा कि हम इसकी जांच कराएंगे और इसमें जो दोस्ती टीचर पाए जाएंगे उनके ऊपर दंडात्मक कार्यवाही करेंगे।
बाइट(1) नवल सिंह जिला शिक्षा अधिकारी सीConclusion:बहरहाल सिर्फ प्रशासन लॉलीपॉप देना जानता है कार्यवाही करना नहीं सीधी जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जहां टीचर 10:00 बजे के बजाय 12:00 बजे जाते हैं और हाजीरी लगाकर घर का कामकाज करने चले जाते हैं उनसे तनख्वाह से मतलब है ना कि उनको बच्चों की भविष्य से क्योंकि उनके बच्चे जिला में पढ़ते हैं राजधानी में पढ़ते हैं तो उनके भविष्य उनके बच्चों की भविष्य बर्बाद नहीं हो रही है यह तो गरीब और असहाय के बच्चे हैं इनके साथ देखा जाए तो चाहे प्रशासन हो चाहे अस्पताल प्रबंधक हो या कोई भी कार्य हो सिर्फ छोटे लोगों के ऊपर कार्यवाही की जाती है।
पवन तिवारी ईटीवी भारत सीधी मध्य प्रदेश
Last Updated : Feb 5, 2020, 12:25 PM IST
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